भारत-अमेरिका के बीच होने वाली रणनीतिक वार्ता देगी चीन को सख्त संदेश
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत के साथ होने वाली 2+2 मंत्री स्तर वार्ता के दौरान व्यापक रणनीतिक साझेदारी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने पर जोर होगा.
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नई दिल्ली: अमेरिकी विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री अगले हफ्ते की शुरुआत में भारत दौरे पर आ रहे हैं. भारत और अमेरिका के बीच 27 अक्टूबर को होने वाली तीसरे दौर की 2+2 वार्ता के लिए माइक पोम्पियो और मार्क एस्पर नई दिल्ली में होंगे.
दोनों देशों के बीच होने वाली यह बातचीत जहां भारत-अमेरिका के सामरिक संबंधों के लिए अहम फैसलों को आगे बढ़ाएगी वहीं इंडो-पैसिफिक या हिंद-प्रशांत इलाके की रणनीतिक बिसात की भी पेशबंदी तय करेगी. दोनों देशों के बीच बेका जैसे फाउंडेशनल समझौते पर भी मुहर लगने की उम्मीद है.
अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पियो दरअसल, 25 से 30 अक्टूबर के बीच भारत समेत हिंद महासागर के चार देशों के दौर पर हैं. नई दिल्ली के अलावा कोलंबो(श्रीलंका), माले (मालदीव) और जकार्ता (इंडोनेशिया) भी जाएंगे. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत के साथ होने वाली 2+2 मंत्री स्तर वार्ता के दौरान व्यापक रणनीतिक साझेदारी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने पर जोर होगा. हालांकि रोचक है कि अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्री ऐसे समय भारत आ रहे हैं जब अमेरिका में महज 10 दिन के भीतर राष्ट्रपति चुनाव होना हैं.
अमेरिकी सैटेलाइट सूचनाओं का भारत को मिल सकेगा लाभ वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक दोनों देशों के बीच हो रही महत्वपूर्ण वार्ताओं में क्षेत्रीय सुरक्षा, रक्षा मामलों से जुड़ी सूचनाओं का आदान-प्रदान और सैन्य बलों के बीच आपसी संपर्क और रक्षा कारोबार जैसे मुद्दे अहम होंगे. इसके अलावा दोनों पक्षों के बीच समारिक तालमेल बढ़ाने वाले कदमों को भी मजबूत किया जाना है.
इस कड़ी में माना जा रहा है कि पोम्पियो और एस्पर की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच बेसिक एक्सचेंज एंड कोपरेशन एग्रीमेट यानी बेका जैसे अहम आधारभूत समझौते पर भी दस्तखत की उम्मीद है. इस समझौते के बाद अमेरिका के लिए संवेदनशील जानकारियां और जियोस्पैटियल डेटा भारत के साथ साझा करना आसान होगा जिनका इस्तेमाल सैन्य कामकाज में किया जा सकेगा. अपने करीबी साझेदारों के साथ किए जाने वाले ऐसे करार के तहत अमेरिका अपने बहुत से नक्शे, एयरोनॉटिकल चार्ट, गैर-क्लासिफाइड सैटेलाइट इमेजरी, जियोडेटिक जानकारियां, जियोमैग्नेटिक व ग्रेविटी डेटा जैसी सूचनाओं की साझेदारी शामिल है. इसके अलावा बेका के तहत कई संवेदनशील यानी क्लासिफाइड सूचनाओं को भी साझा करने की भी व्यवस्था है.
आसान शब्दों में कहें तो बेका जैसे समझौते के बाद भारत के लिए चीन की सैनिक चालबाजियों की बेहतर निगरानी आसान हो सकेगी. वहीं भारत और अमेरिका की सेनाओं के लिए साझा ऑपरेशन भी आसान हो सेकेंगे.
इस बीच भारतीय विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है जिसके दायरे में राजनीतिक, रक्षा, व्यापार, तकनीक, विज्ञान-प्रौद्योगिकी से लेकर लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने समेत अनेक मोर्चों पर सहयोग शामिल है. ऐसे में साझा महत्व के सभी वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी. भारत और अमेरिका के बीच रक्षा और विदेश मंत्री स्तर की संयुक्त 2+2 वार्ता का पहला दौर सितंबर 2018 में नई दिल्ली में हुआ जबकि दूसरे दौर की वार्ता दिसंबर 2019 में वाशिंगटन में हई.
चीन को नई चुनौती की बानगी दिखाने का प्रयास सूत्रों के मुताबिक 2+2 वार्ता के सहारे भारत और अमेरिका की तरफ से चीन की दादागिरी को सीधा संदेश देने के साथ ही इंडो-पैसिफिक इलाके के अन्य मुल्कों को भी संदेश दिया जाएगा. महत्वपूर्ण है कि अमेरिका इस इलाके में काफी सक्रियता से अपनी मौजूदगी और सक्रियता बढ़ा रहा है. वहीं क्वाड यानी भारत-अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की चौकड़ी के बीच अधिक मजबूत सैन्य साझेदारी का खाका तय करने पर भी इन वार्ताओं के दौरान चर्चा होगी.
इस महीने की शुरुआत में जापान के टोक्यो में हुई क्वाड विदेश मंत्रियों की मुलाकात के महज 20 दिनों बाद 2+2 वार्ता के लिए भारत-अमेरिका के विदेश मंत्री एक साथ होंगे. क्वाड चौकड़ी के देश अपनी दोस्ती को किसी मुल्क के खिलाफ भले ना बता रहे हों लेकिन जाहिर तौर पर इसका सीधा संदेश चीन को नई चुनौती की बानगी दिखाने का है. ध्यान रहे की टोक्यो में क्वाड की बैठक के बाद भारत ने जापान और अमेरिका के साथ होने वाले मालाबार नौसेना अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को आने का न्यौता पहले ही दे दिया है.
भारत के साथ-साथ अमेरिकी विदेश मंत्री की मालदीव, श्रीलंका, इंडोनेशिया की यात्रा भी स्पष्ट करती है कि वाशिंगटन की नजर हिंद-महासागर क्षेत्र में नई लामबंदी खड़ी करने पर है.
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