International Democracy Day: वर्ल्ड डेमोक्रेसी इंडेक्स में गिर रही भारत की रैंकिंग, जानें क्या हैं लोकतंत्र के असली मायने
International Democracy Day: EIU हर साल डेमोक्रेसी को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी करता है. इसके मुताबिक 2014 के बाद से ही लगातार भारत के डेमोक्रेसी इंडेक्स में गिरावट दर्ज की गई है.
![International Democracy Day: वर्ल्ड डेमोक्रेसी इंडेक्स में गिर रही भारत की रैंकिंग, जानें क्या हैं लोकतंत्र के असली मायने International Democracy Day India ranking in Democracy Index EIU V-Dem and freedom House report Meaning of strong Democracy International Democracy Day: वर्ल्ड डेमोक्रेसी इंडेक्स में गिर रही भारत की रैंकिंग, जानें क्या हैं लोकतंत्र के असली मायने](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/09/15/8c3c20a47fe2da0525a411d6c57078f51663231932445356_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
International Democracy Day: भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर जाना जाता है. जहां हर धर्म के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं और राज्य से लेकर केंद्र तक की सरकारें जनता के वोटों से चुनी जाती हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में अलग-अलग इंटरनेशनल रिपोर्ट्स में भारतीय लोकतंत्र की जो तस्वीर पेश की गई है, वो काफी चौंकाने और परेशान करने वाली है. डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत की रैंकिंग लगातार गिरती नजर आ रही है. हर साल इसके आंकड़े सामने आते हैं, जिस पर खूब चर्चा होती है. हालांकि सरकार ने ऐसे आंकड़ों को मानने से हर बार इनकार किया है.
15 सितंबर को दुनियाभर में इंटरनेशनल डेमोक्रेसी डे मनाया जा रहा है. इस मौके पर हम भारत और दुनिया के तमाम देशों में मौजूद लोकतंत्र की बात करेंगे. साथ ही ये भी बताएंगे कि किसी भी देश और वहां रहने वाले लोगों के लिए असली लोकतंत्र के क्या मायने हैं.
इकनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (EIU) की रिपोर्ट
इकनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट यानी EIU हर साल डेमोक्रेसी को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी करती है. इसके मुताबिक 2014 के बाद से ही लगातार भारत के डेमोक्रेसी इंडेक्स में गिरावट दर्ज की गई है. तब भारत की रैंकिंग 27 थी, वहीं EIU की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत डेमोक्रेसी इंडेक्स में 46वें पायदान पर है. जो साउथ अफ्रीका से भी दो पायदान नीचे है. ये रिपोर्ट 2022 में ही जारी की गई है. डेमोक्रेसी इंडेक्स के टॉप-10 देशों में नॉर्वे सबसे पहले नंबर पर है. इसके बाद न्यूजीलैंड, फिनलैंड, स्वीडन, आइसलैंड, डेनमार्क, आयरलैंड, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया और स्विटरलैंड का नाम लिस्ट में शामिल है.
हालांकि इससे एक साल पहले यानी 2021 में जारी हुई रिपोर्ट में हालात और ज्यादा बदतर थे. EIU की 2021 वाली रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग 53वें स्थान तक फिसल गई थी. ये रिपोर्ट 2020 की थी जिसे 2021 में जारी किया गया. इसमें बताया गया था कि 2019 के मुकाबले भारत की रैंकिंग दो पायदान नीचे फिसल गई.
V-Dem डेमोक्रेसी रिपोर्ट में भी भारत पीछे
स्वीडिश संस्था V-Dem भी हर साल डेमोक्रेसी को लेकर अपनी एक रिपोर्ट जारी करती है. 2022 में जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत डेमोक्रेसी के मामले में 93वें पायदान पर है. इस रिपोर्ट में भारत को दुनिया के 10 निरंकुश देशों की लिस्ट में शामिल किया गया है. इस रिपोर्ट को काफी ऑथेंटिक माना जाता है. क्योंकि इसमें 3500 से ज्यादा देशों के एक्सपर्ट मौजूद थे, 7 मिलियन ग्राफ बनाए गए, 730 बैठक हुईं और करीब 106 स्कॉलर भी शामिल हुए. इस रिपोर्ट में भारत को इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी की तरफ बढ़ता हुआ दिखाया गया. रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले 10 सालों में ये काफी तेज गिरावट है.
V-Dem डेमोक्रेसी रिपोर्ट को कई पहलुओं को देखते हुए बनाया जाता है. इसमें इलेक्टोरल डेमोक्रेसी भी शामिल है. जिसमें भारत की रैंकिंग और ज्यादा खराब है. इसमें भारत दुनिया में 101वें स्थान पर है. जो म्यांमार से महज दो स्थान ऊपर है. वहीं वर्ल्ड लिबरल डेमोक्रेसी में भारत 97वें स्थान पर काबिज है.
फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में भारत आंशिक रूप से स्वतंत्र
अमेरिका के थिंक टैंक फ्रीडम हाउस की डेमोक्रेसी रिपोर्ट-2021 में भारत को आंशिक रूप से स्वतंत्र का दर्जा दिया गया. इस रिपोर्ट में भारत को 100 में से 62 अंक दिए गए. नागरिक अधिकारों में भारत को 60 में से 33 अंक दिए गए. वहीं फ्रीडम हाउस की 2020 की रिपोर्ट में भारत को 70 अंक दिए गए थे. तब भारत को पूरी तरह आजाद वाला दर्जा दिया गया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में देशद्रोह कानून का दुरुपयोग किया गया. जिससे रैंकिंग पर असर पड़ा है. इसमें बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को निशाना बनाने का भी आरोप लगाया गया.
फ्रीडम हाउस की इस रिपोर्ट का भारत की तरफ से विरोध किया गया. भारत सरकार ने इसे भ्रामक और पूरी तरह से गलत बताया. सरकार की तरफ से कहा गया कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था पूरी तरह से ठीक है और इसमें सुधार हो रहा है. इतना ही नहीं सरकार ने यहां तक कहा था कि भारत को लोकतंत्र पर किसी के उपदेशों की जरूरत नहीं है. वहीं विपक्षी दलों की तरफ से इस रिपोर्ट को लेकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला गया.
क्या हैं लोकतंत्र के मायने?
यूनानी दार्शनिक वलीआन के मुताबिक असली लोकतंत्र वो है जो - जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए हो... इसे अंग्रेजी में “of the people, by the people, for the people” कहा जाता है. अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने भी इसे दोहराया था. लॉर्ड ब्राइस ने कहा था कि, लोकतंत्र शासन का वो तरीका है जो एक विशेष वर्ग में न रहकर समाज के हर नागरिक में निहित होती है.
वहीं ऑस्टिन ने भी कुछ इसी तरह लोकतंत्र को परिभाषित किया. उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र वो शासन व्यवस्था है जिसमें सरकार से ज्यादा जनता का बड़ा हिस्सा शासक के तौर पर होता है. भारत के पूर्व राष्ट्रपति और साइंटिस्ट एपीजे अब्दुल कलाम ने लोकतंत्र को लेकर कहा था कि, किसी भी लोकतंत्र में हर नागरिक का सुख, विशिष्टता और खुशी... समग्र समृद्धि शांति और राष्ट्र की खुशी के लिए महत्वपूर्ण है.
ये भी पढ़ें -
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)