आंखों देखी: तड़ तड़ चलती गोलियों के बीच से बच निकले जवानों की जुबानी, सुकमा हमले की पूरी कहानी
नई दिल्ली: सोमवार को सुकमा में हुए नक्सली हमले में देश ने अपने 25 वीर जवान खोए हैं. नक्सलियों की कायरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है जब हमला हुआ उस वक्त सीआरपीएफ के जवान खाना खा कर आराम कर रहे थे.
सीआरपीएफ के जिन 99 जवानों पर हमला हुआ उनमें शेर मोहम्मद, जीतेंद्र और सौरभ मलिक भी शामिल थे. 99 में से 25 जवान तो शहीद हो गए. 6 जवानों ने अपने शरीर पर नक्सलियों की गोलियां खाईं लेकिन किस्मत से जिंदा बच गए.
शेर मोहम्मद, जीतेंद्र और सौरभ मलिक भी रायपुर लाए जा चुके हैं और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. एबीपी न्यूज़ ने इन्हीं जवानों से बात की और नक्सलियों की कायराना हरकत का आंखों देखा हाल जाना.
सुकमा हमले में घायल जवान शेर मोहम्मदब्लैक यूनिफॉर्म में 300 नक्लियों ने हमला किया शेर मोहम्मद ने बताया, ''वहां पर सड़क पर निर्माण का कार्य चल रहा है. सीआरपीएफ इसी सड़क निर्माण के कार्य को सुरक्षा दे रही है. हम लोग सुबह पांच बजे रोड ओपनिंग के लिए निकले थे. हमें सूचना मिली थी कि वहां पर सड़क निर्माण करवाना है.''
शेर मोहम्मद ने आगे बताया, ''वहां सड़क बनाने का काम प्राइवेट मजदूर कर रहे थे. वहां नक्सलियों ने हमारी लोकेशन चेक करने के लिए पहले गांव वालों को भेजा. गांव वालों के हाथ में हथियार नहीं थे तो हम गोली नहीं मार सकते थे.'' शेर मोहम्मद के मुताबिक गांव वालों के बाद ब्लैक यूनिफॉर्म में आए करीब 300 नक्लियों ने हमारे ऊपर अंधाधुध फायरिंग करना शुरू कर दिया.27 साल के शेर मोहम्मद अपने घर के सबसे छोटे बेटे हैं. ढाई साल के बेटे के पिता शेर मोहम्मद पिछले चार साल से छत्तीसगढ़ में तैनात हैं. हमले में शरीर पर गोली लगने के बावजूद शेर मोहम्मद मदद पहुंचने तक नक्सलियों से लोहा लेते रहे.
रायपुर के अस्पताल में भर्ती घायल जवान जीतेंद्र ने एबीपी न्यूज़ बताया, ''हम लोग सुबह पांच बजे के करीब ड्यूटी के लिए निकले. घटना करीब दोपहर 12 बजे के आस पास शुरू हुई. जिस जगह हमला हुआ हम लोग उसी जगह रुके हुए थे.'' जीतेंद्र के बताया, ''नक्सलियों की ओर से पहला फायर सामने की ओर से हुआ. इसके दो से तीन मिनट के भीतर ही तीन तरफ से फायरिंग शुरू हो गई. इस तरह की घटना को लेकर कोई खूफिया जानकारी पहले से नहीं थी.''
जीतेंद्र ने बताया, ''जिस वक्त मुझे गोली लगी उससे पहले मेरे सामने दो नक्सली आए उनमें से एक को मैंने मार गिराया. साथी जवानों ने भी फायर किया जिसमें और नक्सली भी मारे गए. हमारी दो कंपनी थीं वहां पर पहले हमारी कंपनी पर हमला हुआ.''
घायल जवान जीतेंद्र से अस्पताल में बात करने से पहले एबीपी न्यूज़ उनका इलाज कर रहे डॉक्टर, स्थानीय प्रशासन और खुद जीतेंद्र की इजाजत ली थी.
नक्सली हमें घेरने के चक्कर में थे- घायल जवान सौरभ मलिक घायल जवान सौरभ मलिक ने बताया, "हम लोग पोजीशन लेकर बैठे थे, उसके बाद अचानक फायर आया तो हम लोग भी फायर करने लगे. फायर करते करते आगे बढ़े. उनकी तादात हमसे ज्यादा थी."
सुकमा हमले में घायल जवान शेर मोहम्मदसौरभ मलिक ने बताया, ''वो हमें घेरने के चक्कर में थे. हमला अचानक हुआ इसलिए ज्यादा नुकसान हुआ.'' जवान सौरभ मलिक के मुताबिक जब उन्हें अस्पताल के लिए लाया जा रहा था उस वक्त भी फायरिंग जारी थी.