International Lawyers Conference 2023: 'कानून की भाषा ऐसी हो कि देशवासियों को अपना लगे', लॉयर्स कांफ्रेंस में बोले पीएम मोदी
International Lawyers Conference 2023: इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस में देश दुनिया से जज और वक़ील जुटे हैं. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कांफ्रेंस का आयोजन किया है.
International Lawyers Conference 2023: बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 23 और 24 सितंबर को ‘न्यायिक व्यवस्था में उभरती चुनौतियां’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय वकील सम्मेलन (International Lawyers Conference 2023) का आयोजन किया है. कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ शनिवार (23 सितंबर) को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हुआ है. पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने देश दुनिया से जुटे वकीलों को संबोधित भी किया. PM मोदी ने कहा कि उनकी सरकार न्यायपालिका के कामकाज को आम लोगों की भाषा में सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है. अगर न्यायपालिका का कामकाज अपनी भाषा में होगा तो देश के लोगों को वह अपना लगेगा.
लॉयर्स कॉन्फ्रेंस में संबोधित करते हुए PM मोदी ने कहा, “इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस वसुधैव कुटुंबकम की भारत की भावना का प्रतीक बन गई है. किसी भी देश के निर्माण में वहां की लीगल फैटरनिटी की बहुत बड़ी भूमिका होती है. भारत में सालों से न्यायपालिका भारत की न्याय व्यवस्था की संरक्षक रही है.”
महिला आरक्षण विधेयक का किया ज़िक्र
पीएम मोदी ने कहा, “यह कॉन्फ्रेंस ऐसे समय हो रही है जब भारत कई ऐतिहासिक निर्णयों का साक्षी बना है. हाल ही में भारत की संसद ने लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33% आरक्षण देने का कानून पास किया है. नारी शक्ति वंदन कानून भारत में वुमन लीड डेवलपमेंट को नई दिशा देगा. नई ऊर्जा देगा. कुछ दिनों पहले ही जी20 के ऐतिहासिक आयोजन में दुनिया ने हमारी डेमोक्रेसी, हमारी डेमोग्राफी और हमारी डिप्लोमेसी की झलक भी देखी. एक महीने पहले आज ही के दिन भारत चंद्रमा के साउथ पोल के समीप पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया. ऐसी अनेक उपलब्धियां के आत्मविश्वास से भारत आज 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य के लिए मेहनत कर रहा है. निश्चित तौर पर इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत को एक मजबूत निष्पक्ष स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था का आधार चाहिए. मुझे विश्वास है इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस इस दिशा में भारत के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा."
'समस्या ग्लोबल तो लड़ाई भी ग्लोबल होगी'
पीएम मोदी ने आगे कहा कि 21वीं सदी में आज हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जो डिप्ली कनेक्ट है. हर लीगल इंस्टीट्यूशन अपने जूरिडिक्शन को लेकर बहुत सचेत है. लेकिन ऐसी कई ताकतें हैं जिनके खिलाफ हम लड़ रहे हैं. वे बॉर्डर्स या जूरिडिक्शंस की परवाह नहीं करतीं और जब खतरे ग्लोबल है तो उनसे निपटने का तरीका भी ग्लोबल होना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहा, “साइबर टेररिज्म हो, मनी लॉन्ड्रिंग हो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो और इसके दुरुपयोग की भरपूर संभावनाएं हों. ऐसे अनेक मुद्दों पर सहयोग के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क तैयार करना सिर्फ किसी शासन या सरकार से जुड़ा मामला नहीं है. इसके लिए अलग-अलग देश में लीगल फ्रेमवर्क को भी एक दूसरे से जोड़ना होगा. जैसे हम एयर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए मिलकर काम करते हैं. इस तरह हमें अलग-अलग डोमेन में ग्लोबल फ्रेमवर्क तैयार करना ही होगा."
लोक अदालतों की कार्यशैली को सराहा
पीएम ने कहा, "एक अहम विषय अल्टरनेट डिस्प्यूट रेजोल्यूशन (एडीआर) का है. कमर्शियल कनेक्शन की के साथ दुनिया भर में एडीआर का चलन तेजी से बढ़ा है. मुझे बताया गया है कि इस कॉन्फ्रेंस में इस विषय पर भी विस्तार से बात होने वाली है. भारत में तो सदियों से पंचायत के जरिए विवादों के निपटान की व्यवस्था रही है. यह हमारे संस्कार में रहा है. इस इनफॉर्मल व्यवस्था को एक व्यवस्थित रूप देने के लिए भी भारत सरकार ने मेडिएशन एक्ट बनाया है. भारत में लोक अदालत की व्यवस्था भी विवादों को हल करने की दिशा में बड़ा माध्यम है. मुझे याद है जब मैं गुजरात में था तब एवरेज एक मामला का न्याय होने तक सिर्फ 35 पैसे का खर्च होता था. पिछले 6 साल में करीब 7 लाख मामलों को लोक अदालतों में सुलझाया गया है."
