ITBP plans more outposts for Border: भारत से लगे हजारों किलोमीटर लंबे बॉर्डर पर चीन (China) की ओर से हरकतें बढ़ गई हैं. उनकी हरकतों का भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की ओर से माकूल जवाब दिया गया. हालिया रिपोर्टों से पता चला है कि चीनी सेना ने कुछ संवेदनशील स्थानों के पास अग्रिम चौकियों का गठन किया है और सैन्य शिविरों सहित कई बुनियादी ढांचों का निर्माण कर रही है.
चीनी गतिविधियों का जवाब देने के लिए ITBP अरुणाचल प्रदेश में चीनी घुसपैठ की आशंका वाले क्षेत्रों में अतिरिक्त सीमा चौकियां स्थापित करने की योजना बना रही है. चीन सीमा पर तैनात ITBP के एक अधिकारी ने बताया कि यह फैसला 9 दिसंबर को तवांग (Tawang) सेक्टर में चीनी सैनिकों द्वारा किए गए अतिक्रमण के प्रयास के बाद आया है. उन्होंने कहा, “तवांग एलएसी पर सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है. यहां स्थिति हमारे अनुकूल रहे, इसलिए पिछले हफ्ते की बैठकों के दौरान, ITBP के अधिकारियों ने अतिरिक्त चौकियों सहित कई उपायों पर चर्चा की है.“
टकराव के नजदीकी स्थलों पर बनेंगी चौकियां
अधिकारी ने कहा कि जिन स्थानों पर अतिरिक्त सीमा चौकियां स्थापित की जाएंगी, उनमें यांग्त्ज़ी (समुद्र तल से 17,000 फीट) शामिल हैं, जहां 9 दिसंबर को चीनी सेना के साथ हाथापाई में 15 से 20 भारतीय सैनिक घायल हो गए थे. आईटीबीपी के एक अन्य अधिकारी ने इस बारे में आईटीबीपी के महत्वपूर्ण निर्णय की पुष्टि करते हुए कहा कि भारत की ओर से अतिरिक्त सीमा चौकियां उन क्षेत्रों में स्थापित की जाएंगी जहां पिछले कुछ महीनों में चीनी सेना के साथ टकराव हुआ है.
चौबीसों घंटे सीमा पर कड़ी नजर रख रहे हैं जवान
सूत्रों ने कहा कि चीनी सेना ने तवांग सेक्टर में महीनों तक बेवजह आक्रामकता दिखाई थी, जिसके कारण उन्हें चेतावनी देने के लिए भारतीय सैनिकों को 9 दिसंबर की घुसपैठ की तैयारी में तख्तियों और लाउडस्पीकरों के साथ जाना पड़ा था. पूर्वी सेक्टर में आईटीबीपी के एक कमांडेंट ने कहा, "जो वातावरण इलाके में आवाजाही को बहुत मुश्किल बना देता है, वहां अत्यधिक ठंड की स्थिति में भी हमारे जवान अत्यधिक सतर्क रहते हैं और चौबीसों घंटे सीमा पर कड़ी नजर रख रहे हैं." उन्होंने कहा, "हालिया (9 दिसंबर) मुठभेड़ के दौरान, हमारे सैनिकों ने कड़ा संघर्ष किया और चीनियों द्वारा घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया."
1962 में की गई थी आईटीबीपी की स्थापना
कमांडेंट ने कहा कि आईटीबीपी दूरस्थ और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को आपूर्ति प्रदान करने के लिए याक के अपने "बेड़े" के अलावा स्नो स्कूटर सहित सभी इलाकों के वाहनों का उपयोग कर रहा है. 90,000 जवानों वाली आईटीबीपी की स्थापना 24 अक्टूबर, 1962 को चीनी सीमा की रक्षा के लिए की गई थी.
तवांग में पहले भी हुई हैं झड़प
बता दें कि, 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा में से 1,346 किलोमीटर का हिस्सा पूर्वी सेक्टर में आता है. चीन और भारत की एलएसी को लेकर कई जगहों पर अलग-अलग धारणाएं हैं. तवांग सेक्टर के कुछ क्षेत्रों में, दोनों पक्ष नियमित रूप से तब आमने-सामने आ जाते हैं, जब वे अपने दावे की सीमा तक के क्षेत्रों में गश्त करते हैं. वे आमतौर पर प्रोटोकॉल का पालन करते हैं और अपनी पोस्टों पर लौट आते हैं.
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