नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की कवायद के चलते अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स रैकेट चलाने वाले 39 साल के किशन सिंह को प्रत्यर्पण के बाद रविवार रात लंदन से भारत लाया गया. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का यह पहला मामला है, जब किसी ड्रग्स तस्कर को विदेश से प्रत्यर्पण करवाने में सफलता मिली है. हालांकि, पुलिस को इस पूरी प्रक्रिया में लगभग दो साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी, तब जाकर यूके सरकार ने आरोपी के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी. स्पेशल सेल की टीम आरोपी को दिल्ली ले आयी.


क्या है मामला?


स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव यादव का कहना है कि स्पेशल सेल ने साल 2017 में ड्रग्स तस्करी करने वाले इस गैंग का पर्दाफाश किया था. इस केस में हरप्रीत सिंह को गिरफ्तार किया था. उसकी निशानदेही पर दो अन्य साथी अमनदीप और हरनीश हरपाल को गिरफ्तार कर 25 किलो ड्रग्स बरामद की थी. इस ड्रग्स की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगभग 50 करोड़ रुपये थी. इस 'म्याऊं म्याऊं' नाम की ड्रग्स की डिमांड मुंबई और दिल्ली में आयोजित होने वाली रेव पार्टियों में काफी रहती है.


पूछताछ में हुआ था किशन सिंह के नाम का खुलासा


डीसीपी संजीव यादव ने बताया कि पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया था कि वह राजस्थान निवासी किशन सिंह के लिए काम करते हैं. इस केस में पुलिस को किशन की तलाश थी. किशन के बारे में जानकारी मिली कि वह लंदन में रहता है. हरनीश ने बताया था कि वह एमबीए करने के लिए स्टूडेंट वीजा पर लंदन गया था. वहीं उसकी मुलाकात किशन सिंह से हुई थी. जिसके बाद वह ड्रग रैकेट के इस धंधे में शामिल हो गया. इसके बाद किशन सिंह को लेकर जानकारी मिली कि वह मूल रूप से नागौर, राजस्थान का रहने वाला है. वह 2009 में लंदन गया था. वहां पर उसने अपना बिज़नेस शुरू किया.


2015 में उसे यूके की नागरिकता मिल गई, जिसके बाद वह 'म्याऊं म्याऊं' नामक ड्रग्स की तस्करी करने लगा. वह भारत से कूरियर के माध्यम से ड्रग्स मंगवाया करता था. इसके लिए उसने अपने साथी भारत में सक्रिय किए हुए थे. जब उसका नाम ड्रग्स तस्करी में सामने आया तो वह दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के एनडीपीएस एक्ट के केस में वांटेड था. वर्तमान में वह हेस लंदन यूनाइटेड किंगडम में रह रहा था.


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