नई दिल्ली: ईरान में चाबहार बंदरगाह के ज़रिए अफगानिस्तान को जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना में भारत को झटका लगा है. ईरान ने चाबहार को अफगानिस्तान सीमा के करीब ज़हेदान तक रेल नेटवर्क से जोड़ने की परियोजना को भारतीय मदद की बजाए फिलहाल खुद आगे बढ़ाने का फैसला लिया है. हालांकि, ईरान ने फिलहाल इस योजना में भारतीय रेल कंपनी इरकॉन के लिए भागीदारी के दरवाजे खुले रखे हैं.


इस फैसले की तस्दीक करते हुए ईरान के उच्च पदस्थ राजनयिक सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया कि इस महत्वपूर्ण ढांचागत परियोजना में आत्मनिर्भरता लाने के लिए इस रेल लिंक को स्वयं पूरा करने का फैसला लिया गया है. हालांकि, इस बाबत भारत और ईरान के बीच हुआ समझौता बरकरार है. ऐसे में भारतीय रेल कंपनी इरकॉन की भागीदारी की संभावनाएं खुली हुई हैं.


40 करोड़ डॉलर की लागत की है ये परियोजना


महत्वपूर्ण है कि बीते दिनों ईरान के परिवहन और शहरी विकास मंत्री मोहम्मद इस्लामी ने चाबहार से जाहेदान तक जाने वाली 628 कमी लंबी रेल लाइन का काम का उद्घाटन किया. सूत्रों के मुताबिक करीब 40 करोड़ डॉलर की लागत वाली इस परियोजना का काम अब ईरानी राष्ट्रीय विकास बोर्ड की मदद से पूरा किया जाएगा. गौरतलब है कि पूर्व में चाबहार परियोजना से जुड़े इस काम को भारत की मदद से पूरा किया जाना था.


ईरान का यह फैसला ऐसे समय आया है जब चीन के साथ उसका करीब 400 अरब डॉलर का व्यापक व्यापार और सैन्य सहयोग समझौता हुआ है. अभी ईरान ने इस काम में किसी चीनी भागीदार को शामिल करने का तो कोई संकेत नहीं दिया है. लेकिन ईरान और अफगानिस्तान के बीच अपनी कनेक्टिविटी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की भारतीय कोशिशों को झटका जरूर लगा है. माना जा रहा है कि इस बदलाव के पीछे एक बड़ी वजह अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण निवेश धनराशि को ईरान तक पहुंचाने में आ रही दिक्कतें भी हैं.


हालांकि, गत 12 जुलाई को ईरान के व्यापार संवर्धन संगठन के प्रमुख हामिद जदबूम ने तेहरान में भारतीय राजदूत गद्दाम धर्मेंद्र से मुलाकात की थी, जिसमें क्षेत्रीय रोड और रेल परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए आपसी सहयोग एक प्रमुख मुद्दा था. दोनों देशों के बीच कारोबार के मुद्दों पर संयुक्त समूह की बैठक भी अगले कुछ दिनों में होनी है.


चाहबहार परियोजना भारत के लिए खासी रणनीतिक अहमियत रखती है. इसके सहारे भारत की कोशिश न केवल अफगानिस्तान बल्कि उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान आदि मध्यएशियाई देशों तक अपनी कारोबारी पहुंच बनाने की है. भारत ने अफगानिस्तान में डेलाराम जारांश का रोड इसी कनेक्टिविटी परियोजना के तहत बनाया था. चाबहार का बंदरगाह, जाहेदान के रास्ते अफगानिस्तान के जारांश को जोड़ता है.


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