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बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई 8 मौतों के बाद दिल्ली HC की केंद्र सरकार को हिदायत, कहा- पानी सिर के ऊपर से गुजर गया

दिल्ली हाई कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते मामलों, ऑक्सीजन बेड और दवाइयों की कमी के मुद्दे पर लगातार 11वें दिन सुनवाई की है. इस दौरान बत्रा अस्पताल ने कोर्ट को बताया कि उसके पास ऑक्सीजन खत्म हो रही है और कुछ देर बाद ही बत्रा अस्पताल में 8 मरीजों की मौत की खबर भी कोर्ट के सामने आ गई.

दिल्ली में लगातार 11वें दिन दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के कोरोना के बढ़ते मामलों, ऑक्सीजन बेड और दवाइयों की कमी के मुद्दे पर सुनवाई जारी रही. शनिवार को हुई सुनवाई के दौरान बत्रा अस्पताल ने कोर्ट को बताया कि उसके पास ऑक्सीजन खत्म हो रही है और कुछ देर बाद ही बत्रा अस्पताल में 8 मरीजों की मौत की खबर भी कोर्ट के सामने आ गई.

जिसके बाद कोर्ट ने कई कड़े निर्देश जारी किए. इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया कि अब पानी सिर के ऊपर पहुंच चुका है. केंद्र सरकार को सीधे हिदायत दी कि वह दिल्ली को उसके कोटे की 490 मेट्रिक टन ऑक्सीजन जल्द से जल्द मुहैया कराए. कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि कोर्ट अब कोर्ट के आदेशों की अनदेखी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है.

अस्पताल में ऑक्सीजन पहुंची तब तक 8 मरीजों की मौत हो चुकी थी

दिल्ली के बत्रा अस्पताल ने सुबह करीब 11:30 बजे  हाई कर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि ऑक्सीजन खत्म हो रही है जल्दी से नहीं मिली तो हालात खराब हो सकते हैं. जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार नोडल अधिकारियों को निर्देश दिया कि जल्द से जल्द इस ओर कार्रवाई की जाए इस दौरान केंद्र सरकार के वकील भी कोर्ट में मौजूद थे.

कोर्ट के निर्देश के बावजूद जब तक अस्पताल में ऑक्सीजन पहुंची तब तक 8 मरीजों की मौत हो चुकी थी. बत्रा अस्पताल ने कोर्ट को बताया कि ऑक्सीजन पहुंचने में 80 मिनट की देरी हुई और यह 80 मिनट 8 मरीजों के लिए काफी भारी पड़ गए. जिसमें एक डॉक्टर की शामिल थे जो बत्रा अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे थे और खुद इसी दौरान संक्रमित हो गए है और इसी वजह से उनको आईसीयू पर रखा गया था.

इस घटना के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कई अहम दिशा निर्देश जारी किए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अब ये केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि टैंकर का इंतजाम करें और दिल्ली को ऑक्सीजन पहुंचाए क्योंकि दिल्ली का कोटा 490 मेट्रिक टन का 20 अप्रैल को तय किया गया था इसके बाद से लेकर आज तक दिल्ली को वह ऑक्सीजन नहीं मिली.

केंद्र सरकार को सारा इंतजाम करना होगा

कोर्ट ने कड़े शब्दों में कहा कि अगर इस आदेश पर अमल नहीं हुआ तो जो भी जिम्मेदार अधिकारी हैं वह अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहे. कोर्ट ने कहा हम इस मामले में कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई शुरू करने पर भी विचार कर रहे हैं. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पानी सर के ऊपर से निकल गया है अब हमको सिर्फ कार्रवाई चाहिए. अब आपको यानी केंद्र सरकार को सारा इंतजाम करना होगा. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यहाँ हमारे सामने 8 लोगों की मौत हो गई और आप कह रहे हैं कि हम आंखें मूंदे रहे.

कोर्ट में सुनवाई के दौरान अस्पताल में बेडों की कमी को लेकर भी काफी देर तक बहस हुई. जिसके बाद में हाईकोर्ट ने कई हम आदेश जारी किए कोर्ट में बहस के दौरान कोर्ट ने कहा कि हमको जानकारी दी गई कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति को करीब 14 दिन रिकवर होने में लगते हैं और कुल संक्रमित मरीजों में 10 फीसदी को ही अस्पताल बेड की जरूरत पड़ती है और कुल मरीजों में 1 फीसदी को ही आईसीयू बेड की जरूरत पड़ती है. कोर्ट ने कहा कि हमको दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि फिलहाल दिल्ली में 20938 कोरोना बेड मौजूद हैं.

इस हिसाब से अगर देखा जाए तो लोग अस्पताल से डिस्चार्ज हो भी रहे हैं तो बेड उपलब्ध क्यों नहीं हो रहा है यह अपने आप एक बड़ा सवाल है. अगर किसी मरीज को ऑक्सीजन की भी जरूरत है तो वह भी अधिकतम 10 दिनों बाद इस हालत में होगा कि उसको डिस्चार्ज किया जा सके लेकिन फिर भी बेडों की कमी बनी हुई है.

बेड की भारी किल्लत है

कोर्ट ने कहा कि अगर हालत खराब ना हो और आइसीयू की जरूरत ना पड़े तो मरीज 10 दिनों से लेकर 14 दिनों के बीच ठीक हो सकता है. लेकिन फिलहाल जो तस्वीर हो यह दिखा रही है कि बेड की भारी किल्लत है दिल्ली सरकार कह रही है कि इसी को ध्यान में रखते हुए डिस्चार्ज पॉलिसी बनाई है. लेकिन ऐसा लग नहीं रहा कि स्वस्थ हुए मरीज डिस्चार्ज हो रहे हैं और नए मरीजों को बेड मिल पा रहा है. कोर्ट ने कहा कि हमको जानकारी दी गई कि एलएनजेपी अस्पताल ने निर्देश जारी किया है कि अगर किसी मरीज की ऑक्सीजन 91 से ज्यादा है उसको डिस्चार्ज कर दिया जाए.

कोर्ट ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए और बेडों की कमी को देखते हुए इस ओर ध्यान देना बहुत जरूरी है. इसी आधार पर कोर्ट ने सभी अस्पतालों के मेडिकल सुपरिटेंडेंट को निर्देश दिया कि वह 1 अप्रैल से लेकर अभी तक जो मरीज़ 10 दिनों से ज़्यादा भर्ती रहे हैं उन मरीजों का पूरा ब्यौरा कोर्ट को दें. इस ब्यौरे में यह भी बताएं कि मरीज को किस बेड पर जगह दी गई थी, कितने दिन रखा गया और कब डिस्चार्ज किया गया. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि वैसे तो दिल्ली सरकार ने एक डिस्चार्ज पॉलिसी भी बनाई हुई है लेकिन उसका खुलेआम उल्लंघन भी होता रहा है.

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीज को अगर अस्पताल में भर्ती किया जाता है तो 10 दिन बाद कोरोना संक्रमण आगे फैलने का खतरा खत्म हो जाता है. ऐसे में मरीज को डिस्चार्ज किया जा सकता है अगर उसकी हालत सही उसकी नेगेटिव रिपोर्ट आने तक का इंतजार करना ठीक नहीं है. लेकिन कुछ मामलों में यहां तक देखा गया है कि मरीज ठीक होने के बाद भी अस्पताल का बेड छोड़ने को तैयार नहीं होते क्योंकि डर इस बात का होता है कि अगर जरूरत पड़ गई तो दोबारा बेड नहीं मिलेगा.

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा वैसे तो इसको लेकर नियम भी है कि जरूरत पड़ने पर मरीज को आईसीयू से ऑक्सीजन बेड और ऑक्सीजन बेड से नॉर्मल बेड पर लाने के बाद डिस्चार्ज किया जा सकता है. और इसी तरह से जरूरत पड़ने पर मरीज को ऑक्सीजन बेड और आईसीयू बेड तक दिया जा सकता है.

दिल्ली सरकार लगातार पोर्टल पर अपडेट करें कि रोजाना कितने मरीज भर्ती हुए- कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि वह लगातार अपने पोर्टल पर अपडेट करें कि रोजाना कितने मरीज भर्ती हुए हैं और कितने मरीज डिस्चार्ज हुए हैं जिससे कि अस्पताल की असल तस्वीर पता चलती रहे. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह अपने पोर्टल पर यह जानकारी अलग-अलग दें कि कुल बेड में कितने ऑक्सीजन बेड हैं और कितने नॉन ऑक्सिजन बेड.क्योंकि अभी तक पोर्टल पर सिर्फ यह लिखा होता है कि कोरोना बेड उपलब्ध है या नहीं लेकिन यह नहीं पता कि उस पर ऑक्सीजन की सुविधा है या नहीं.

सुनवाई के दौरान जुड़े एक वकील ने पूछा कि दिल्ली सरकार ने क्या सेना से बात की है जिससे कि नए हॉस्पिटल बेड का इंतजाम किया जा सके. दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि हम 15000 नए बेडों का इंतजाम कर रहे हैं लेकिन उसके लिए हमको 956 मीटर ऑक्सीजन की जरूरत होगी. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हम हिचक नहीं रहे हमने डीआरडीओ की मदद ली हुई है और हम आइटीबीपी को भी चिट्ठी लिख रहे हैं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सलाह देते हुए कहा कि अगर आप सेना की मदद लेते हैं तो उनके पास अपना इंफ्रास्ट्रक्चर है सब तैयारी करने का, यहां तक कि ऑक्सीजन का वह भी आयात कर रहे हैं.

हमारे टैंकर्स को प्राथमिकता नहीं मिल रही- दिल्ली सरकार

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील ने कोर्ट को बताया कि ऐसी अब तक 12 घटनाएं सामने आ चुकी है जहां पर राजनीतिक पार्टीयों के पास रेमीडीसीवीर इंजेक्शन उपलब्ध था. यह सिरे से कालाबाजारी के तहत हुआ है. कोर्ट ने इस मामले को उठाने वाले वकील से कहा कि वह यह जानकारी कोर्ट के रिकॉर्ड पर लाएं.

शनिवार को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने केंद्र सरकार पर और ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पर गंभीर आरोप भी लगाये दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि फिलहाल ऐसा लगता है कि सप्लायर किसी दबाव में दिल्ली के अलावा बाकी राज्यों में ऑक्सीजन भेजने में ज्यादा तत्परता दिखा रहे हैं. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि सप्लायर के टैंक पर पहुंचे हमारे टैंकर्स को प्राथमिकता नहीं मिल रही.

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि फिलहाल अभी टैंकर की कोई कमी नहीं है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हर 1 मिनट की देरी मरीज की जान के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि यह देरी एक तरह से मरीज को मारने की तरह ही है.

रोज रोज मांग बदल दी जाएगी तो हम उसकी पूर्ति कहां से करेंगे- सप्लायर के वकील

दिल्ली सरकार के आरोपों पर दिल्ली हाईकोर्ट नहीं ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले सप्लायर से पूछा कि हम यह जानना चाहते हैं कि आखिर सप्लायर ये देरी क्यों कर रहे हैं? जवाब देते हुए आईनॉक्स सप्लायर की तरफ से पेश वकील ने कहा कि हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन फिर भी हमारे ऊपर ऐसे आरोप लगते हैं कि हम प्राथमिकता नहीं देते. सप्लायर के वकील ने कहा कि अगर रोज रोज मांग बदल दी जाएगी तो हम उसकी पूर्ति कहां से करेंगे क्योंकि हमारे पास भी एक सीमित उत्पादन है.

दिल्ली सरकार ने कहा कि इनॉक्स सप्लायर के टैंकर को राजस्थान में जबरन रोक लिया गया था. ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार में राजस्थान सरकार के साथ में है. क्योंकि जो सुविधाएं हैं वह भी डायवर्ट की जा रही है. हाई कोर्ट को बताया गया कि वैसे भी मामला सुप्रीम कोर्ट में भी उठा था और सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के वकील को हाई कोर्ट आने को कहा था और वह हाईकोर्ट आए भी थे लेकिन फिलहाल जिस तरीके से तस्वीरें सामने आ रही है और जानकारी सामने आ रही है उसको देखकर यही लग रहा है कि राजस्थान सरकार, केंद्र सरकार और आईनॉक्स सप्लायर के बीच एक मौन सहमति है. दिल्ली सरकार की तरफ से केंद्र सरकार पर राजस्थान सरकार के साथ मिलीभगत करने का आरोप. दिल्ली सरकार के इस बयान पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमको ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि आप आईनॉक्स सप्लायर पर इस तरीके का गंभीर आरोप लगाए.

कोर्ट ने कहा कि हम इस बारे में केंद्र सरकार से सवाल पूछेंगे क्योंकि जिस दिन वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने राजस्थान सरकार की तरफ से याचिका दायर की थी उस दिन केंद्र सरकार ने कहा था कि मामले को सुलझा लिया गया है. कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि कुछ दिन पहले भी जब यह मामला सामने आया था तो केंद्र सरकार ने कहा था कि मामला सुलझ गया है हम उम्मीद करते हैं कि राजस्थान सरकार केंद्र और दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान करेगी. केंद्र सरकार सोमवार को कोर्ट को इस बारे में जानकारी दें.

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