नई दिल्ली: खुदरा महंगाई दर चार महीनों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गयी है. फरवरी के महीने में ये दर 3.65 फीसदी रही. इस बढ़ोतरी की वजह फल और चीनी के दाम में तेजी है. दूसरी ओर थोक महंगाई दर की बात करें तो ये 39 महीनों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गयी.


खुदरा महंगाई दर 3.65 फीसदी पर, थोक महंगाई दर 6.55 फीसदी पर


फरवरी के महीने मे ये दर 6.55 फीसदी रही जबकि जनवरी में ये दर 5.25 फीसदी के करीब थी. इस दर में उछाल की वजह खाने-पीने के सामान के अलावा ईंधन के दाम में बढ़ोतरी है. थोक महंगाई दर को फैक्ट्री इनफ्लेशन रेट भी कहा जाता है, क्योंकि इस दर ये ये पता चलता है कि क्या उद्योग जगत में मांग बढ़ रही है और उससे कीमतों पर क्या असर पड़ा है.

फिलहाल, बात खुदरा महंगाई दर की. नोटबंदी के बाद मांग में आयी कमी से इस महंगाई दर में लगातार गिरावट दिख रही थी. जनवरी में तो ये दर 3.17 फीसदी पर आ गयी थी जो पिछले कई सालों का सबसे निचला स्तर था. लेकिन अब जैसे जैसे नोटबंदी के बाद हालात सामान्य हो रहे हैं, बाजार में मांग बढ़ रही है और उसका असर महंगाई दर पर देखने को मिल रहा है.

सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, खाने पीने के सामान की खुदरा महंगाई दर यानी सीएफपीआई फरवरी में दो फीसदी से भी ज्यादा दर से बढ़ी. जनवरी में ये दर 0.61 फीसदी थी जबकि बीते साल फरवरी में 5.3 फीसदी. अकेले फल की महंगाई दर आठ फीसदी से ज्यादा रही, जबकि मांस-मछली के मामले में ये दर साढ़े तीन फीसदी थी.


फिलहाल हालात सामान्य होने के आसार नहीं

फिलहाल, चीनी ने जायका बिगाड़ा. फरवरी में चीनी और कनफेक्शनरी के लिए खुदरा महंगाई दर 18.83 फीसदी की दर से बढ़ी, वही दूध व दूध से बने उत्पाद की खुदरा महंगाई दर 4.22 फीसदी की दर से बढ़ी. चीनी के उत्पादन में कमी से दाम बढ़े हैं और फिलहाल हालात सामान्य होने के आसार नहीं दिख रहे. दूसरी ओर अमूल ने दूध के दाम बढ़ाए तो बाकी डेयरी संगठनों के लिए भी दाम बढ़ाने का रास्ता खुल गया.

महंगाई दर के ताजा आंकड़ों में जानी मानी रिसर्च एजेंसी इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिती नायर कहती हैं कि दर में बढ़ोतरी अनुमान के मुताबिक ही हैं और इसे लेकर ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है. दो महंगाई दर में भारी अंतर को लेकर अदिती का कहना है कि थोक महंगाई दर तय करने वाली सूची में कई सामान ऐसे हैं जो खुदरा महंगाई दर के सामान की सूची में नहीं. मसलन, कच्चा तेल और कोयला थोक महंगाई दर की सूची में तो है, लेकिन खुदरा महंगाई दर की सूची में नहीं. चूंकि कच्चे तेल के भाव काफी बढ़े, इसीलिए थोक महंगाई दर में ज्यादा उछाल देखने को मिला.

भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष का कहना है कि बीते साल नवम्बर में खुदरा महंगाई दर और थोक महंगाई दर के बीच अंतर चौथाई फीसदी खा, लेकिन अब ये करीब तीन फीसदी तक पहुंच चुका है. बीते साल दिसम्बर से थोक महंगाई दर, खुदरा महंगाई दर से ज्यादा हो चुकी है. घोष का अनुमान है कि मार्च में खुदरा महंगाई दर 4 फीसदी से नीचे ही रहेगी. उन्हे ये भी लगता है कि अगले महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर में किसी तरह के बदलाव के आसार नहीं.