Women's Day: संसार के हर देश में आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस जोर-शोर से मनाया जा रहा है. इस दिन महिलाओं के सामाजिक योगदान और समाज निर्माण में भूमिका की चर्चा की जाती है. जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और वहां महिलाओं को पुरस्कृत किया जाता है, लेकिन इस महिला दिवस हम आपको कुछ अलग बताना चाहते हैं. इस बार हम आपको एक शहीद की वीरांगना के बारे में बता रहे हैं. हम आपको बता रहे हैं पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए कन्नौज के रहने वाले प्रदीप की वीरांगना के बारे में. कैसे इस महिला के अंदर आज भी देश के लिए वही जोश और हिम्मत है.


पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए. इसमें कन्नौज के रहने वाले प्रदीप सिंह यादव भी थे. प्रदीप देश की खातिर शहीद हो गए और अपने पीछे पत्नी नीरज और दो बेटियों को छोड़ गए. पति को खोने के बाद भी नीरज के मन में देशभक्ति की वही भावना है. वह कहती हैं कि पति की शहादत पर उन्हें बहुत गर्व है. नीरज की आंखें उस पल को याद कर नम हो जाती हैं जब शहीद प्रदीप सिंह यादव का पार्थिव शरीर घर आया था.


पति को याद कर पत्नी नीरज कहती हैं कि 14 फरवरी की सुबह साढ़े नौ बजे पति से बात हुई थी. उन्होंने श्रीनगर जाने के बारे के बताया था. इसके बाद शाम को हमले की खबर मिली. प्रदीप के जाने के बाद से पत्नी की दुनिया उजड़ गई. पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के खिलाफ सरकारी कार्रवाई से वो संतुष्ट हैं. वह कहती हैं कि आतंक का जड़ से खात्मा ज़रूरी है ताकि जैसे उनका परिवार उजड़ा है किसी और का न उजड़े.


नीरज कहती हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ जो गुस्सा है वो कभी खत्म नहीं होने वाला है. उनका कहना है कि अगर हमारे 4 मरते है तो उनके 400 मरने चाहिए. सरकार से अपील करते हुए वह कहती हैं कि उनके पति को शहीद का दर्जा मिले. नीरज मांग करती हैं कि देश के लिए जान देने वाले हर जवान को शहीद का दर्जा मिलना चाहिए. नीरज के अंदर आज भी देश के लिए वही जोश और जज्बा है.
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