(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कोरोना संकट में अंतरराष्ट्रीय पौधारोपण दिवस पर स्फीहा ने लगाए हजारों पौधे, सोशल डिस्टेंसिंग का हुआ पालन
पेड़ पौधे लगाने से मानव जीवन को बचाने के साथ साथ ये मिट्टी के छरण को रोकता है. भूजल स्तर बढ़ाता है. साथ दूसरी जगहों की अपेक्षा ऐसी जगहों पर तापमान 3 से 4 डिग्री कम होता है.
पूरी दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है. इस आपदा में लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. ऐसे में इस महामारी के दौरान एनजीओ स्फीहा ने अंतरराष्ट्रीय पौधारोपण दिवस पर देश में हजारों पौधे लगाए. पूरी दुनिया में इकोसिस्टम खराब हो रहा है. लगातार पेड़ कटाई और प्राकृतिक आपदाओं से जंगल पेड़ खत्म हो रहे है. जहरीली गैस के उत्सर्जन से सांस लेना मुश्किल हो गया है. ऐसे में पेड़ पौधों को लगाने की महत्ता बेहद बढ़ जाती है. स्फीहा ने कोरोना महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और दूसरे नियमों का पालन करते हुए ने 75 शहरों मे 115 जगहों पर पौधारोपण किया.
1000 वॉलंटियर्स ने करीब 3000 पौधे लगाए. इस दिन को सफल बनाने और पर्यावरण के लिए कुछ करने की चाह के चलते एनजीओ स्फीहा के 1000 वालंटियर ने करीब 3000 पौधे लगाए. इन पौधों में 60 अलग-अलग किस्मों के पौधे थे जिनमें फल, फूल से लेकर आयुर्वेदिक दवाइयों में काम आने वाले पौधे थे. राजधानी दिल्ली में भी करीब 225 वॉलंटियर्स ने करीब 200 अलग अलग किस्म का पौधारोपण किया.
मानवजाति को बचाने के लिए जरूरी है पौधारोपण लगातार होता औद्योगिकरण, फैक्ट्रियों से निकलत्ते धुंए और वनों और जंगलों के प्रति उदासीनता ने मनुष्य का जीवन खतरे में डाल दिया है. पेड़ पौधे लगाने से मानव जीवन को बचाने के साथ साथ ये मिट्टी के क्षरण को रोकता है. भूजल स्तर बढ़ाता है. साथ ही दूसरी जगहों की अपेक्षा ऐसी जगहों पर तापमान 3 से 4 डिग्री कम होता है. इसलिये मानव जीवन को बचाना है तो बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग मे ऐसे कदम उठाने बेहद जरूरी है.
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