नई दिल्ली: आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में दिल्ली की अदालत ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया, जहां वह 19 सितंबर तक रहेंगे. स्पेशल जज अजय कुमार कुहाड़ ने चिदंबरम को 19 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में तिहाड़ भेज दिया है.


स्पेशल जज ने कहा, "आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोप पाये गए थे, जिसके बाद उन्हें पुलिस हिरासत में भेजा गया था. जांच अब भी जारी है." उन्होंने कहा, "सीबीआई ने आशंका जतायी थी कि चिदंबरम का रूतबा और ओहदा बहुत बड़ा है, ऐसे में आरोपी जांच में व्यवधान पैदा कर सकता है. यह ऐसा मामला नहीं है जहां आरोपी को उसके रिमांड के विस्तार पर विचार करने के चरण में ‘रिहा’ किया जा सके जैसा कि अभियुक्त के अधिवक्ता ने प्रस्तुत किया है."


कोर्ट ने चिदंबरम को दी चश्मा और दवाइयां ले जाने की अनुमति


जज ने कहा, "मामले के सभी तथ्यों एवं परिस्थितियों, अपराध की प्रकृति, जांच स्थिति पर विचार करने के बाद आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजा जा रहा है." अदालत ने कांग्रेस नेता को अपने साथ चश्मा, दवाइयां आदि ले जाने की अनुमति दी और उन्हें पश्चिम शैली की शौचालय सुविधा मुहैया कराने का भी निर्देश दिया. अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि पूर्व वित्त मंत्री को तिहाड़ कारागार के अलग प्रकोष्ठ में रखा जाए क्योंकि उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है .


सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदातल को आश्वस्त किया कि जेल में चिदंबरम के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था होगी. अदालत ने चिदंबरम की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय को भी नोटिस जारी किया. इस याचिका में एजेंसी की ओर से दर्ज किये गए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कांग्रेस नेता ने आत्मसमर्पण करने की मांग की थी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने, दिल्ली हाई कोर्ट के 20 अगस्त के फैसले को चुनौती देने वाली चिदंबरम की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्हें अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया गया था.


सीबीआई की दो दिन की हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद गुरूवार को चिदंबरम (73) को दिल्ली की अदालत में पेश किया गया था. कांग्रेस नेता की 15 दिन की सीबीआई हिरासत की अवधि आज समाप्त हो रही है. विशेष अदालत ने उन्हें पांच चरणों में 15 दिनों के लिए सीबीआई हिरासत में भेजा था, जो 21 अगस्त की रात को उनकी गिरफ्तारी के साथ शुरू हुआ था.


मनी लॉन्ड्रिंग मामले पूछताछ के लिए ED हिरासत में जाने को तैयार थे चिदंबरम


चिदंरबम के वकील ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने की सीबीआई की दलीलों का विरोध किया. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता घोटाले के कारण पैदा हुए मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में जाने के लिए तैयार हैं, जिसमें शीर्ष अदालत ने गुरुवार को उन्हें अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है.


चिदंबरम को आज विशेष अदालत में पेश किया गया. इससे कुछ ही घंटे पहले कांग्रेस नेता ने उनके खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली थी. गैर जमानती वारंट जारी किये जाने के बाद चिदंबरम को सीबीआई की हिरासत में भेजा गया था.


पूर्व वित्त मंत्री को विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ की अदालत में पेश किया गया. कुहाड़ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का संज्ञान लेते हुए पूर्व वित्त मंत्री को दो दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया था कि कांग्रेस नेता पांच सितंबर तक सीबीआई की हिरासत में रहेंगे.


एयरसेल मैक्सिस मामले में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति को मिली अग्रिम जमानत


प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के 20 अगस्त के फैसले के खिलाफ चिदंबरम की अपील पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई की और हाई कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत नामंजूर किये जाने के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया.


शीर्ष अदालत के फैसले के कुछ ही घंटे बाद एक अन्य विशेष अदालत ने एयरसेल मैक्सिस मामले में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति को अग्रिम जमानत दे दी. आईएनएक्स मामले में अदालत में सीबीआई का प्रतिनिधित्व सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने किया जबकि चिदंरबम की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने की.


