Asian Confluence River Conclave 2022: आपस में जोड़ने की कड़ी के रूप में नदियों की भूमिका पर बल देते हुए बांग्लादेश (Bangladesh) में भारत (India) के उच्चायुक्त विक्रम दुरैस्वामी (Vikram Doraiswami) ने शनिवार को कहा कि नदियों के संबंध में नीतियां बनाते हुए उनके ऐतिहासिक एवं सास्ंकृतिक आयामों के साथ-साथ आर्थिक एवं राजनीतिक संदर्भों पर भी विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि नदियों के संदर्भ में हमारा ध्यान पनबिजली कूटनीति से अब जल सहयोग की ओर बढ़ना चाहिए. नदियों को बांटने वाली इकाई संबंधी धारणा पर लंबे समय तक बल दिया जाता रहा है. लेकिन जोड़ने वाली कड़ी के रूप में उसकी भूमिका अधिक मौलिक है. 


विक्रम दुरैस्वामी गुवाहाटी में ‘एनएडीआई 3: एशियाई संगम नदी सम्मेलन 2022’ के तहत ‘बंगाल की खाड़ी की नदियां : नीली अर्थव्यवस्था, पहाड़ी अर्थव्यवस्था एवं मैदानी अर्थव्यवस्था के बीच सेतु’ विषयक संत्र को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने शनिवार से शुरू हुए इस दो दिवसीय सम्मेलन में कहा, ‘‘हमारी प्रवृति नदियों से बहुत आशा रखने की रहती है जबकि हमें उसे समग्रता में देखना चाहिए. महज प्रौद्योगिकीगत एवं राजनीतिक दृष्टिकोण के बजाय एक समग्र पहल अपनाने की जरूरत है.’’


वरिष्ठ राजनयिक ने और क्या कहा?


वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि नदियों के भिन्न भिन्न संदर्भ एवं आयाम होते हैं और उसके इर्द-गिर्द नीतियां बनाते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजनीतिक संदर्भ से आर्थिक और ऐतिहासिक से सांस्कृतिक आयाम एवं मानव जीवन को बनाये रखने में उसकी भूमिका तक एक नदी तंत्र कई भूमिकाओं को निभाता है. दुरैस्वामी ने नदी तंत्र को विभिन्न बेसिनो में बांटने और अलग-अलग पहलुओं को संभालने के बजाय पूर्णरूप से उसके प्रबंधन की महत्ता पर जोर दिया. 


भारत और बांग्लादेश के बीच बहती हैं 54 नदियां


उल्लेखनीय है कि 54 ऐसी नदियां हैं जिनकी धाराएं भारत और बांग्लादेश में बहती हैं. भारत में बांग्लादेश के उच्चायुक्त रह चुके सैयद मौज्जेम अली ने 2019 में कहा था कि कम चलताऊ सीजन में नदीजल के बंटवारे का विषय महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है. तीस्ता समझौते पर सितंबर, 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान हस्ताक्षर होने वाला था. लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आपत्ति के कारण आखिर समय में उसे स्थगित कर दिया गया. उन्होंने यह कहते हुए समझौते का विरोध किया कि उनके क्षेत्र के लोगों को एक बूंद भी पानी नहीं मिलेगा. 


शिलांग थिंक टैंक कर रहा सम्मेलन का आयोजन


ये सम्मेलन बंगाल की खाड़ी (Bay Of Bengal) और दक्षिणपूर्व एशियाई क्षेत्र में सहयोग की सामूहिक दृष्टि तैयार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन है. प्राकृतिक विकास एवं अंतरनिर्भरता सहयोगी नामक कार्यक्रम के इस तीसरे सम्मेलन का आयोजन शिलांग का थिंक टैंक एशियन कंफ्लूएंश विदेश मंत्रालय, असम सरकार (Assam Government) के एक्ट ईस्ट नीति विषयक विभाग एवं नोर्थ काउंसिल एवं अन्य साझेदारों के साथ मिलकर कर रहा है. 


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