नई दिल्ली: ग्लोबल इनवेस्टर और कई किताबों के लेखक रुचिर शर्मा ने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वापस आएंगे या नहीं इसकी 50-50 प्रतिशत संभावना है. 'डेमोक्रेसी ऑन द रोड: अ 25 ईयर जर्नी थ्रू इंडिया' के लेखक रुचिर ने भारतीय राजनीति और आगामी चुनाव में हार-जीत और लोगों के मूड पर एबीपी न्यूज़ से बात की. रुचिर अमेरिका में रहते हैं और उन्होंने दिल्ली, मुंबई और सिंगापुर में पढ़ाई की है. उन्होंने भारत के अलग-अलग हिस्सों में 27 दौरे किये हैं.


सवाल: 2019 में क्या होने वाला है?
जवाब: मोदी वापस आएंगे या नहीं इसकी 50-50 प्रतिशत संभावना है. एक साल पहले अगर यही सवाल पूछते कि मोदी चुनाव जीत रहें या नहीं? तो मैं कहता कि हां वो बिल्कुल जीत रहे हैं.


सवाल: लेकिन जनता का मूड कैसे बदला?
जवाब: भारत का एक राजनीतिक इतिहास है. अगर उसपर गौर करेंगे तो आप देखेंगे कि यहां एंटी इनकंबेंसी जैसा एक टर्म है. तो यहां यह काफी महत्व रखता है. मैंने एक साल पहले भी 50-50 की बात कही थी, कुछ लोग 90 प्रतिशत तक आश्वस्त थे कि मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे. लेकिन हमने गुजरात, कर्नाटक और यूपी में गठबंधन का महत्व देखा. यह एक बड़ी वजह है कि बीजेपी को नुकसान होगा.


सवाल: लेकिन यूपी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन विफल रहा...
जवाब: लखनऊ से वाराणसी हमारी टीम गई थी. जिसमें पत्रकार समेत 20 लोग थे. वहां जाने से पहले सभी का मानना था कि काफी कड़ा मुकाबला होने वाला है. क्योंकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ है. हम जब गोरखपुर पहुंचे तो लोगों का कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीतने वाले हैं. क्योंकि कांग्रेस का कोई वोटबैंक नहीं है. जो भी कांग्रेस को वोट मिलते हैं वह उम्मीदवारों के आधार पर मिलते हैं.


सवाल: प्रियंका की एंट्री से चुनाव पर क्या असर पड़ेगा?
जवाब: जब सोनिया गांधी राजनीति में काफी सक्रिय हुई थी तब ऐसी चर्चा थी कि प्रियंका गांधी भी राजनीति में आएंगी. पार्टी के कई नेता भी यही चाहते थे. क्योंकि सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर काफी राजनीतिक हंगामा हो रहा था. विपक्षी पार्टियां सोनिया गांधी पर सीधा हमला कर रही थी. उस समय अगर प्रियंका गांधी आती तो कांग्रेस आज और अधिक मजबूत होती. लेकिन आज राजनीति बहुत बदल गई है. मायावती और समाजवादी पार्टी मजबूत हुई है. ऐसे में उनका (प्रियंका) असर कम होगा.


सवाल: यूपी में कांग्रेस को फायदा होगा?
जवाब: कांग्रेस के पास काफी कम वक्त है. कुछ दिनों बाद चुनाव होंगे. ऐसे में प्रियंका गांधी को लाने से कोई खास असर नहीं पड़ेगा. उन्हें बहुत काम करना पड़ेगा. अगर प्रियंका गांधी गठबंधन की तरफ से वाराणसी से चुनाव लड़ेंगी तो काफी प्रभाव पड़ेगा. जब भी सभी पार्टियां गठबंधन में साथ आती है उसे काफी सफलता मिलती है.


