पंजाब के मोहाली में स्थित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में 17 सितंबर को बवाल मच गया. दरअसल एक लड़की यूनिवर्सिटी हॉस्टल में नहाती हुई लड़कियों का वीडियो बनाती हुए पकड़ी गई. खबरों के मुताबिक इस लड़की ने लगभग 60 के करीब लड़कियों का MMS बनाया और उस वीडियो को कुछ लड़कों को शेयर कर दिया.
जिसके बाद पहले तो लड़कियों ने आपस में उस लड़की से बात करने की कोशिश की जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हो रहा है. इसी वीडियो में उस लड़की से जब पूछा गया कि उसने ये वीडियोज़ क्या खुद बनाए हैं, इस पर उस लड़की ने एक लड़के की फोटो दिखाई और बताया कि वो वीडियो उस लड़के के दबाव में बना रही थी.
फिलहाल पुलिस ने आरोपी लड़की को गिरफ्तार कर लिया है और उसपर मोहाली के पास खरड़ पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 354C और आईटी एक्ट 66A और 67A के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
इस घटना के बाद अब सवाल ये उठता है कि आखिर किसी महिला की इजाजत के बिना तस्वीरें खींचने और वायरल करने पर सजा का क्या प्रावधान है?
IPC की धारा 354C में इस अपराध को लेकर सजा का प्रावधान है. इसमें कहा गया है कि अगर कोई महिला कोई ऐसा काम कर रही है जो निजी हो. उसी समय उसको देखना अपराध की श्रेणी में आता है.
या जब कोई महिला कोई ऐसा काम करे जो आमतौर पर वो सार्वजनिक जगहों पर नहीं कर सकती और ठीक इसी समय कोई व्यक्ति उस महिला की फोटो खींच ले तो ये एक दंडनीय अपराध होगा. उसे दोषी माना जाएगा और 354C IPC के अंतर्गत सजा दी जाएगी. अगर आरोपी धारा 354C के अंतर्गत पहली बार दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम 3 साल की सजा हो सकती है इसके अलावा उसपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
वहीं व्यक्ति दूसरी बार दोषी पाया गया और उसे इसी धारा के तहत पहली बार दंडित किया जा चुका हो, ऐसे में उसे 3 साल से 7 साल तक की सज़ा हो सकती है और जुर्माना भी देना पड़ेगा.
वहीं आईटी एक्ट की धारा 66E कहती है कि अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य महिला या पुरुष के प्राइवेट पार्ट की तस्वीर उसके अनुमति के बगैर लेता है, उसे ऑनलाइन कही अपलोड करता है या छापता है. तो ऐसा करने वाला दोषी साबित होगा. ऐसी स्थिति में उसे 3 साल तक की कैद और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.
354C के अपराध में जमानत मिलती है या नहीं?
आरोपी अगर पहली बार धारा 354C के तहत दोषी पाया गया तो उसे जमानत मिल सकती है, लेकिन दोबारा अगर इसी धारा के तहत अपराध करता वहीं व्यक्ति पाया गया तो उसे जमानत नहीं मिलेगी.
आईपीसी की धारा 499, 500 और 501 का ले सकते हैं सहारा
इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर अपमानजनक तथ्य प्रसारित/प्रकाशित करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 499, 500 और 501 (आपराधिक मानहानि) का केस दर्ज किया जा सकता है.
अगर कोई किसी के खिलाफ सोशल मीडिया या इंटरनेट पर झूठी टिप्पणी कर रहा या आपके खिलाफ झूठ फैला रहा है, या आपके सम्मान को जानूझकर धूमिल कर रहा है तो उसके खिलाफ मजिस्ट्रेट के यहां मानहानि का दावा किया जा सकता है. इसमें कम से कम दो वर्ष की सजा का प्रावधान है.