नई दिल्ली: कुछ सीनियर आईपीएस अफसरों ने अपने ही संगठन के खिलाफ बगावत कर दी थी. इनकी शिकायत संगठन के पदाधिकारियों से गई थी. इसके बाद सेंट्रल आईपीएस एसोसिएशन ने अपने कुछ साथियों को ट्विटर पर अनफॉलो कर दिया था. सबसे पहले संदीप मित्तल के साथ ऐसा हुआ. तमिलनाडु कैडर के एडीजी रैंक के मित्तल के समर्थन में देश के कई सीनियर आईपीएस अफसर आ गए. बात कानूनी कार्रवाई तक पहुंच गई थी. कोर्ट तक जाने की धमकी दी गई. सोशल मीडिया में बहस शुरू हो गई. दो दिनों तक हंगामा मचा रहा. बाद में कुछ सीनियर अफसरों के बीच बचाव के बाद समझौता हुआ. आखिरकार अब आईपीएस अफसरों के संगठन में शांति हो गई है.



सोशल मीडिया में एक्टिव रहने वाले संदीप मित्तल ने ट्वीट कर युद्ध विराम की जानकारी दी है. उन्होंने ये भी बताया कि सेंट्रल आईपीएस एसोसिएशन से अब उन्हें कोई शिकायत नहीं है. इसीलिए अब बात खत्म समझी जाए.


कैसे हुई झगड़े की शुरूआत
झगड़े की शुरुआत तब हुई जब आईपीएस एसोसिएशन ने मित्तल को संदीप अनफॉलो कर दिया था. उन्होंने जाने माने वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ एक लेख लिखा था. इसके लिए उन्होंने लेफ्ट विचारधारा वाले अधिकारियों को जिम्मेदार बताया. बिना नाम लिए मित्तल ने आईपीएस एसोसिएशन के सेक्रेटरी राकेश अग्रवाल पर भी सवाल उठाए. कर्नाटक कैडर की सीनियर आईपीएस अफसर डी रूपा भी इस झगड़े में कूद पड़ी. उन्होंने ट्वीट कर पूछा कि आखिर आईपीएस एसोसिएशन का ट्विटर अकाउंट कौन चलाता है? उन्होंने तो ये भी कह दिया कि मेंबरशिप के लिए जो वे पैसे देती हैं, उसे अब दान समझा जाए.



सोशल मीडिया में आईपीएस अफसरों को अनफॉलो करने पर हंगामा मच गया. सेंट्रल आईपीएस एसोसिएशन में 4756 सदस्य हैं. यूपी कैडर के आदित्य मिश्र इसके अध्यक्ष हैं और हिमाचल कैडर के राकेश अग्रवाल सचिव बनाए गए है. आईएएस और आईएफएस अधिकारियों का भी अपना अपना संगठन है. देश के कुछ आईपीएस अधिकारी ट्विटर पर बड़े एक्टिव है. उनका अपना निजी वेरिफाइड अकांउट है.


लॉकडाउन के समय अरुण बोथरा, अमिताभ ठाकुर, संजय कुमार, आर के विज, दीपांशु काबरा, आलोक सिंह, प्रशांत कुमार, सतीश गणेश और सुजीत पांडे जैसे अफसरों ने पब्लिक की मदद की. जब भी किसी ने टैग कर अपनी बात कही, उनका मान सम्मान रखा गया.


एसोसिएशन का क्या स्टैंड होना चाहिए?
आईपीएस एसोसिएशन अपने ट्विटर हैंडिल से अपने साथियों के अच्छे काम काज का प्रचार प्रसार करती है. लेकिन कई बार वे विवादों में भी रही है. कुछ अधिकारी खुल कर कई मुद्दों पर अपने मन की बात करते रहे हैं. ऐसे मामलों में एसोसिएशन का क्या स्टैंड हो? इस पर विवाद होते रहे हैं. हाल में ही जब सुदर्शन चैनल ने सिविल सेवा में मुसलमानों के रोल पर विवादित बातें कही. तब एसोसिएशन इस पर चुप रहा. ऐसे कई मुद्दे रहें जब एसोसिएशन के मेंबरों की अलग-अलग राय रही. लेकिन इस बार संदीप मित्तल को अनफॉलो करने पर बात बढ़ गई.


पुलिस अफसरों के एक बड़े गुट का कहना है कि अनफॉलो करना का फैसला तानाशाही है. जबकि एसोसिएशन के एक सीनियर पदाधिकारी ने बताया कि अब ऑफिशियल ट्विटर हैंडल फॉलो किए जाएंगे.. जैसे दिल्ली पुलिस का कमिश्नर का अकांउट. लेकिन जो व्यक्ति इस पद पर होगा उनके निजी हैंडिल से एसोसिएशन का कोई लेना देना नहीं रहेगा. आईपीएस अधिकारी डी रूपा कहती है अगर एसोसिएशन अभिषेक बच्चन को फॉलो कर सकती है तो मुझे क्यों नहीं. अनफॉलो और फॉलो के चक्कर में देशभर के आईपीएस अफफ़सर दो गुटों में बंट गए हैं.


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