आईएनएक्स मीडिया मामला : जानिए अब तक इस केस में क्या-क्या हुआ, कैसे पी चिदंबरम पर कसा शिकंजा
आईएनएक्स मीडिया मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है. आइए जानते हैं कैसे इस केस में चिदंबरम का नाम आया और कैसे उनको गिरफ्तार किया गया.
नई दिल्ली: आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. कांग्रेस के सीनियर नेता को एक के बाद एक जांच एजेंसी और कोर्ट से झटके लग रहे हैं. अब इस मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है. एबीपी न्यूज़ के पास प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दस्तावेज़ हैं, जिनके मुताबिक इस मामले में रिश्वत की रकम के तार सीधे चिदंबरम से जुड़े हैं. ईडी के ये दस्तावेज़ सीबीआई ने मंगाए थे. सीबीआई पी चिदंबरम को कस्टडी में लेकर लगातार पूछताछ कर रही है. वह 30 अगस्त तक सीबीआई कस्टडी में रहेंगे. ऐसे में इस केस में अब तक क्या क्या हुआ है आईए सिलसिलेवार तरीके से जान लेते हैं.
जानिए INX केस में कब-कब क्या हुआ?
-15 मई 2017 को INX मीडिया मामले में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की जिसमें इस समूह पर 2007 में विदेशों से 305 करोड़ रुपये लेने के लिए FIPB की मंजूरी हासिल करने में अनियमितता का आरोप लगाया गया.
-इसके बाद साल 2018 में ईडी ने इस संबंध में धन शोधन का मामला दर्ज किया. सीबीआई ने पूछताछ के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को समन किया.
-30 मई 2018 को चिदंबरम ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दे कर सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अग्रिम जमानत का अनुरोध किया.
-23 जुलाई 2018 को चिदंबरम ने प्रवर्तन निदेशालय के धन शोधन मामले में अग्रिम जमानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में गुहार लगाई.
-25 जुलाई 2018 को हाई कोर्ट ने दोनों ही मामलों में गिरफ्तारी से उन्हें अंतरिम राहत दी.
-25 जनवरी 2019 को हाई कोर्ट ने दोनों ही मामलों में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा.
-20 अगस्त 2019 को हाई कोर्ट ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत की याचिका ठुकराई. साथ ही कोर्ट ने कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से भी इनकार कर दिया.
-21 अगस्त 2019 को सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को एक नाटकीय घटनाक्रम के बाद रात में गिरफ्तार किया.
कैसे नाटकीय ढ़ंग से गिरफ्तार हुए पी चिदंबरम
पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम को 29 घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद दिल्ली के जोर बाग स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी से पहले चिदंबरम ने कांग्रेस दफ्तर पर करीब 8 बजकर 15 मिनट पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि वो कानून से भाग नहीं रहे थे बल्कि न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद पी चिंदबरम अपने जोर बाग स्थित आवास पहुंचे जहां सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
दरअसल जैसे ही हाई कोर्ट ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की तो तभी सीबीआई ने रात 11.30 बजे चिदंबरम के घर पर नोटिस लगा कर दो घंटे में पेश होने के लिए कहा. इसके बाद से ही उनका फोन ऑफ आने लगा और उनका कुछ पता नहीं चला. पी चिदंबरम और ईडी, सीबीआई के बीच रात भर लुका छुपी का खेल चलता रहा. सीबीआई ने पी चिदंबरम को चिट्ठी लिखकर दो घंटों में हाजिर होने का आदेश जारी किया था लेकिन वे सामने नहीं आए. बाद में चिदंबरम को सीबीआई ने जोरबाग स्थित उनके आवास से 21 अगस्त की रात गिरफ्तार किया था. उन्हें 22 अगस्त को अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें चार दिनों की सीबीआई हिरासत में सौंप दिया था.
इसके बाद चिदंबरम की तरफ से उनके वकील कपिल सिब्बल ने पहली याचिका जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एम शांतानागौर और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच के सामने पेश की. सुप्रीम कोर्ट में पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका ठीक तरीके से दाखिल नहीं की गई थी इसलिए सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट में उसे डिफेक्टेड लिस्ट में डाल दिया गया. इसके बाद चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका में सुधार किया और लंच के बाद जस्टिस रमना की बेंच के सामने दोबारा याचिका पेश की.
सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत वाली अर्जी पर राहत देने से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत वाली अर्जी पर राहत देने से साफ इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि क्योंकि अब पी चिदंबरम सीबीआई की हिरासत में है लिहाजा अग्रिम जमानत का तो सवाल ही नहीं उठता और अगर चिदंबरम चाहें तो निचली अदालत में ही जमानत याचिका दायर कर राहत की मांग कर सकते हैं. इसके बाद पिछले मंगलवार को सुनवाई के दौरान पी चिदंबरम को 30 अगस्त तक के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया. फिलहाल वह सीबीआई की कस्टडी में ही हैं.
मंगलवार को ईडी ने कोर्ट में कहा कि 12 देशों में है चिदंबरम की संपत्ति?
पिछले मंगलवार को ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया उसके मुताबिक, चिदंबरम की ऑस्ट्रिया, अर्जेंटीना, फ्रांस, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, मलेशिया, मोनाको, ग्रीस, फिलीपींस, श्रीलंका, सिंगापुर, साउथ अफ्रीका और स्पेन में संपत्ति है. आईएनएक्स मीडिया केस में बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग हुई है और चिदंबरम ने अपने करीबी विश्वासपात्रों और सह साजिशकर्ताओं के साथ मिलकर भारत और विदेश में शेल कंपनियों का जाल बनाया. ईडी ने कहा है, ‘’हमारे पास अपने दावों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. शेल कंपनियों का संचालन करने वाले लोग चिदंबरम के संपर्क में हैं और एजेंसी के पास इसके सबूत हैं.केवल हिरासत में ही पूछताछ सच्चाई को उजागर करेगी. यह न केवल ईडी का देश के प्रति कर्तव्य है कि काले धन को उजागर करे, बल्कि बेनामी कंपनियों में जमा धनराशि को भी जब्त करे.’’
क्या है चिदंबरम पर आरोप
चिदंबरम पर आरोप है कि उनके वित्त मंत्री रहने के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने में कथित अनियमितताएं बरती गई. इसको लेकर सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी. यह मंजूरी 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए दी गई थी. इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी 2017 में इस सिलसिले में मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया था.
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