नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम की गिरफ्तारी से संरक्षण की अवधि मंगलवार तक के लिये बढ़ा दी. जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अग्रिम जमानत रद्द करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ चिदंबरम की अपील पर मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी. यह मामला आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश के लिये दी गयी मंजूरी से संबंधित है. चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्ब्ल ने सोमवार को अपनी बहस पूरी की और कहा कि वह प्रवर्तन निदेशालय के हलफनामे के जवाब में अपना हलफमाना दाखिल करेंगे.
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह मंगलवार को बहस शुरू करेंगे. इस पर पीठ ने ईडी मामले की आगे सुनवाई कल के लिये सूचीबद्ध कर दी. इससे पहले, दिन में मनी लॉन्ड्रिंग के प्रवर्तन निदेशालय के मामले में चिदंबरम की ओर से बहस करते हुये सिब्बल ने कहा कि निष्पक्ष सुनवाई और निष्पक्ष जांच संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अधिकार का हिस्सा है और कोर्ट को चिदंबरम के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा करनी चाहिए.
सिब्बल ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता द्वारा पीठ के अवलोकन हेतु सीलबंद लिफाफे में चुनिन्दा दस्तावेज पेश करने के लिये दी गयी दलीलों का प्रतिवाद किया. उन्होंने कहा कि निदेशालय ने 19 दिसंबर, 2018, एक जनवरी, 2019 और 21 जनवरी, 2019 को चिदंबरम से तीन बार पूछताछ की लेकिन ईडी द्वारा उन पर लगाये गये आरोपों से संबंधित सवाल नहीं पूछे गये. सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक प्राथिमकी दर्ज की जिसमें आरोप लगाया गया था कि आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ का निवेश प्राप्त करने के लिये विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी देने में अनियमिततायें की गयीं. यह मंजूरी उस वक्त दी गयी थी जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे.
इसके बाद, 2017 में ही ईडी ने चिदंबरम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया. विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी के बारे में सिब्बल ने कहा कि बोर्ड में भारत सरकार के छह सचिव होते हैं और उनकी मंजूरी के बाद ही वित्त मंत्री होने के नाते चिदंबरम ने सिर्फ उस पर हस्ताक्षर किये थे. उन्होंने कहा कि निदेशालय का आरोप है कि इस मामले में छद्म कंपनियों का इस्तेमाल किया गया परंतु ऐसी कोई भी कंपनी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चिदंबरम से संबंधित नहीं थी. उन्होंने यह भी कहा कि निदेशालय की प्राथमिकी में चिदंबरम का नाम नहीं था और प्राथमिकी में उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाये गये थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम यूपीए-1 और यूपीए-2 सरकारों में वित्त मंत्री और गृह मंत्री थे.
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