Berhampur Bank Liquidation Case: 72 सालों में भारत के सबसे पुराने केस को पिछले हफ्ते कलकत्ता हाईकोर्ट (Culcutta High Court) की सबसे पुरानी पीठ ने सुलझा दिया है. बेरहामपुर बैंक (Berhampur Bank) से जुड़ा ये केस वर्तमान चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव (Prakash Srivastava) का जन्म होने से भी एक दशक पहले दर्ज हुआ था. कोर्ट को इस बात से राहल मिली है कि बेरहामपुर बैंक लिमिटेड की लिक्विडेशन कार्यवाही से जुड़ी मुकदमेबाजी अब खत्म हो गई है.
इस मामले से निपटने के बाद अब पांच सबसे पुराने लंबित मामलों में से तीन से निपटना बाकी है. बचे हुए तीन मामलों में से दो दीवानी मुकदमे बंगाल के मालदा की सिविल कोर्ट में चल रहे हैं और एक मद्रास हाई कोर्ट में लंबित है. मालदा की कोर्ट ने इन मामलों को सुलझाने के लिए आखिरी सुनवाई मार्च और नवंबर में की थी.
क्या है पूरा मामला
बेरहामपुर केस भारतीय कोर्ट में सुना जाने वाला सबसे पुराना मामला है.मामले में 19 नवंबर 1948 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने तत्कालीन दिवालिया और मुकदमेबाजी से घिरे बेरहामपुर बैंक को बंद करने का आदेश था. इस मामले में लिक्विडेशन की कार्यवाही को चुनौती देने वाली एक याचिका 1 जनवरी, 1951 को दायर की गई थी और उसी दिन मामला संख्या 71/1951 के रूप में दर्ज किया गया था.
अब तक मामले को लेकर क्या हुआ
बेरहामपुर बैंक देनदारों से पैसा वसूल करने के लिए कई मुकदमों में उलझा हुआ था. इनमें से कई कर्जदारों ने बैंक के दावों को चुनौती देते हुए कोर्ट का रुख किया. बैंक के लिक्विडेशन को चुनौती देने वाली याचिका पिछले साल सितंबर में दो बार हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए आई थी, लेकिन कोई भी सामने नहीं आया.
17 साल पहले हो गया था निपटारा
इसके बाद जस्टिस कपूर ने कोर्ट के लिक्विडेटर से रिपोर्ट मांगी. 19 सितंबर 2022 को असिस्टेंट लिक्विडेटर ने पीठ को बताया कि अगस्त 2006 में मामले का निपटारा कर दिया गया था. यह पता चला कि इसे रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया गया था और यह मामला पेंडिग लिस्ट में बना रहा.
दूसरे सबसे पुराने मामलों में से एक को लेकर जस्टिस कपूर ने आखिरी बार 23 अगस्त 2022 को सुनवाई की थी. इस दौरान उन्होंने एक वकील और एक स्पेशल अधिकारी को सभी पक्षों से मिलने और पेंडिंग मामलों को समाप्त करने के तौर-तरीकों का सुझाव देने का निर्देश दिया था.
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