नई दिल्ली: वरिष्ठ वकील रहीं इंदु मल्होत्रा अब सुप्रीम कोर्ट की जज बन गई हैं, आज चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने उन्हें सभी जजों की मौजूदगी में शपथ दिलाई. सुप्रीम कोर्ट के 68 साल के इतिहास में वे सातवीं महिला जज हैं. इसके साथ ही वकील से जज बनने वाली पहली महिला भी हैं.


इंदु मल्होत्रा से पहले जस्टिस फातिमा बीवी, सुजाता मनोहर, रुमा पाल, ज्ञान सुधा मिश्रा, रंजना देसाई और आर भानुमति सुप्रीम कोर्ट की जज बनी हैं. ये सभी महिलाएं हाई कोर्ट जज थीं. इंदु मल्होत्रा से पहले सुप्रीम कोर्ट के 24 जजों में केवल एक ही महिला जज आर भानुमति थीं.


विवादों में घिरी रही नियुक्ति
इंदु मल्होत्रा और उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश 11 जनवरी को सरकार को भेजी गई थी. लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम जजों के कॉलेजियम की सिफारिश को तीन महीने तक लंबित रखा.


इस तरह सिफारिश लंबित रखे जाने पर सुप्रीम कोर्ट के जजों में नाराजगी थी. सुप्रीम कोर्ट के जज कुरियन जोसफ ने चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिख कर चिंता भी जताई थी. आखिरकार, आज सरकार ने सिर्फ इंदु मल्होत्रा को जज बनाने की अधिसूचना जारी कर दी. के एम जोसफ के नाम की सिफारिश कॉलेजियम के पास वापस भेज दी.


शपथ रोकने की मांग खारिज
कल  दोपहर 2 बजे वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह चीफ जस्टिस की कोर्ट में पेश हुईं और इंदु मल्होत्रा की नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की. उन्होंने कहा, "सरकार को दोनों नाम मंज़ूर करने चाहिए थे या दोनों को कॉलिजियम के पास दोबारा विचार के लिए भेजना चाहिए था."


कोर्ट ने शपथ रोकने की मांग पर हैरानी जताते हुए कहा, "किसी जज को शपथ लेने से रोक देने की मांग अविश्वसनीय और अकल्पनीय है. हम हैरान हैं कि आपने ऐसी मांग की." कोर्ट ने कहा, "कई बार एक हाई कोर्ट के लिए 30 नाम की सिफारिश की जाती है. सरकार 22 को जज बनाती है. 8 नाम कॉलेजियम के पास दोबारा विचार के लिए भेजे जाते हैं. क्या आप ये कहना चाहती हैं कि 8 के चलते 22 की नियुक्ति रोक दी जाए?"