नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ सहित चार राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले राजनैतिक दल अपनी तैयारी में जुटे हैं. छत्तीसगढ़ में बीजेपी जहां सत्ता में बने रहने के लिए मशक्कत कर रही है, वहीं कांग्रेस अपनी खोई ज़मीन तलाशने के लिए जनता के बीच पैठ बनाने में जुटी है. लेकिन इन दोनों राजनैतिक दलों के दुश्मन नक्सली भी चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाने की फिराक में है.


खुफिया एजेंसियों ने सरकार को आगाह किया है कि नक्सली एक बार फिर 25 फरवरी 2013 में हुए सुकमा के दरभा घाटी जैसे हमले को दोहराने के फिराक में हैं. नक्सलियों के उस हमले में कांग्रेस के बड़े नेताओं विद्याचरण शुक्ला, महेंद्र कर्मा और नंद कुमार पटेल सहित 28 लोगों की मौत हो गई थी.


चुनाव से ठीक पहले खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव के दौरान बौखलाए नक्सली राजनीतिक प्रतिनिधियों को निशाना बना सकते हैं. एबीपी न्यूज़ को खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नक्सली कैडर इस समय छत्तीसगढ़ में एकजुट होकर हमले की साजिश को अंजाम देने की तैयारियों में जुटे हैं.


नक्सलियों ने अपनी तैयारी के लिए छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखंड के जंगलों में मीटिंग की है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ में होने वाले आम विधानसभा चुनाव का विरोध करने का बड़ा फैसला किया है. खुफिया जानकारी के मुताबिक इस दौरान छत्तीसगढ़ में प्रचार करने के लिए जाने वाले जनप्रतिनिधियों को निशाना बनाने का प्लान नक्सलियों के बड़े कमांडरों ने तैयार किया है.


दरअसल, सूत्र बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में विकास के कामों का जायजा लेने लिए सरपंच और पटेल अलग-अलग जगहों पर जाते हैं. नक्सलियों से खतरा सबसे पहले इन्हीं जनप्रतिनिधियों को है. खुफिया एजेंसियों ने इन जनप्रतिनिधियों को अलर्ट किया है कि इन्हें नक्सली निशाना बना सकते हैं, इसलिए नक्सली इलाके में जाने से पहले आस पास के पुलिस स्टेशन को सूचित करें.


ख़ुफ़िया सूत्रों के मुताबिक़ नक्सली अपने इलाक़ों में राजनीतिक दलों की रैलियों और सभाओं के दौरान भी हमला करने की साजिश में हैं. इसके लिए नक्सलियों ने नए तरीके अपनाने का फ़ैसला किया है. रिपोर्ट के मुताबिक नक्सली आने वाले चुनाओं के दौरान पोलिंग बूथों पर अटैक करने के लिए नक्सली वोटर के रूप में आने का तरीका अख्तियार कर सकते हैं.


साफ है नक्सलियों से खतरा काफी ज़्यादा है इसलिए एन्टी नक्सल ऑपेरशन में जुटे सुरक्षा बलों के लिए चुनौती भी ज्यादा है ताकि नक्सलियों की साज़िश को नाक़ाम किया जा सके.