Arrest Warrant Issued Against Putin: यूक्रेन में युद्ध अपराध के लिए अंतरराष्ट्रीय अपराधिक कोर्ट (ICC) ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. इस वारंट को रूस ने सिरे से खारिज कर दिया है. मगर क्या पुतिन के अगले कुछ महीनों में संभावित दौरे में भारत पर इसके अमल का दबाव होगा? जवाब है नहीं. क्योंकि भारत भले ही ICC की स्थापना प्रक्रिया में शामिल मुल्कों में से एक रहा हो, लेकिन भारत इसके नियमों से बांधने वाले रोम स्टेट्यूट का हिस्सेदार नहीं है. 


राष्ट्रपति पुतिन को अगले कुछ महीनों में शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक और G20 शिखर सम्मेलन जैसे आयोजनों में शिरकत के लिए भारत आना है. उनके यात्रा कार्यक्रम को लेकर फिलहाल कोई ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन संकेत हैं कि पुतिन कम से कम एक आयोजन के लिए तो भारत में जरूर होंगे. ऐसे में स्वाभाविक तौर पर मेजबान के तौर पर भारत पर यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस पर पश्चिमी देशों के दबाव के बीच अपने पुराने रिश्तों और आयोजन को साधने की चुनौती होगी. 


वारंट पर कार्रवाई नहीं है जरूरी 
हालांकि जानकारों का मानना है कि भारत की G20 मेजबानी पर इन दबावों के बावजूद नीदरलैंड के हेग स्थित ICC से जारी गिरफ्तारी वारंट उसके लिए कोई खास अहमियत नहीं रखता. इस वारंट पर अमल के लिए उस पर कोई दबाव नहीं होगा क्योंकि भारत खुद भी ICC व्यवस्था को स्थापित करने वाले रोम स्टेट्यूट का हिस्सा नहीं है. साथ ही युद्ध और परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को शामिल न करने के मुद्दे पर ही ऐतराज जताते हुए भारत ने रोम स्टेट्यूट पर जून-जुलाई 1998 में हुए मतदान में भाग नहीं लिया था. ऐसे में भारत पर ICC के ऐसे किसी वारंट पर कार्रवाई न तो बाध्यकारी है और न जरूरी. 


इतना ही नहीं, ICC की प्रक्रिया में भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को भी सर्वोच्च क्रियान्वयन संस्था बनाए जाने का हामी नहीं है. बीते दिनों सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य रहते हुए भी भारत ने रूस के खिलाफ यूक्रेन मुद्दे पर अमेरिका,ब्रिटेन समेत स्थाई सदस्य पश्चिमी देशों की तरफ से लाए गए प्रस्तावों पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. वैसे भी अमेरिका,रूस, चीन  जैसे सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में से तीन देश ICC के रोम स्टेट्यूट का हिस्सा नहीं हैं.  


39 देशों का  मिला था समर्थन
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट में यूक्रेन युद्ध को लेकर राष्ट्रपति पुतिन पर कार्रवाई के खिलाफ जांच शुरू करने के प्रस्ताव को ब्रिटेन, फ्रांस, नीदरलैंड समेत 39 देशों का समर्थन मिला था. इसके बाद ही ICC के चीफ प्रॉसिक्यूटर करीम असद अहमद खान ने जांच शुरु कर अदालत से गिरफ्तारी वारंट जारी करवाया है.पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश बैरिस्टर करीम असद अहमद खान जून 2021 में  ICC के प्रॉसिक्यूटर बने. उनके चयन के दौरान भी काफी लॉबिंग हुई थी और उन्हें इस पद के लिए कोई बहुत बड़ा बहुमत हासिल नहीं.वारंट जारी होने के बाद ICC का न्याय क्षेत्र स्वीकार करने वाले और रोम स्टेट्यूट के सदस्य देशों के लिए यह अपेक्षित होगा कि अगर पुतिन उनके यहां आते हैं तो उन्हें गिरफ्तार कर अदालत के सामने पेश करें. हालांकि मौजूदा हालात में राष्ट्रपति पुतिन के किसी पश्चिमी देश या इस संधि के हामी देश का दौरा करने की संभावना न के बराबर है. 


रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिजा झरकोवा ने पहले ही वारंट को खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि रूस रोम स्टेट्यूट का हिस्सा नहीं है. ऐसे में उसके ऊपर ऐसे किसी वारंट को अमल करने का कोई बंधन नहीं है. ऐसे में फिलहाल ICC के वारंट पर कार्रवाई न तो रूस में हो सकता है और न किसी अन्य देश में क्योंकि राष्ट्रपति पुतिन ने बीते एक साल में विदेश यात्राएं भी बहुत सीमित देशों की ही की हैं.


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