वाराणसी: फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोमवार को प्रस्तावित यात्रा से पहले स्थानीय युवाओं और कुछ फ्रांसीसी नागरिकों ने मिलकर 'इंडो फ्रेंच फ्रेंड्स क्लब' बनाया है. इसका मकसद दोनों देशों के लोगों के बीच परस्पर संवाद और संबंध को मजबूत करना है. क्लब के संस्थापक संयोजक उत्तम ओझा ने बताया कि व्यक्तिगत संपर्क और संवाद को मजबूत करने के मकसद से दोनों देशों के नागरिकों को एक मंच पर लाने का यह प्रयास है. हमने इस पहल को इंडो—फ्रेंच फ्रेंड्स क्लब का स्वरूप कल ही प्रदान किया.
ओझा ने कहा कि वाराणसी में कई देशों के नागरिक लंबे समय के लिए आकर रुकते हैं. ऐसा ही फ्रांसीसी लोगों के मामले में भी हैं. फ्रांस के लोग यहां आध्यात्मिक खोज में खूब आते हैं. हमने भारत और फ्रांस के इतिहास, संस्कृति, कला, खानपान को एक दूसरे से साझा करने के लिए मंच तैयार किया है.
मुस्तफा फ्रांस के नागरिक हैं और 1982 से लगातार वाराणसी आते रहते हैं. एक फ्रांसीसी महिला भी हैं, जो वंचित तबके के लोगों के लिए कार्य कर रही हैं. वहीं की रहने वाली एमी यहां एक कैफे के लिए काम करती हैं. ओझा ने बताया कि ऐसे लोगों के साथ स्थानीय लोग सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और आध्यात्मिक स्तर पर समन्वय करेंगे. स्थानीय लोगों में डॉ. सुनील मिश्र भी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं जो काशी विद्यापीठ में समाज शास्त्र के प्रोफेसर हैं.
क्लब के संस्थापक ने बताया कि क्लब ने स्थापना के दिन से ही अस्सी घाट पर विशेष कार्यक्रमों की शुरूआत कर दी है. ये कार्यक्रम 12 मार्च तक चलेंगे. उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति को यहां आना है. बाद में शैक्षिक, सांस्कृतिक और कला से जुडे अन्य कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा.
ओझा के मुताबिक वाराणसी में कुछ समय से रह रहे फ्रांसीसी नागरिकों को सम्मानित करने का कार्यक्रम काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के फ्रेंच स्टडी सेंटर में रखा गया है. बाद में क्लब की ओर से भी एक सेंटर बनाया जाएगा जो वाराणसी आने वाले फ्रांसीसी पर्यटकों की सुविधाओं का ध्यान रखेगा. उन्होंने बताया कि अन्य पर्यटन स्थलों के मुकाबले वाराणसी एक ऐसी जगह है, जहां पर्यटक आकर रुकते हैं ताकि वे इस प्राचीन नगर को भलीभांति समझ सकें. प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति 12 मार्च को यहां होंगे. दोनों अस्सी से दशाश्वमेध घाट तक नौका विहार करेंगे.