INS Vikrant: भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत जल्द बनकर तैयार होने वाला है. बुधवार को कोच्चि-हार्बर से निकलकर विक्रांत अरब सागर की तरफ निकला, जहां अगले कुछ महीनों तक उसके 'सी-ट्रायल' (समुद्री-परीक्षण) किए जाएंगे. सी-ट्रायल पूरे होने के बाद ही विक्रांत को नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल किया जा सकेगा.


बुधवार को भारतीय नौसेना ने बयान जारी कर बताया कि ये ऐतिहासिक और गर्व करने वाला दिन है, जब भारत उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है जिनके पास ऐसी बेहतरीन तकनीक है जो स्टेट ऑफ द आर्ट विमान वाहक युद्धपोत के डिजाइन से लेकर निर्माण करने और उसे हथियारों तक से लैस कर सकता है. नौसेना के मुताबिक, 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' का भी ये एक नायाब नमूना है क्योंकि विक्रांत देश का अब तक का सबसे बड़ा युद्धपोत है, जिसका निर्माण खुद भारत ने ही किया है.


मील का पत्थर


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा कि विक्रांत रक्षा क्षेत्र में हमारे 'आत्मनिर्भर भारत' के संकल्प का साक्षी है. स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, विक्रांत का निर्माण कोचिन-शिपयार्ड ने किया है. नौसेना के मुताबिक, कोविड महामारी की चुनौैतियों के बावजूद कोचिन शिपयार्ड ने सी-ट्रायल को शुरू कर एक मील का पत्थर हासिल किया है. स्वदेशी विमान-वाहक युद्धपोत को उसी आईएनएस विक्रांत का नाम दिया है जिसने 1971 के जंंग में पाकिस्तान के खिलाफ विजय में एक अहम भूमिका निभाई थी.


बता दें कि मौजूदा विमान-वाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत अपने तय-समय से पीछे चल रहा है. वर्ष 2009 में विक्रांत का निर्माण-कार्य शुरू हुआ था और वर्ष 2013 मेें पहली बार समंदर में 'लॉन्च' किया गया था. विक्रांत में 75 प्रतिशत स्वदेशी उपकरण लगे हैं. इसके लिए खासतौर से स्टील अथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने ऐसी स्टील तैयार की है, जिस पर जंग नहीं लग सकती है. इसके लिए करीब 2300 टन की खास तरह की स्टील तैयार की गई है.


गौरतलब है कि वर्ष 2013 में एबीपी न्यूज़ ने सेल के प्लांट में बनने वाली खास स्टील और कोच्चि में विक्रांत के लॉन्च होने पर विशेष कवरेज की थी. स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर में करीब 2500 किलोमीटर लंबी इलेक्ट्रिक केबिल लगी हैं और 150 किलोमीटर लंबे पाइप और 2000 वॉल्व लगे हैं. पिछले 11 सालों से करीब 2000 इंजीनियर, वर्कर्स और टेक्निशियन्स की टीम इसे बनाने में दिन-रात जुटी हैं.


ये है खासियत


इसके अलावा कम्युनिकेशन सिस्टम, नेटवर्क सिस्टम, शिप डाटा नेटवर्क, गन्स, कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम इत्यादि सब स्वदेशी है. विक्रांत को बनाने में करीब 20 हजार करोड़ का खर्चा आएगा. विक्रांत को बनाने से 50 से ज्यादा भारतीय कंपनियां और करीब 40 हजार अप्रत्यक्ष रोजगार मिल पाया है. आईएनएस विक्रांत करीब 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है. इसमें 14 डेक यानी फ्लोर हैं और 2300 कंपार्टमेंट हैं. इस पर 1700 नौसैनिक तैनात किए जा सकते हैं. महिला नौसैनिकों के लिए स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर में खास व्यवस्था की गई है. यहां महिला नौसैनिकों को भी तैनात किया जा सकता है. विक्रांत की टॉप स्पीड 28 नॉट्स है और ये एक बार में 7500 नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकता है.



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