नई दिल्ली: ‘लाड़ो, लाड़ो, मेरी लाड़ो...’ ये बोल हैं देश की बेटियों को समर्पित एक गाने के जिसे भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (यानि आईटीबीपी) के एक जवान ने लिखे हैं और आवाज भी दी है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले इस गीत को रिलीज किया गया है. इस गीत का एक वीडियो भी रिलीज हुआ है जिसमें खुद ये जवान दिखाई पड़ रहे हैं.
देश के उत्थान और विकास में देश की बेटियों के योगदान को दर्शाने के साथ एक सैनिक की बेटी के माध्यम से इस गीत में हिमवीर (यानि आईटीबीपी के जवानों) की भावनाओं, ड्यूटी और सुरक्षा बलों की दृढ़ता को दर्शाया गया है .
इस गीत को लिखा भी हेड कांस्टेबल अर्जुन खेरियाल ने और गाया भी खुद उन्होनें ही है. इस गीत के माध्यम से अर्जुन खेरियाल ने आईटीबीपी के जवानों और बेटियों की भावनाओं के उतार चढ़ाव को बहुत संजीदगी से प्रदर्शित किया है .
भारत सरकार के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को पूरे जोर शोर से चलाया जा रहा है. हेड कांस्टेबल अर्जुन खेरियाल द्वारा इस गाने को महिला दिवस के उपलक्ष्य पर देश की बेटियों को समर्पित करते हुए खुद कंपोज किया और साथ ही गाया भी है.
गीत में शहीदों, उनके परिवारों और बेटियों का भी जिक्र है और बेटियों को सन्देश है कि अगर उसके पापा कर्त्तव्य पथ पर देश की सेवा में शहीद भी हो जाएं तो हमेशा ये समझें कि उनका साया बेटी पर हमेशा आशीर्वाद बनकर बना रहेगा . बेटियों को पढ़ाने, उन्हें क़ाबिल बनाने का सन्देश भी गीत के माध्यम से दिया गया है.
आपको बता दें कि देश में नारी सशक्तिकरण के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है . सुरक्षा बलों में भी महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि हुई है. आईटीबीपी में 2000 से अधिक महिला जवान हैं और वर्ष 2017 से भारत-चीन सीमा की दुर्गम अग्रिम चौकियों पर महिलाओं की तैनाती की जा रही है जो नारी सशक्तिकरण का ज्वलंत उदाहरण है. इन सीमाओं पर तापमान शून्य से 45 डिग्री नीचे तक चला जाता है और ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है.
आईटीबीपी देश का अग्रणीय अर्धसैनिक बल है और लद्दाख से लेकर सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश से सटी चीन सीमा की सुरक्षा में तैनात हैं. हिमालय की गोद में बर्फ से ढकी अग्रिम चौकियों पर रहकर देश की सेवा करना इनका मूल कर्तव्य है, इसलिए इनको ‘’हिमवीर’’ के नाम भी जाना जाता है.
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