इंफेंट्री डे: प्रधानमंत्री मोदी ने पैदल-सैनिकों की बहादुरी को किया सलाम
देश के सबसे बड़े बहादुरी मेडल, परमवीर चक्र से अबतक 21 सैनिकों को सम्मानित किया गया है. इनमें से 07 अकेले लेह-लद्दाख क्षेत्र में ही दिए गए हैं.
नई दिल्ली: इंफेंट्री दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना के सभी सैनिकों को बधाई देते हुए उनकी बहादुरी और कर्तव्य को सलाम किया. आज ही के दिन (27 अक्टूबर) 1947 में भारतीय सेना के सैनिकों ने श्रीनगर हवाई अड्डे पर लैंडिंग कर कश्मीर घाटी को पाकिस्तान के हमले से बचाया था. इसीलिए भारतीय सेना हर साल 27 अक्टूबर को इंफेंट्री डे के रूप में मनाती है.
प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लिखा, "इन्फेंट्री डे के विशेष अवसर पर हमारे साहसी पैदल सेना के सभी रैंकों को शुभकामनाएं. भारत को हमारे राष्ट्र की रक्षा में पैदल सेना द्वारा निभाई गई भूमिका पर गर्व है. उनकी बहादुरी लाखों लोगों को प्रेरित करती रहेगी."
इंफेंट्री दिवस के मौके पर राजधानी दिल्ली से लेकर लेह-लद्दाख तक बहादुर सैनिकों को याद किया गया और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. राजधानी दिल्ली में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, थलसेना प्रमुख, जनरल बिपिन रावत, डीजी इंफेंट्री मेजर जनरल जे एस संधु सहित सभी वाइस चीफ, सभी सातों कमान के कमांडर्स और सभी रेजीमेंट्स के कर्नल-कमांडेंट्स ने नेशनल वॉर मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन मेघदूत में बहादुरी का मेडल जीतने वाले वीर सैनिक भी मौजूद थे.
आपको बता दें कि भारतीय सेना की सबसे बड़ी यूनिट, इंफेंट्री (पैदल सैनिकों की रेजीमेंट्स) ही हैं और आजादी के बाद से अबतक सभी लड़ाईयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
सेना की सभी इंफेंट्री रेजीमेंट्स को अपने संदेश में डीजी, इंफेंट्री ने कहा कि सभी सैनिकों को बहादुरी, बलिदान, कर्तव्य और पेशेवरता के प्रति निस्वार्थ समर्पण के मूल मूल्य को फिर से समर्पित करते हुए अपने देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के संकल्प में अदम्य साहस के साथ डटे रहने की जरूरत है.
इंफेंट्री डे के मौके पर लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल, पीकेजी मेनन ने भी 'हॉल ऑफ फेम' पर शहीदों को फूल अर्पित किए. इन दिनों चीन से चल रहे टकराव के दौरान इसी 'फॉयर एंड फ्यूरी' कोर के पैदल-सैनिक ही फ्रंटलाइन पर सबसे आगे चीनी सेना से लोहा ले रहे हैं.
देश के सबसे बड़े बहादुरी मेडल, परमवीर चक्र से अबतक 21 सैनिकों को सम्मानित किया गया है. इनमें से 07 अकेले लेह-लद्दाख क्षेत्र में ही दिए गए हैं. इनमें से ही एक मेजर शैतान सिंह भाटी को '62 के चीन-युद्ध के दौरान रेजांगला की लड़ाई के दौरान मरणोपरांत दिया गया था.
हालांकि, दुनियाभर की बड़ी सेनाओं (चीन, अमेरिका इत्यादि) में धीरे-धीरे कर इंफेंट्री रेजीमेंट्स को खत्म कर पूरी तरह से मैकेनाइजड इंफेंट्री कर दिया गया है, लेकिन भारत की सरहदों की भौगोलिक-परिस्थिति (हिमालय पर्वत श्रृंखला से लेकर एलओसी और थार-रेगिस्तान) के कारण पैदल सैनिकों की बड़ी आवश्यकता होती है, इसीलिए भारतीय सेना में इंफेंट्री यूनिट्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और 'क्वीन ऑफ बैटलफील्ड' के नाम से जाना जाता है.
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