नई दिल्ली: दिल्ली के मैक्स अस्पताल में चार दिन तक भर्ती रहने के बाद आईपीएस अनुज कुमार शुक्रवार को डिस्चार्ज हो गए. अनुज कुमार ने एबीपी न्यूज को घटना की पूरी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि करीब चालीस हजार उपद्रवियों के बीच घिर गए थे. इसके बावजूद वे अपने सीनियर आईपीएस अमित शर्मा को बचाकर लाए.


एबीपी न्यूज़ से बातचीत कर अनुज कुमार ने बताया कि सोमवार को चांद बाग मजार के पास वह डीसीपी अमित शर्मा और अपने स्टाफ के साथ मौजूद थे. उनकी कोशिश थी की सिगनेचर ब्रिज वजीराबाद से आगे यमुना विहार गाजियाबाद की तरफ जाने वाली इस इंपॉर्टेंट रोड को उपद्रवी बंद ना कर दें. अनुज कुमार ने बताया उस समय तकरीबन 11 बज रहे थे, क्योंकि यह इलाका काफी घनी आबादी का था. सड़क पर बड़ी संख्या में डिवाइडर के पास महिलाएं भी थीं. अचानक ही एक समुदाय के लोग इकट्ठा होते-होते हजारों की संख्या में पहुंच गए. इस भीड़ ने करीब 40 हजार लोगों का रूप ले लिया था.


पत्थर, रॉड के अलावा उपद्रवियों के पास का फावड़ा


अनुज कुमार ने बताया कि भीड़ और पुलिस फोर्स के बीच में बेहद कम दूरी थी, इसलिए टियर गैस का भी इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे. फिर अचानक भीड़ हिंसक हो गई. जबरदस्त पथराव शुरू हो गया. वह चाहते तो फायरिंग कर सकते थे लेकिन इस बात की आशंका थी कि भीड़ में बड़ी संख्या में महिलाएं भी थीं और पथराव कर रहे उपद्रवियों की पहचान करना मुश्किल था.


अनुज ने बताया डर इस बात का भी था की कहीं गोली महिलाओं और बच्चों को ना लग जाएं. उपद्रवियों ने इसी बात का फायदा उठाया था और फिर पत्थरों रोड और दूसरे हथियारों के साथ फायरिंग भी शुरू कर दी. इसी बीच अनुज कुमार की नजर डीसीपी अमित शर्मा के ऊपर गई. अमित शर्मा सड़क पर पड़े हुए थे उनके मुंह से खून निकल रहा था और भीड़ जान लेने पर उतारू थी. अनुज कुमार खुद घायल हो चुके थे. सवाल ये था कि अनुज कुमार बेहोश हो चुके अपने सीनियर आईपीएस अमित शर्मा को कैसे बाहर निकालें?


जान पर खेलकर अपने सीनियर को भीड़ से निकाला


अनुज शर्मा के मुताबिक भीड़ बेहद हिंसक थी. उन्होंने अपने स्टाफ के साथ मिलकर किसी तरीके से अपने सीनियर अमित शर्मा को उठाया और ग्रील के सहारे उनको दूसरी तरफ बैठाया. अमित शर्मा बेहोश थे. जिसके बाद किसी तरह से भीड़ से निकालकर पास की एक घर में पहुंचे और वहां पर मदद ली. इसके बाद किसी तरीके से पास के ही मोहन नर्सिंग होम में घायल अनुज कुमार अपने स्टाफ के साथ डीसीपी अमित शर्मा को लेकर पहुंचे. नर्सिंग होम पहुंचने पर पता चला की उनके लीडर रतनलाल को भी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया है. उपद्रवियों ने नर्सिंग होम को भी घेरना शुरू कर दिया था और अब जरूरत थी किसी तरीके से घायल पुलिसकर्मियों को किसी दूसरे अस्पताल ले जाने की.


आईपीएस अनुज कुमार ने बताया कि इनकी सरकारी गाड़ियां भी भजनपुरा के उसी पेट्रोल पंप फंसी हुईं थी जिसे बाद में उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया था. इसके बाद एक फॉर्च्यूनर गाड़ी से लिफ्ट लेकर अनुज कुमार ने किसी तरीके से डीसीपी अमित शर्मा और हेड कांस्टेबल रतनलाल को जीटीबी अस्पताल पहुंचाया. इस बीच अनुज कुमार खुद घायल थे उनकी गर्दन और सर पर गंभीर चोटें लगी हुईं थी. लेकिन दुख की बात यह थी कि जीटीबी अस्पताल में हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल को मृत घोषित कर दिया गया.


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