नई दिल्ली: दूसरों पर मुकदमा करने वाले जाने-माने वकील प्रशांत भूषण के ऊपर खुद ही मुकदमा हो गया है. मामला धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने का है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल भूषण की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. गुजरात सरकार से मामले पर जवाब मांगा है.


28 मार्च को प्रशांत भूषण ने दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत दिखाए जाने पर टिप्पणी करते हुए एक ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था, “करोड़ों लोग भूखे हैं. सड़क पर हैं. लेकिन केंद्र सरकार के मंत्री रामायण और महाभारत की अफीम खा रहे हैं. लोगों को भी वही खिला रहे हैं.“ इस पर आपत्ति जताते हुए पूर्व सैनिक जयदेव जोशी ने गुजरात के राजकोट में भूषण के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने के लिए एफआईआर दर्ज करवा दी. एफआईआर IPC की धारा 295A (धार्मिक भावना को चोट पहुंचाने वाली बात कहने) और 505 (लोगों को भड़काने) की धारा में दर्ज हुई है.


इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे प्रशांत भूषण ने एफआईआर रद्द करने की मांग की. उनका कहना है, “वह ट्वीट केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के एक ट्वीट के जवाब में किया गया था. मंत्री ने रामायण देखते हुए अपनी तस्वीर लगाई थी. मैंने लॉकडाउन से परेशान करोड़ों लोगों की स्थिति को सामने रखी. मेरा मकसद किसी की धार्मिक भावना को चोट पहुंचाना नहीं था. मैंने धर्म को लेकर कार्ल मार्क्स की तरफ से कही गई बात को दोहराया था.“


याचिका में ट्वीट किए जाने के 15 दिन बाद एफआईआर दर्ज होने पर भी सवाल उठाया गया है. कहा गया है कि इसका मकसद याचिकाकर्ता को सरकार के खिलाफ बोलने से रोकना लगता है. चूंकि एफआईआर खुद प्रशांत भूषण के खिलाफ है. इसलिए, वह बतौर वकील इस मामले में पैरवी करने नहीं आए. उनकी तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे और कामिनी जायसवाल जजों के सामने पेश हुए.


मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण और संजीव खन्ना की बेंच ने की. उन्होंने सवाल किया, “कोई टीवी पर कुछ भी देखे. आप इस पर कैसे आपत्ति जता सकते हैं?” दुष्यंत दवे का जवाब था, “हम किसी के टीवी पर कोई कार्यक्रम देखने पर एतराज नहीं जता रहे. हम सिर्फ अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर का मसला लेकर यहां पहुंचे हैं. कोर्ट हमें राहत दे.“


थोड़ी देर चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले में राज्य और शिकायतकर्ता का जवाब जरूरी मानते हुए उन्हें नोटिस जारी कर दिया. प्रशांत भूषण के वकील की दरख्वास्त पर कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत भी दे दी. कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इस मामले में कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. राज्य सरकार याचिका पर अपना जवाब दाखिल करे. हम 2 हफ्ते बाद फिर इस मामले की सुनवाई करेंगे.



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