Interfaith Dialogue: अंतरधार्मिक संवाद सूफी सज्जादनाशिन परिषद (AISSC) ने शनिवार को अपने प्रस्ताव में कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और ऐसे किसी भी अन्य मोर्चे जैसे संगठन, जो राष्ट्र विरोधी गतिविधियों (Anti National Activities) में लिप्त हैं और हमारे नागरिकों के बीच कलह पैदा कर रहे हैं, उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और कानून के अनुसार उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई (Strict Action) शुरू की जानी चाहिए. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) की उपस्थिति में प्रस्ताव को पारित किया गया और उनसे ये अपील की गई कि ऐसे सभी कट्टरपंथी संगठनों (Radical Organizations) पर कार्रवाई हो.
प्रस्ताव में कहा गया है कि किसी के द्वारा चर्चा या वाद-विवाद में किसी भी देवी/देवता/पैगंबर को निशाना बनाने की निंदा की जानी चाहिए और कानून के अनुसार ऐसे संगठनों से निपटा जाना चाहिए.
अब निंदा करने का समय नहीं, कट्टरपंथियों पर कार्रवाई का समय
अखिल भारतीय सूफी सज्जादनाशिन परिषद के अध्यक्ष हजरत सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने अपनी टिप्पणी में कहा कि कट्टरपंथी संगठनों की जांच होनी चाहिए. उन्होंने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की. चिश्ती ने कहा, "... देश में जब भी कोई घटना होती है तो हम निंदा करते हैं. यह कुछ करने का समय है, निंदा करने का नहीं. कट्टरपंथी संगठनों पर लगाम लगाने और उन पर प्रतिबंध लगाने अब बहुत जरूरी है. चाहे वह पीएफआई सहित कोई भी कट्टरपंथी संगठन हो, उनके खिलाफ सबूत होने पर उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए."
कानून सम्मत कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए
एआईएसएससी के प्रस्ताव में शांति और सद्भाव का संदेश फैलाने और कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ लड़ने के लिए सभी धर्मों को शामिल करते हुए एक नया निकाय बनाने का प्रस्ताव रखा गया था. प्रस्ताव में सिफारिश की गई थी कि किसी भी व्यक्ति या संगठन को किसी भी माध्यम से समुदायों के बीच नफरत फैलाने के सबूत के साथ दोषी पाया गया है, उस पर कानून के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए.
अजित डोभाल ने की कड़ी टिप्पणी
अपनी टिप्पणी में, अजीत डोभाल ने कहा कि कुछ तत्व ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो भारत की प्रगति में बाधा बन रहा है. डोभाल ने कहा, "कुछ तत्व ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो भारत की प्रगति को बाधित कर रहा है. वे धर्म और विचारधारा के नाम पर कटुता और संघर्ष पैदा कर रहे हैं, यह पूरे देश को प्रभावित कर रहा है और देश के बाहर भी फैल रहा है."
डोभाल ने सख्त रुख दिखाते हुए कहा कि "मौन दर्शक होने के बजाय, हमें अपनी आवाज को मजबूत करने के साथ-साथ अपने मतभेदों पर जमीन पर काम करना होगा. हमें भारत के हर संप्रदाय को यह महसूस कराना है कि हम एक साथ एक देश हैं, हमें इस पर गर्व है और यह कि हर धर्म कर सकता है यहां स्वतंत्रता का दावा किया जाए."
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