सुनवाई के दौरान, मेहता ने न्यायाधीश को प्रवर्तन निदेशालय मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और सीबीआई मामले में उनके अपनी याचिकाओं को वापस लेने के बारे में सूचित किया . सीबीआई ने अदालत से कहा कि चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है क्योंकि वह एक ताकतवर नेता हैं इसलिए उन्हें आजाद नहीं छोड़ा जा सकता.


कपिल सिब्बल ने पूछा चिदंबरम को जेल क्यों भेजा जाना चाहिए?


सिब्बल ने सीबीआई की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि चिदंबरम ने जांच को प्रभावित करने अथवा इसमें कोई बाधा उत्पन्न करने का प्रयास किया. उन्होंने आगे कहा कि आईएनएक्स मीडिया से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चिदंरबम प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में जाने के लिए तैयार हैं. इस मामले में शीर्ष अदालत ने चिदंबरम की याचिका गुरुवार को खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के फैसले को चुनौती दी थी .


सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम आत्मसमर्पण करेंगे और प्रवर्तन निदेशालय उन्हें हिरासत में लेगा. उन्होंने कहा, "मुझे (चिदंबरम) जेल (तिहाड़) क्यों भेजा जाना चाहिए" और इस बात के लिए दबाव दिया कि प्रवर्तन निदेशालय को उन्हें हिरासत में लेना चाहिए .


चिदंबरम की तरफ से सिब्बल ने तर्क दिया, "मेरे खिलाफ कुछ नहीं मिला है. कोई आरोप पत्र नहीं है. वह कहते हैं कि मैं ताकतवर एवं प्रभावशाली व्यक्ति हूं. लेकिन उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है. साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ का भी कोई सबूत नहीं है. किसी गवाह ने क्या ऐसा कुछ भी कहा है ?"


विधि अधिकारी का आरोप- चिदंबरम कर रहे थे विदेशों में बैंकों को प्रभावित


सॉलिसीटर जनरल ने सिब्बल के तर्क का विरोध करते हुए कहा कि वह जमानत के लिए दलील रख रहे हैं. हालांकि, सिब्बल ने चिदंबरम की ओर से कहा, "न्यायिक हिरासत के लिए आवेदन में दिए गए कारण का कोई आधार नहीं है. न्यायिक हिरासत में आपको मेरी क्या जरूरत है."


जब सॉलिसीटर जनरल ने सिब्बल से पूछा कि वह किस राहत की मांग कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा, "मैं (चिदंबरम) अपनी रिहाई के लिए दलील रख रहा हूं." मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी दलीलों को स्वीकार कर लिया है और सबूतों एवं गवाहों के साथ छेड़छाड़ करने की जबरदस्त आशंका है और विभिन्न देशों को भेजे गए अनुरोध पत्रों के जवाब का इंतजार है.


विधि अधिकारी ने आरोप लगाया कि चिदंबरम विदेशों में बैंकों को प्रभावित कर रहे थे. वह जांच में असहयोग कर रहे थे और यदि उन्होंने प्रभावित किया तो बैंक जांच में सहयोग नहीं भी कर सकते हैं. उन्होंने कहा, "यह मामला गंभीर आर्थिक अपराध का है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है." उन्होंने कहा कि चिदंबरम प्रभावशाली व्यक्ति हैं, चीजों पर उनका व्यापक नियंत्रण है और वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.


न्यायिक हिरासत का कोई औचित्य नहीं- सिब्बल


मेहता ने एक गवाह के बयान का जिक्र किया और कहा कि चिदंबरम इस गवाह को आसानी से प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने खुली अदालत में गवाह का नाम लेने से मना कर दिया. विधि अधिकारी ने कहा कि चिदंबरम की रिहाई के बारे में विचार करने का मौका अभी नहीं आया है. उन्होंने कहा कि चिदंबरम यकीनन जमानत के लिए बहस कर रहे हैं. इस पर, सिब्बल ने कहा कि यह जमानत के लिए दलील नहीं है बल्कि रिहाई के लिए है.


सिब्बल ने कहा, "न्यायिक हिरासत का कोई औचित्य नहीं है. इस अदालत के समक्ष कोई साक्ष्य नहीं रखा गया है. यह केवल दस्तावेज है. मैं क्या छेड़छाड़ करूंगा. मेहता ने कहा, "चिदंबरम की जमानत पर जब तक निर्णय नहीं कर लिया जाता है तब तक न्यायिक हिरासत के लिये यह मामला है."