INS Visakhapatnam: नौसेना दिवस से पहले भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में एक बड़ा इजाफा होने जा रहा है. इसी महीने की 21 तारीख को स्वदेशी स्टेल्थ मिसाइल डेस्ट्रोयर जहाज, आईएनएस विशाखापट्टनम भारतीय नौसेना में शामिल होने जा रहा है. जबकि चार दिन बाद ही यानि 25 नबम्बर को स्कोर्पीन क्लास की चौथी पनडुब्बी, आईएनएस वेला भी देश की समुद्री ताकत को बढ़ाने के लिए शामिल हो रही है. 


समुद्री ताकत और बढ़ेगी


भारतीय नौसेना के सह-प्रमुख (वाइस चीफ), वाइस एडमिरल एस एन घोरमाडे ने मंगलवार को एक ऑफ कैमरा प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि जिस तरह वैश्विक स्तर पर बेहद तेजी से जियोपॉलिटिकल बदलाव आ रहे हैं उसको देखते हुए बेहद जरूरी है कि भारत भी अपनी समुद्री ताकत को बढ़ाए ताकि किसी भी चुनौती का सामना कर सकें. उसी क्रम में इसी महीने आईएनएस विशाखापट्टनम और आईएनएस वेला भारतीय नौसेना में शामिल होने जा रहे हैं. 21 नबम्बर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में मुंबई डॉकयार्ड में आयोजित होने वाली कमीशनिंग सेरेमेनी में आईएनएस विशाखापट्टनम को भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा. जबकि 25 नबम्बर को आईएनएस वेला की सेरेमनी में नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह मुख्य अतिथि होंगे. 


4 दिसंबर को नौसेना स्थापना दिवस


हर साल 4 दिसम्बर को भारतीय नौसेना अपना स्थापना दिवस मनाती है. नौसेना अपना स्थापना दिवस 1971 युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ मिली विजय में निर्णायक भूमिका निभाने के उपलक्ष्य में मनाती है. वाइस एडमिरल घोरमाडे ने बताया कि इस वक्त भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में एक एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएनएस विक्रमादित्य सहित) कुल 130 युद्धपोत हैं. इसके अलावा 39 जंगी जहाज देश के ही अलग-अलग शिपयार्ड में तैयार किए जा जा रहे हैं.  


आईएनएस विशाखापट्टनम को मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (एमडीएल) ने तैयार किया है. ये नौसेना के प्रोजेक्ट 15बी का हिस्सा है, जिसके तहत चार कोलकता क्लास स्टेल्थ स्टेल्थ गाईडेड मिसाइल डेस्ट्रोयर (युद्धपोत) का निर्माण एमडीएल मे किया जा रहा है. इस क्लास के तीन अन्य युद्धपोत मोरमुगाओ, इम्फाल और सूरत अगले एक-एक साल के अंतराल पर बनकर तैयार होने की उम्मीद है. यानि आईएएनएस मोरमुगाओ 2023 तक, इम्फाल 2024 तक और आईएनएस सूरत 2025 तक बनकर तैयार होने की उम्मीद है. 


आईएनएस विशाखापट्टनम की खासियत


आईएनएस विशाखापट्टनम करीब 163 मीटर लंबा है और उसका वजन करीब 7400 टन है. इस जहाज में करीब 75 प्रतिशत स्वदेशी 'कंटेंट' है. विशाखापट्टनम स्वेदशी हथियारों से लैस है.  युद्धपोत में बीईएल की मीडियम रेंज सर्फस टू एयर मिसाइल (एमआरसैम), सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस, एलएंडटी कंपनी के टोरपीडो ट्यूब लॉन्चर, एलएंडटी के ही एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर और बीएचईएल की 76एमएम सुपर रैपिड गन (तोप) से सुसज्जित है.


आईएनएस वेला को भी एमडीएल ने फ्रांस की मदद से तैयार किया है. इस क्लास की तीन अन्य पनडुब्बियां, आईएनस कलवरी, खंडेरी और करंज पहले ही नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो चुकी हैं. प्रोजेक्ट 75 के तहत नौसेना को फ्रांस की मदद से छह स्कोर्पीन क्लास सबमरीन मिलनी हैं, जिनका निर्माण एमडीएल में किया जा रहा है.इसके अलावा स्कोर्पीन क्लास की पांचवी पनडुब्बी, वागीर का निर्माण भी बेहद तेजी से हो रहा है और माना जा रहा है कि वर्ष 2022 तक नौसेना में शामिल हो जाएगी. इस क्लास की छठी पनडुब्बी, वगशीर भी 2023 तक मिलने की उम्मीद है.   


मंगलवार की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भारतीय नौसेना के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि प्रोजेक्ट 75 की पनडुब्बियों के टोरपीडो के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. लेकिन उन्होनें साफ किया कि हाल ही में ब्लैकलिस्ट से हटाई गई इटली की कंपनी, लियोनार्डो (पहले फिनमैकेनिका) इस टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकती है. क्योंकि टेंडर प्रक्रिया कंपनी के ब्लैकलिस्ट सूची से हटने से पहले शुरू हो गई थी. 


प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सह-नौसेना प्रमुख, वाइस एडमिरल एस एन घोरमाडे ने बताया कि कोलकता के जीएसआरई शिपयार्ड में बन रहे सर्वे-वैसेल, संधायक भी जल्द ही समंदर में लॉन्च किया जाएगा और अगले साल यानि अक्टूबर 2022 तक नौसेना में शामिल हो जाएगा. वर्ष 2018 में रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए जीएसआईए से चार सर्वे-वैसेल बनाने का करार किया था. संधायक इस क्लास का पहला सर्वे वैसेल है. 


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