नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण की दिशा में भारतीय‌ वायु‌सेना एक‌ और बड़ा कदम उठाने जा रही है. बुधवार को स्वदेशी फाइटर जेट, एलसीए तेजस की दूसरी स्कॉवड्रन कोयम्बटुर के करीब सुलूर में शुरू होने जा रही है. खास बात ये है कि ये एलसीए तेजस, 'एफओसी' वर्जन है और पहले के तेजस फाइटर जेट से ज्यादा एडवांस और लीथल यानि खतरनाक हैं.


एफओसी यानि फाइनल ओपरेशनल क्लीयेरेंस, तेजस लड़ाकू विमान, बियुंड विजयुल रेंज (बीवीआर) मिसाइल से लैस है जो 50 किलोमीटर दूर ही टारगेट को लॉक कर सकती है. लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस में इजरायल की डर्बी बीवीआर मिसाइल लगी है.


साथ ही इन एफओसी एयरक्राफ्ट्स में एयर टू एयर रिफ्यूलिंग तकनीक भी है. यानि हवा में ही रिफ्यूलिंग हो सकती है. ये दोनों तकनीक शुरूआती तेजस में नहीं थी. वायुसेना में तेजस की जो पहली स्कॉवड्रन शामिल की गई थी उन्हें आईओसी यानि इनीशियल ऑपरेशनल क्लीयेरेंस के नाम से जाना जाता है. एक स्कॉवड्रन में 16-18 फाइटर जेट होते हैं और दो फाइटर एयरक्राफ्ट होते हैं.


वायुसेना के प्रवक्ता, विंग कमांडर इंद्रनील नंदी के मुताबिक, 27 मई को खुद एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया एफओसी स्कॉवड्रन के गठन-समारोह के दौरान सुलूर एयरबेस‌ पर मौजूद रहेंगे. वायुसेना ने एलसीए-तेजस 'एफओसी' की स्कॉवड्रन को 18 नंबर दिया है. 'फायरिंग बुलैट्स' के नाम से जाने जानी वाली 18 स्कॉवड्रन पहले मिग-27 फाइटर जेट की थी. इसे स्कॉवड्रन का वर्ष 1965 में गठन किया गया था. इस स्कॉवड्रन का आदर्श-वाक्य है, ' तीव्र और निर्भय'.


1971 के युद्ध में 18 स्कॉवड्रन के फ्लाईंग ऑफिसर, निर्मलजीत सिंह सेखों को मरणोपरांत वीरता के सबसे बड़े मेडल, परमवीर चक्र से नवाजा गया था. उस वक्त इस स्कॉवड्रन को श्रीनगर से ऑपरेट किया गया था जिसके चलते इस स्कॉवड्रन को ' डिफेंडर ऑफ कश्मीर' का नाम भी दिया गया था. वर्ष 2015 में इस स्कॉवड्रन को 'प्रेसीडेंट कलर' से सम्मानित किया गया था.


वर्ष 2016 में मिग-27 के रिटायरमेंट के साथ ही इस स्कॉवड्रन को भी 'नंबर प्लेट' कर दिया गया था यानि बंद कर दिया गया था. लेकिन इस साल अप्रैल में इस स्कॉवड्रन को तेजस एफओसी के लिए सुलूर ले आया गया एक बार फिर से शुरूआत के लिए. माना जा रहा है कि 2021 तक इस स्कॉवड्रन में सभी 16 एलसीए एफओसी शामिल हो जाएंगे.


तेजस‌ एक फोर्थ जेनरेशन बेहद ही लाइट यानि हल्का विमान है. ये अपने जेनरेशन के सभी फाइटर जेट्स में सबसे हल्का है.


आपको बता दें कि स्कॉवड्रन की कमी से जूझ रही वायुसेना को जुलाई के महीने में 36 रफाल लड़ाकू विमानों की पहली खेप फ्रांस से मिलने जा रही है. शुरूआत में चार रफाल के साथ 'गोल्डन एरो' स्कॉवड्रन हरियाणा के अंबाला से ऑपरेट करेगी और चीन-पाकिस्तान सीमा की निगहबानी करेगी.


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