नई दिल्ली: सीमापार से घुसपैठ में भारी कमी आई है. सरकार का दावा है कि घुसपैठ में पिछले साल की तुलना में इस साल के शुरूआती छह माह में 43 प्रतिशत की कमी आई है. इसकी एक बड़ी वजह सर्जिकल स्ट्राइक है. गृह मंत्रालय का मानना है कि आंतक पर सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति और उठाए गए कड़े कदमों से घुसपैठ ही नहीं आंतकवादी गतिविधियों और आतंकियों की स्थानीय भर्ती में भी कमी आई है. साथ ही अब तक 22 प्रतिशत ज्यादा आतंकवादी मारे गए हैं.
गृह मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने बताया कि आतंकवाद पर हुई बैठक के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि सीमापार से आने वाले आंतकवादियों की संख्या में इस साल भारी कमी आई है. क्योंकि पाकिस्तान को स्पष्ट तौर पर यह मैसेज है कि यदि कोई बड़ी घटना हुई तो भारत कुछ भी कर सकता है. यही नहीं अगर उसके आंतकी यहां पकड़े गए तो उन्हें सीधे अंतरराष्ट्रीय पटल पर ले जाया जाएगा.
सूत्रो ने बताया कि क्योंकि दुनिया भर में आतंकवाद पर नजर रखने वाली एफएटीएफ ने भारत के सबूतों के आधार पर पाकिस्तान से कड़ा रूख अपनाया हुआ है. लिहाजा पाकिस्तान नहीं चाहता है कि उसके यहां के आंतकी या घुसपैठ अतंरराष्ट्रीय स्तर पर फिर सवालों के घेरे में आए. लिहाजा उसने अपने आतंकी गतिविधियों में कमी लाई है लेकिन पूरी तरह से रोके नहीं हैं.
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवादियो औऱ उनके आकाओं के बीच बातचीत के जो मैसेज इंटरसेप्ट हुए हैं उनमें पाकिस्तान ने कश्मीर में मौजूद अपने आंतकियो को कहा भी है कि वो कश्मीर से वापस आ जाएं. इसके अलावा घुसपैठ को रोकने के लिए भारत-पाकिस्तान सीमा पर नए सर्विलेंस उपकरण और बड़े हथियार दिए गए हैं.
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गृहमंत्रालय के आकंड़े-
साल 2016 से 2018 के बीच 97 आंतकी पकड़े गए. 2016 से 2018 के बीच उनके 29 छुपने के ठिकाने पकडे गए. इसके अलावा साल 2016 में 150, 2017 में 213, साल 2018 में 257, साल 2019 में जून तक 113 आतंकवादी मारे गए.
साथ ही सरकार ने भारत पाकिस्तान सीमा पर 2069 किलोमीटर की लंबी सीमा में लगभग 2005 किलोमीटर सीमा पर बाड़ लगा दी है और बाकी की समय सीमा मार्च 2020 निर्धारित कर दी है. इसके साथ ही आतंकवादी घटनाओं में 28 प्रतिशत, स्थानीय आतंकी भर्ती में 40 प्रतिशत कमी आई है जबकि इस साल अब तक पिछले साल की तुलना में 22 फीसदी ज्यादा आतंकियों को ढेर किया गया है. भारतीय सेना 29 सितम्बर 2016 को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में आतंकवादियों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी.