नई दिल्ली: अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले को लेकर खुफिया एजेंसी ने अलर्ट जारी किया है. यात्रा की सुरक्षा करने वालीं सभी एजेंसियों को अलर्ट जारी किया गया. अलर्ट के मुताबिक लश्कर के करीब 20 आतंकियों ने दो ग्रुप घाटी में घुसपैठ की है. पहले ग्रुप में करीब 11 से 13 आतंकी और दूसरे ग्रुप में 6 से 7 आतंकी शामिल हैं. खुफिया सूत्रों के मुताबिक बालटाल रूट पर कंगन नाम की जगह पर आतंकी यात्रा को निशाना बना सकते हैं. सभी लश्कर आतंकियों को तीन तीन के गुट में कंगन की तरफ बढ़ने का अंदेशा है. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 'केल लॉन्च पैड से आतंकियों की घुसपैठ कराई है.


ताज़ा खुफिया अलर्ट के बारे में आज अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा पर हुई बात में गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ मीटिंग में चर्चा हुई थी. सुरक्षा समीक्षा बैठक में गृहमंत्री राजनाथ सिंह के अलावा, गृह सचिव राजीव गौबा, डायरेक्टर आईबी के अलावा सुरक्षा महकमे के तमाम बड़े अफसर मौज़ूद थे. खतरे को देखते हुए गृहमंत्रालय ने अमरनाथ यात्रा की  सुरक्षा करने वाली सभी सुरक्षा एजेंसियों और ऑपेरशन में जुटी सेना को अलर्ट जारी किया गया है.


खुफिया एजेंसियों के मुताबिक एलओसी और अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगे अलग अलग लॉंचिंग पैड पर क़रीब 400 के करीब आतंकी घुसपैठ के लिए तैयार हैं. सेना और बीएसएफ की रिपोर्ट के मुताबिक हर रात घुसपैठ की कोशिश होती है. लेकिन सेना और बीएसएफ के तमाम मुस्तैदी के बावज़ूद 20 लश्कर की आतंकी घुसपैठ में कामयाब हो गए, इससे अमरनाथ यात्रा के लिए नया खतरा पैदा हो गया.


रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख ने की सुरक्षा मीटिंग
अमर नाथ यात्रा की सुरक्षा के मद्देनजर आज रक्षामंत्री निर्मला सीतारण और सेना प्रमुख बिपिन रावत ने बालटाल बेस कैंप में रिव्यू मीटिंग की. रक्षा मंत्री ने राज्यपाल एनएन वोहरा से भी मुलाकात की. बता दें इस जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शाशल लगा है और राज्य को चलाने की जिम्मेदारी राज्यपाल के कंधे पर ही है. राज्यपाल अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं.

पहली बार भेजे गए एनएसजी कमांडो
अमरनाथ यात्रा पर हमले की आशंका से चलते सरकार बेहद सावधान है. 28 जून से 26 अगस्त तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा में आतंकियों की नापाक हरकतों को नाकाम करके लिए अमरनाथ यात्रा के इतिहास में पहली बार सुरक्षा के ऐसे इंतजाम किए गए हैं जो पहले कभी नहीं हुए. अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए पहली बार 2 दर्जन एनएसजी कमांडो की तैनाती का फैसला किया गया है.


समान में हेलिकॉप्टर से सुरक्षाकर्मी अभी से पूरे रास्ते की सुरक्षा पर नजर बनाए हुए है. गाड़ियों में पहली बार रेडियो फ्रीक्वेंसी डिवाइस लगेगा. जिससे लोकेशन का पता चल सकेगा. मुसीबत में फंसते ही पुलिस-सेना पहुंच जाएगी. जम्मू के लखनपुर से लेकर कश्मीर तक जाने वाले हर रास्ते पर ड्रोन से नजर रहेगी. चप्पे चप्पे पर सेना और सुरक्षा बलों के जवान तैनात हैं.


दो रूट से होती है अमरनाथ यात्रा
पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन के लिए दो रास्तों से जाया जाता है. जम्मू से पहलगाम होते हुए एक रास्ता जाता है जबकि दूसरा श्रीनगर से बालटाल होते हुए जाता है. बालटाल से बाबा की गुफा तक सिर्फ 14 किलोमीटर की चढ़ाई है इसलिए ये रास्ता लोकप्रिय है. अमरनाथ यात्रियों के लिए 213 कंपनियों को सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है. हिंदू धर्म में अमरनाथ यात्रा का महत्व शिव भक्तों से जुड़ा हुआ है. अमरनाथ गुफा के बारे में मान्यता है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने अपने अस्तित्व और अमरत्व के रहस्य के बारे में माता पार्वती को बताया था. श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर अमरनाथ गुफा 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.


2017 में आतंकी हमले में सात की मौत
पिछले साल अमरनाथ यात्रा से वापस लौट रही गुजरात की एक बस पर आतंकियों ने हमला कर दिया था. इसमें सात श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. बस पर हमला शाम के वक्त हुआ था. बस ड्राइवर की समझदारी की वजह से कई यात्रियों की जान बस गई थी.