सवाल: राहुल गांधी की राजनीति क्या है?
जवाब: राहुल गांधी काफी बदल गए हैं. कैंपेनिंग स्टाइल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह हो गई है. अप्रैल 2007 में मैं राहुल गांधी से मिला था और वह एक करीब दो घंटे तक बोले. तब मुझे लगा था कि इन्हें राजनीति सीखने में काफी वक्त लगेगा. मैं 2013 में भी मिला और वह काफी बदल गए थे.


सवाल: बीजेपी को कितनी सीट मिलेगी?
जवाब: पिछली बार उन्हें मात्र 31 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन उन्हें 282 सीटें मिली थी. ऐसा पहले कभी इतिहास में नहीं हुआ कि मात्र 31 प्रतिशत वोट से पूर्ण बहुमत मिला हो. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि विपक्षी पार्टियां अलग-थलग थी. इस बार गठबंधन साथ है ऐसे में बीजेपी को कम सीटें मिलेगी.


सवाल: क्या गठबंधन की सरकार बनेगी?
जवाब: नहीं. मेरे ख्याल से 20-30 सीटों पर निर्भर करेगा. सभी मानते हैं कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी. यह कहना मुश्किल है कि कितनी सीटें आएगी. हम एक बार फिर लोगों के बीच जाएंगे और उनकी राय जानने का प्रयास करेंगे.


सवाल: अगर बीजेपी को बहुमत नहीं मिला तो क्या नरेंद्र मोदी पीएम बनेंगे?
जवाब: दिल्ली में ऐसी चर्चा खूब हो रही है. 200 से अधिक सीटें आती है तो वह प्रधानमंत्री जरूर बनेंगे. 200 से कम आती है तो कोई दूसरा होगा ऐसी चर्चा खूब है. मेरी इसपर कोई राय अभी नहीं है. 2004 में लोगों से पूछा जाता था कि प्रधानमंत्री कौन होगा तो वह कहते थे वाजपेयी प्रधानमंत्री होंगे. उस समय काफी लोकप्रियता थी. सोनिया गांधी की कम लोकप्रियता थी.


सवाल: मोदी नहीं तो प्रधानमंत्री कौन होगा?
जवाब: आप जब क्षेत्र में जाते हैं तो ज्यादातर लोग नहीं सोचते हैं कि प्रधानमंत्री कौन होगा? वह सिर्फ सोचते हैं कि क्षेत्रीय नेता कौन है, उसका उम्मीदवार कौन है. इन चीजों पर काफी कुछ निर्भर करेगा.


सवाल: फिर किसकी सरकार बनेगी?
जवाब: कांग्रेस को 100 से कम सीटें आती है और क्षेत्रीय पार्टियां काफी अच्छा प्रदर्शन करती है, साथ ही बीजेपी को 200 से कम सीटें मिलती है तो स्थिति बदल जाएगी. लेकिन विपक्ष का एक ही मकसद है कि मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनें और माहौल वही बनता दिख रहा है.


सवाल: किसानों को 6000 रुपये की राहत और सामान्य वर्ग को आरक्षण देने से कितना प्रभाव पड़ेगा?
जवाब: कुछ ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. क्योंकि चुनाव से ठीक पहले इसकी घोषणा की गई. इसे सही ढ़ंग से लागू कर पाना आसान नहीं होगा.


सवाल: रोजगार के मुद्दे पर लोगों की क्या राय है?
जवाब: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोर वोट बैंक काफी मजबूत है. लेकिन जो मोदी के खिलाफ हैं वह इस मुद्दे को उठा रहे हैं. नोटबंदी के विरोध में लोग बोल रहे हैं. उनका कहना है कि इस फैसले से रोजगार गया, बिजनेस ठप हो गया.


सवाल: राम मंदिर के मुद्दे पर क्या सोचते हैं?
जवाब: चुनाव से ठीक पहले अगर किसी मुद्दे को उठाते हैं तो इसका असर नहीं होता है. राम मंदिर के मुद्दे को भी चुनाव से ठीक पहले उठाया गया तो उसका असर नहीं पड़ेगा. वोटर पांच साल के कामों को देखकर वोट करता हैं. सिर्फ तीन महीनों को नहीं देखता है.