Iran Israel Tensions: ईरान-इजरायल में बढ़ी टेंशन तो भारत को होगा बड़ा नुकसान! जानें पूर्व डिप्लोमैट अरुण के सिंह ने क्या कहा
Iran-Israel War: ईरान और इजरायल के बीच अगर टेंशन बढ़ती है तो इसका असर भारत के साथ-साथ दूसरे कई देशों पर देखने को मिल सकता है. पूर्व डिप्लोमैट ने बताया कि इसका क्या-क्या असर पड़ने वाला है.
Iran-Israel Tensions: मध्य पूर्व में बढ़ रहे तनाव के बीच यूरोपीय देशों ने ईरान की ओर से इजरायल पर किए गए हमले की आलोचना की. इसे लेकर इजरायल और अमेरिका में भारतीय एंबेसडर रहे चुके अरुण के सिंह ने कहा कि ईरान और इजरायल दोनों भारत के पार्टनर हैं और इन दोनों देशों के बीच बढ़ तनाव का असर भारत पर भी पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत को खाड़ी और फिर यूरोप से जोड़ने को लेकर पिछले साल जी20 की सम्मेलन में भारत मीडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) की घोषणा की गई थी.
इकोनॉमिक कॉरिडोर पर पड़ेगा असर
पूर्व डिप्लोमैट अरुण सिंह के अनुसार इजरायल हमास जंग में अब लेबनान में अपने प्रॉक्सी हिजबुल्लाह के साथ ईरान भी शामिल हो गया, जिससे अब भारत-इजरायल-यूएई-यूएसए (I2U2) के निर्माण में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि भारत को पश्चिम एशियाई क्षेत्रों में अपनी स्थिति को देखते हुए आगे बढ़ना होगा.
अरुण सिंह के कहा, "भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, इजरायल और यूरोप शामिल है. अगर ईरान और इजरायल के बीच टेंशन बढ़ती है तो इस पर प्रभाव पड़ सकता है."
आईएमईसी कॉरिडोर का क्या है उद्देश्य?
आईएमईसी कॉरिडोर का उद्देश्य एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व को एकीकरण करना है, जिसमें कई देश शामिल हैं. पूर्व भारतीय एंबेसडर अरुण सिंह ने कहा, "आईएमईसी कॉरिडोर के बारे में तभी उम्मीद लगाई जा सकती है, जब इजरायल-हमास का युद्ध बंद हो जाए और सऊदी अरब-इजरायल के बीच अच्छे संबंध बहाल हो जाए."
उन्होंने कहा, "2020 के अब्राहम समझौते के बाद संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और इजरायल के संबंध को गहरा करने के लिए I2U2 की पहल हुई थी. अब अगर इजरायल और फिलिस्तीन के बीच स्थिति और अधिक खराब होती है तो यह देखना होगा कि यूएई अरब देशों की प्रतिक्रिया का आकलन कैसे करता है."
पूर्व राजनायिक के अनुसार तेहरान (ईरान की राजधानी) और तेल अवीव के बीच बढ़ते तनाव के कारण ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार के क्षेत्र में भारत पर प्रभाव पड़ने की संभावना है. भारतीय नेतृत्व इसे लेकर निश्चित रूप से ईरान, इजरयल, खाड़ी देशों, अमेरिका और अन्य देशों के साथ बातचीत करेगा.