स्थानीय भाषाओं में न्यायिक कामकाज की व्यवस्था करेगी सरकार
न्यायालयों की कार्यवाही स्थानीय भाषाओं में करने की व्यवस्था की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए PM मोदी ने कहा, "साथियों जस्टिस डिलीवरी का एक और बड़ा पहलू है, जिसकी चर्चा बहुत कम होती है. वह है भाषा और कानून की सरलता. अब हम भारत सरकार में भी सोच रहे हैं की कानून दो प्रकार से प्रस्तुत किया जाए. एक जिस भाषा में आप लोग सरल हैं (अंग्रेजी), और दूसरा देश का सामान्य मानव समझ सके ऐसी भाषा. उसको कानून भी अपना लगना चाहिए. हम कोशिश कर रहे हैं."
इसमें सिस्टम की अड़चनों का ज़िक्र करते हुए PM ने कहा, "सिस्टम भी इस ढांचे में पली बड़ी है तो इसमें समय लगेगा. मेरे पास समय भी बहुत है तो मैं करता रहूंगा. सरकार के तौर पर अब हम भारत में नए कानून को जितना ज्यादा सरल बना सकें, जितना हो सके उतना हम भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करा सकें, उस दिशा में हम प्रयत्न कर रहे हैं."
चीफ़ जस्टिस का जताया आभार
कार्यक्रम में मौजूद चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ का आभार जताते हुए PM मोदी ने कहा, "भारत की न्याय व्यवस्था में बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है. मुख्य न्यायाधीश ने जजमेंट को लोगों की भाषा में हम उपलब्ध कराएंगे यह आश्वासन दिया है. इतने से काम में 75 साल लग गए और इसके लिए भी मुझे आना पड़ा. फिर जस्टिस ने अपने आदेशों को सामान्य भाषा में जारी करने की पहल की है."
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर मरीज से डॉक्टर उसी की भाषा में बात करें तो उसकी आधी बीमारी ठीक हो जाती है, लेकिन यहां कोर्ट में यह मामला बाकी है.
तकनीक के इस्तेमाल की सलाह
इस दौरान PM मोदी ने न्यायपालिका के कार्यों में अत्याधुनिक तकनीक के अधिक से अधिक इस्तेमाल की सलाह देते हुए कहा,"हम टेक्नोलॉजी से रिफॉर्म से न्यू जुडिशल प्रैक्टिस से कानूनी प्रक्रिया को कैसे और अच्छा कर सकते हैं इस पर निरंतर काम होना चाहिए. टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट ने ज्यूडिशरी सिस्टम के सामने बड़े विकल्प खोले हैं. टेक्नोलॉजी ने हमारे ट्रेड, इन्वेस्टमेंट और कॉमर्स को बहुत बड़ा बना दिया है. ऐसे में लीगल प्रोफेशन से जुड़े लोगों को भी इस टेक्नोलॉजी के रिफॉर्म से ज्यादा से ज्यादा जोड़ना होगा.
कॉन्फ्रेंस में किन मुद्दों पर होगी चर्चा
इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस का मुख्य मकसद अंतरराष्ट्रीय महत्व वाले कई कानूनी पहलुओं पर सार्थक चर्चा है. इससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और कारों ने मामलों को समझने में मदद मिलेगी. चर्चा के मुख्य बिंदुओं में उभरते कानूनी रूझानों, अंतरराष्ट्रीय मुकदमों की चुनौती, लीगल टेक्नोलॉजी तथा पर्यावरण कानून जैसे मुद्दे शामिल हैं. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी के अलावा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, हाईकोर्ट के जजों, वरिष्ठ वकीलों समेत देशभर से कानून के क्षेत्र के दिग्गज हिस्सा लेने के लिए आए हैं. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, लॉर्ड चांसलर और यूनाइटेड किंगडम के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर जस्टिस के सदस्यों ने भी शिरकत की है.