INX मीडिया केस: कार्ति चिदंबरम को दिल्ली HC से मिली जमानत
न्यायमूर्ति एस पी गर्ग ने कार्ति को 10 लाख रुपये का एक जमानतदार देने का निर्देश दिया और उन पर देश से बाहर जाने की स्थिति में सीबीआई से पहले से अनुमति मांगने सहित अतिरिक्त शर्तें लगाईं हैं. कार्ति के वकील ने अदालत को बताया था कि उनका पासपोर्ट पहले से ही अधिकारियों के पास जमा है.
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने आज आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की जमानत मंजूर कर ली. सीबीआई ने कार्ति को 28 फरवरी को ब्रिटेन से लौटने पर गिरफ्तार किया था. इस मामले में उनकी 12 दिन की न्यायिक हिरासत कल खत्म होने वाली थी. न्यायमूर्ति एस पी गर्ग ने कार्ति को 10 लाख रुपये का एक जमानतदार देने का निर्देश दिया और उन पर देश से बाहर जाने की स्थिति में सीबीआई से पहले से अनुमति मांगने सहित अतिरिक्त शर्तें लगाईं हैं. कार्ति के वकील ने अदालत को बताया था कि उनका पासपोर्ट पहले से ही अधिकारियों के पास जमा है. अदालत ने कहा कि जमानत पर रहते हुए कार्ति इस मामले के किसी साक्ष्य से छेड़छाड़ नहीं करें. सीबीआई ने इस आधार पर उनकी जमानत याचिका का विरोध किया था कि वह इस मामले में पहले ही सबूत नष्ट कर चुके हैं और वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं. कार्ति चिदंबरम के वकील ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत कोई मामला नहीं बनता है क्योंकि सीबीआई ने न तो किसी लोक सेवक से पूछताछ की और ना ही इस मामले में उन्हें आरोपी बनाया. कार्ति के वकील ने सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोपों से इंकार किया था और कहा था कि जब सीबीआई ने उन्हें हिरासत में लेकर और पूछताछ का अनुरोध नहीं है तो उन्हें न्यायिक हिरासत में क्यों रखा जाना चाहिए. कार्ति चिदंबरम को पिछले साल 15 मई को दर्ज प्राथमिकी के संबंध में चेन्नई से गिरफ्तार किया गया था. इन पर उनके पिता के केन्द्रीय वित्त मंत्री रहते हुए 2007 में विदेश से करीब 305 करेाड़ रुपये का कोष प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी में अनियमितताओं का आरेाप है. सीबीआई ने शुरुआत में आरोप लगाया था कि कार्ति को आईएनएक्स मीडिया को बोर्ड की मंजूरी दिलाने के बदले रिश्वत के रूप में दस लाख रुपये मिले थे. भ्रष्टाचार मामले से पैदा धन शोधन के एक अन्य मामले में हाई कोर्ट ने नौ मार्च को प्रवर्तन निदेशालय को कार्ति को न तो गिरफ्तार करने और ना ही कोई दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. हाई कोर्ट का यह संरक्षण बाद में 22 मार्च तक बढ़ा दिया गया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ईडी का मामला अपने पास ट्रांस्फर कर लिया था.