Women's Day: महिला दिवस पर एबीपी न्यूज़ शहीदों की वीरांगना की कहानी बता रहा है. यहां हम आपको बताएंगे शहीद सीआरपीएफ जवान राम वकील की वीरांगना के बारे में. राम वकील ने पत्नी गीता से वादा किया था कि दो महीने बाद जब वह लौटकर आएंगे तो घर बनाएंगे, लेकिन अफसोस वह अब कभी लौटकर नहीं आएंगे. उनके कभी न लौटने की बात दिमाग में आते ही पत्नी गीता की आंखों में आंसू आ जाते हैं. गीता फिर तुरंत खुद को संभालती हैं और परिवार के सदस्यों को भी हिम्मत देती हैं.


पुलवामा आतंकी हमले को 22 दिन बीत चुके हैं, लेकिन आज भी पति की याद में पत्नी गीता की आखें नम हो जाती हैं. राम वकील सबको अलविदा बोलते हुए देश की रक्षा में 14 फरवरी को 40 सीआरपीएफ जवानों के साथ शहीद हो गए. उत्तर प्रदेश के मैनपुरी स्थित विनायकपुर गांव में शहीद राम वकील की समाधी बनाई गई है. समाधि पर रखे फूल सूख चुके हैं, लेकिन पत्नी के मन में पति की यादें जीवित हैं.


शहीद राम वकील पत्नी गीता से अपना वादा अधूरा छोड़कर चले गए. घर बनाने के अब उस वादे की क्या मुराद जब पत्नी का सुहाग ही उजड़ गया. राम वकील के तीन बेटे हैं, बेटों को वह अधिकारी बनाना चाहते थे. पत्नी गीता को समझ नहीं आ रहा कि वो अकेले पति के सपने को पूरा कैसे करेंगी. तीन बेटों में दूसरे नंबर पर अर्पित हर वक्त पिता की याद में आर्मी वाला कैप लगाए रखता है. वह पिता की शहादत का बदला लेने फौज में जाना चाहता है.



बेटों के सिर से पिता का साया उठ चुका है. अब उन्हें बस मां का ही सहारा है. गीता खुद को संभालकर बेटों को अच्छी शिक्षा देना चाहती हैं जिससे वह अपने पिता के सपने को सच कर सकें.
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