INS Vikrant Commission: देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत (Indigenous Aircraft Carrier INS Vikrant) शुक्रवार को भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो जाएगा. केरल के कोच्चि में 2 सितंबर को आईएनएस विक्रांत की कमीशनिंग के वक्त पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) मुख्य अतिथि होंगे. इस‌ सैन्य‌ समारोह में पीएम नौसेना के नए इनसेग्निया यानी 'निशान' को भी जारी करेंगे.


आईएनएस विक्रांत के निर्माण से भारत दुनिया के उन छह चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जो 40 हजार टन का एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की क्षमता रखते हैं. बाकी पांच देश हैं अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और इंग्लैंड. नौसेना के मुताबिक, आईएनएस विक्रांत के भारत के जंगी बेड़े में शामिल होने से इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने में मदद मिलेगी.


INS विक्रांत पर तैनात होंगे 30 एयरक्राफ्ट


विमानवाहक युद्धपोत विक्रांत पर 30 एयरक्राफ्ट तैनात होंगे, जिनमें 20 लड़ाकू विमान (Fighter Plane) होंगे और 10 हेलीकॉप्टर होंगे. फिलहाल विक्रांत पर मिग-29के ('ब्लैक‌ पैंथर') फाइटर जेट तैनात होंगे और उसके बाद डीआरडीओ और एचएएल द्वारा तैयार किया जा रहा टीईडीबीएफ यानी टूइन इंजन डेक बेस्ड फाइटर जेट होगा. क्योंकि टीईडीबीएफ के पूरी तरह से तैयार होने में कुछ साल लग सकते हैं इसलिए इस बीच में अमेरिका का एफ-18ए सुपर होरनेट या फिर फ्रांस का रफाल (एम) तैनात किया जा सकता है. 


इन दोनों फाइटर जेट के ट्रायल शुरु हो चुके हैं और फाइनल रिपोर्ट आने के बाद तय किया जाएगा कि कौन सा लड़ाकू विमान तैनात किया जाएगा.  इस साल नबम्बर के महीने से मिग-29के फाइटर जेट विक्रांत पर तैनात होने शुरु हो जाएंगे.


विमान वाहक युद्धपोत की ताकत क्या है?


दरअसल, किसी भी विमान-वाहक युद्धपोत की ताकत होती है उसपर तैनात किए जाने वाले लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर. समंदर में एयरक्राफ्ट कैरियर एक फ्लोटिंग एयरफील्ड के तौर पर काम करता है. उसपर तैनात फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर कई सौ मील दूर तक समंदर की निगरानी और सुरक्षा करते हैं. दुश्मन का कोई युद्धपोत तो क्या पनडुब्बी तक भी उसके आसपास फटकने की जुर्रत नहीं करती है. विक्रांत की टॉप स्पीड 28 नॉट्स है और ये एक बार में 7500 नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकता है, यानी एक बार में भारत से निकलकर ब्राजील तक पहुंच सकता है. इसपर तैनात फाइटर जेट्स भी एक-दो हजार मील की दूरी तय कर सकते हैं.


विक्रांत पर जो रोटरी विंग एयरक्राफ्ट्स होंगे, उनमें छह एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर्स होंगे, जो दुश्मन की पनडुब्बियों पर खास नजर रखेंगे. भारत ने हाल ही में अमेरिका से ऐसे 24 मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर, एमएच-60आर यानी रोमियो हेलीकॉप्टर का सौदा किया है. इनमें से दो (02) रोमियो हेलीकॉप्टर भारत को मिल भी गए हैं. इसके अलावा दो टोही हेलीकॉप्टर और दो ही सर्च एंड रेस्कयू मिशन में इ‌स्तेमाल किए जाने वाले होंगे.


रनवे को खास तकनीक से किया गया तैयार


भारतीय नौसेना (Indian Navy) के विक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर के फ्लाई-डेक यानी रनवे को स्कीइंग तकनीक पर तैयार किया गया है. इस तकनीक को शॉर्ट टेकऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी यानी स्टोबार भी कहा जाता है. इसके मायने ये है कि छोटे रनवे से स्कीइंग के जरिए टेकऑफ, क्योंकि इसका रनवे मात्र 250 मीटर का है,, इसलिए इस पर अरेस्टेड रिकवरी तकनीक से फाइटर जेट्स को लैंड कराया जाएगा.


विक्रांत पर तैनात कुल 30 एयरक्राफ्ट्स में से 10 एक समय में फ्लाईट-डेक पर होंगे और बाकी 20 विक्रांत में ही बने एक बड़े से हैंगर में होंगे. हैंगर से फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर्स को फ्लाईट-डेक तक लाने के लिए दो विशालनुमा लिफ्ट बनाई गई हैं. विक्रांत पर 32 मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल (एमआरसैम) और एके630 गन (तोप) भी तैनात होंगी.


