नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत में सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया मामले में कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी को सही ठहराया है. जांच एजेंसी ने कहा कि कार्ति के जांच में असहयोग और लगातार विदेशी यात्राओं के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया है. हालांकि बचाव पक्ष के वकील ने इसका जबर्दस्त विरोध करते हुए कहा कि केन्द्रीय जांच एजेंसी ने पिछले छह महीनों में उनके मुवक्किल को तलब नहीं किया है.


सीबीआई के वकीलों ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को 15 दिन हिरासत में दिये जाने की मांग की. उन्होंने कहा, "कार्ति ने जांच में सहयोग नहीं किया और वे लगातार विदेश की यात्राएं कर रहे हैं जिससे सबूतों के साथ उनके और अन्य के द्वारा छेड़छाड़ की आशंकाओं की पुष्टि होती है."


सीबीआई ने दलील दी कि कार्ति को गिरफ्तार किए जाने का एक और आधार यह है कि एजेंसी ने आईएनएक्स मीडिया लिमिटेड की पूर्व निदेशक इंद्राणी मुखर्जी के 17 फरवरी को मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज किये थे. इंद्राणी ने अपने बयान में कहा था कि हयात होटल में आईएनएक्स मीडिया की तरफ से कार्ति को 10 लाख अमेरिकी डॉलर की राशि दी गई थी.


सीबीआई की दलीलों का विरोध करते हुए कार्ति के वकील ए एम सिंघवी ने कहा कि यह एक बेतुका मामला है और गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं बनता है. उन्होंने दलील दी कि कार्ति को सीबीआई ने पिछले साल दो बार 23 अगस्त और 28 अगस्त को तलब किया था और एजेंसी ने उनसे 22 घंटों तक पूछताछ की थी और इस दौरान कार्ति ने सभी सवालों के जवाब दिए थे.


सिंघवी ने कहा, "इन दो दिनों के बाद, उन्हें सीबीआई की तरफ से एक बार भी नहीं बुलाया गया. 180 दिन की चुप्पी के बाद वे कहते है कि कार्ति सहयोग नहीं कर रहे हैं.’’उन्होंने दावा किया कि गिरफ्तारी के लिए कोई कारण नहीं दिया गया. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए है क्योंकि सीबीआई अपने बॉस को दिखाना चाहते हैं कि ये कुछ काम कर रहे हैं.’’


वकील ए एम सिंघवी ने कहा कि कार्ति सीबीआई के साथ सहयोग कर रहे हैं और एजेंसी की हिरासत से रिहा करते समय अदालत कोई भी शर्त लगा सकती है. सिंघवी ने अदालत को बताया की कार्ति न्याय से भागे नही हैं.