Women's Day: पुलवामा आतंकी हमले में देश के 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए. इस महिला दिवस एबीपी न्यूज़ इन्हीं शहीदों की वीरांगनाओं की कहानी बता रहा है. यहां हम आपको बता रहे हैं कानपुर के शहीद जवान श्याम बाबू के बारे में. श्याम बाबू की पत्नी कहती हैं कि पुलवामा हमले के दिन पति ने कहा था कि श्रीनगर पहुंचकर फोन करेंगे और ये बोलते हुए उनकी आंखें नम हो जाती हैं.


श्याम बाबू की एक छह महीने की बेटी है जिसका नाम आरुषि है. आरुषि को जब तक पिता का वात्सल्य मिलता तब तक वो वतन के लिए शहीद हो गए. आरुषि का जब जन्म हुआ था तब पिता श्याम बाबू ड्यूटी पर थे. वह सिर्फ एक बार आरुषि को अपने हाथों से प्यार कर पाए थे. श्याम बाबू की पत्नी रूबी कहती हैं उनका आरुषि से बहुत लगाव था. रूबी बताती हैं कि ड्यूटी पर जाने के दौरान पति ने अनेक वादे किए थे. उन वादो को याद कर रूबी सिहर जाती हैं.


मात्र 26 साल की रूबी को अपने पति को खोने का गम तो बहुत है लेकिन उनकी हिम्मत अभी भी पत्थर की तरह मजबूत है. वह आरुषि को बेहतर शिक्षा देना चाहती हैं. घर में वह बर्बस श्याम बाबू की तस्वीर को निहारती रहती हैं. कहती हैं अब इसी तस्वीर का सहारा है. इसे देखकर ही जिंदगी गुजरानी पड़ेगी. 32 साल के श्याम बाबू घर के सबसे बड़े बेटे थे. उनकी कमाई से ही घर चलता था.



यूपी सरकार की ओर उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र दिया गया है. सीआरपीएफ के मुताबिक केंद्र सरकार से भी शहीद श्याम बाबू के परिवार को आर्थिक मदद की गई है. अब रूबी अपने दोनो बच्चों के साथ परिवार की देख-रेख कर रही हैं . गांव की सड़क के बीचों बीच शहीद के नाम का बैनर भी लगा है. कानपुर के रैगांव गांव के वीर जवान श्याम बाबू अमर हैं.


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