किसी भी एयरक्राफ्ट कैरियर की ताकत उसका फ्लाईट-डेक होता है जिसे रनवे भी कहा जाता है. विक्रांत का रनवे करीब 262 मीटर लंबा है. दो फुटबॉल ग्राउंड से भी बड़ा. भारतीय नौसेना के मुताबिक, विक्रांत के रनवे पर ओलंपिक के 10 स्विमिंग-पूल बनाए जा सकते हैं. आईएनएस विक्रांत की चौड़ाई है करीब 62 मीटर और ऊंचाई है 50 मीटर. 


INS विक्रांत का मोटो


स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत का मोटो यानी आदर्श वाक्य है, 'जयेम सम युधि स्पृधा.'' ऋगवेद से लिए गए इस सूक्ति का अर्थ है- अगर कोई मुझसे लड़ने आया तो मैं उसे परास्त करके रहूंगा. इस‌ नए विक्रांत को भारतीय नौसेना के रिटायर हो चुके एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत के नाम पर ही नामकरण किया गया है जिसने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर विजय में एक अहम भूमिका निभाई थी.


विक्रांत‌ के नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल होने से भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर हो जाएंगे. वर्ष 2013 में भारत ने रूस से आईएनएस विक्रमादित्य एयरक्राफ्ट कैरियर खरीदा था. ये पहले रूस की नौसेना का हिस्सा था.


चीन से टेंशन के बीच आईएनएस विक्रात क्यों जरूरी?


भारत को कम से कम दो एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत इसलिए है, क्योंकि भारत की करीब सात हजार किलोमीटर लंबी समुद्री सीमाएं दो तरफा है. एक है पूर्व में बंगाल की खाड़ी से सटी और दूसरी है पश्चिम में अरब सागर से सटी. ऐसे में भारत को दो अलग-अलग मोर्चों पर दो विमान-वाहक युद्धपोत की जरूरत थी. इसके अलावा हिंद महासागर में भारत का करीब 23 लाख वर्ग मील का स्पेशल ईकनोमिक जोन है, उसकी सुरक्षा करने के लिए भारत को दो एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत है. हाल ही में भारत का आईएनएस विराट एयरक्राफ्ट कैरियर भी डिकमीशन यानी रिटायर हो गया था. 


भारतीय नौसेना को आईएनएस विक्रांत की इसलिए भी जरूरत है क्योंकि एलएसी पर चीन से चल रहे विवाद का असर हिंद महासागर में भी देखने को मिल रहा है. चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों की गतिविधियां इंडियन ओसियन रीजन में काफी बढ़ गई हैं. ऐसे में दुश्मनों की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए विक्रांत की सख्त जरूरत है.


20 हजार करोड़ में तैयार हुआ INS विक्रांत


स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर में करीब ढाई हजार किलोमीटर लंबी इलेक्ट्रिक केबिल लगी है. यानी, अगर इसमें लगी केबिल को बिछाया जाए तो वो कोच्चि से दिल्ली तक पहुंच सकती है. विक्रांत में 150 किलोमीटर लंबे पाइप और 2000 वॉल्व लगे हैं.  पिछले 13 सालों से करीब 2000 इंजीनियर, वर्कर्स और टेक्निशियन्स की टीम इसे बनाने में दिन-रात जुटी थी. इसके अलावा कम्युनिकेशन सिस्टम, नेटवर्क सिस्टम, शिप डाटा नेटवर्क, गन्स, कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम इत्यादि सब स्वदेशी है. विक्रांत को बनाने में करीब 20 हजार करोड़ का खर्चा आया है. 


INS विक्रांत में हैं 14 डेक और 2300 अपार्टमेंट


आईएनएस विक्रांत में 14 डेक यानी फ्लोर हैं और 2300 कपार्टमेंट हैं. इसपर 1700 नौसैनिक तैनात किए जा सकते हैं. महिला अधिकारियों और महिला अग्निवीरों के लिए स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर में खास व्यवस्था की गई है. यानी यहां महिला नौसैनिकों को भी तैनात किया जा सकता है. यहां तक की सी-ट्रायल के दौरान इस पर छह महिला ऑफिसर तैनात थीं. नौसेना के मुताबिक, विक्रांत की किचन में एक दिन में 4800 लोगों का खाना तैयार किया जा सकता है और एक दिन में 10 हजार रोटियां सेंकी जा सकती हैं.


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