ह्यूमन ऑफ़ वालंटिरिंग की पहल- कोरोना मरीज़ों तक ज़रूरी दवाइयों की होगी डोर स्टेप डिलीवरी
गाज़ियाबाद के आम लोगों ने इस पहल की शुरुआत की, जिससे घर बैठे कोरोना के मरीज़ों तक दवाइयां पहुंच सकें. कोरोना से जूझ रहे ऐसे कई लोग हैं जो अकेले रह रहें हैं, बुज़ुर्ग हैं या पूरे के पूरे परिवार ही पॉजिटिव हैं. ऐसे लोगों की मदद के लिए इस पहल की शुरुआत की गई है.
दिल्ली NCR में कोरोना से सम्बंधित दवाइयों की डोर स्टेप डिलीवरी की शुरुआत गाज़ियाबाद के ह्यूमन फॉर वालंटिरिंग की तरफ से की गई है. गाज़ियाबाद के आम लोगों ने इस पहल की शुरुआत की, जिससे घर बैठे कोरोना के मरीज़ों तक दवाइयां पहुंच सकें. कोरोना से जूझ रहे ऐसे कई लोग हैं जो अकेले रह रहें हैं, बुज़ुर्ग हैं या पूरे के पूरे परिवार ही पॉजिटिव हैं. ऐसे लोगों की मदद के लिए इस पहल की शुरुआत की गई है.
इसमें कोरोना मरीज़ों को दिए हुए नंबर पर अपनी आवश्यकताओं की दवाइयां का प्रिस्क्रिप्शन भेजना होगा, जिसके बाद उन मरीज़ों के पास लिंक आएगा जिससे वो ट्रैक कर सकतें हैं कि डिलीवरी पर्सन कहां पर पहुंचे. इसकी शुरुआत आशुतोष शर्मा और उनकी टीम ने की है.
फिलहाल इस टीम में 15 लोग हैं जो गाज़ियाबाद के साथ साथ दिल्ली के अलग अलग इलाकों में रहतें हैं. इनका मेडिकल स्टोर से कोर्डिनेशन भी है. ये डिलीवरी वी फ़ास्ट और पोस्टर और उबेर की मदद से कोरोना के मरीज़ों को उनके दरवाज़े तक दवा पहुंचा देते हैं.
जानिए क्या ही है पूरी प्रक्रिया -
क्रिएटिव- ह्यूमन वालंटिरिंग की टीम ने एक क्रिएटिव तैयार किया है जिस पर एक बार कोड है जिसे स्कैन करके आर्डर दे सकतें हैं.
प्रिस्क्रिप्शन है ज़रूरी- मरीज़ को किस दवा की ज़रूरत है उसके डिटेल्स के साथ डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन ज़रूरी है.
दवा की पैकिंग- अपने अपने इलाके के मेडिकल स्टोर के साथ मिल ह्यूमन फोर वालंटिरिंग की टीम उन दवाओं को ले कर उसे पैक करती है. जिसके बाद डिलीवर करने के लिए उसी इलाके का साथी डिलीवरी बुक करता है. उसको कोरियर किया जाता है.
डाटा शीट रखते हैं तैयार- किसने रिक्वेस्ट डाली है, कौन सी दवा डिलीवर करनी है, किस ऍप से करनी है उसकी पेमेंट कितनी होगी इस सब के लिए हर रिक्वेस्ट का डाटा सेव किया जाता. ताके उसे आसानी से ट्रैक किया जा सके.
इस पूरी पहल की कोशिश है के लोगों को जो दवाई नहीं मिल पा रही है जिन दवाइयों की काला बज़ारी हो रही है वो मोहय्या करवाई जा सकें. एक दिन में अभी पहल की शुरुआत में ही 15-20 रिक्वेस्ट आ जातीं हैं जिसके बाद अब तक ये पूरी टीम 100 लोगों तक अपनी मुहिम के ज़रिए दवा पहुंचा चुके हैं.