सीवान: इराक के मोसुल में मारे गए 38 भारतीयों के शव कल भारत वापस आ गए. इनमें से पांच लोग बिहार के सीवान जिले के रहनेवाले थे. सीवान के ही रहनेवाले सुनील कुमार, जब कल उनका शव वापस आया तो परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया. परिवार वालों की मांग है कि पंजाब सरकार की तर्ज पर उन्हें भी सही मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए.
40 भारतीय मजदूरों में से 39 की आईएस ने हत्या कर दी थी
विदेश राज्यमंत्री इराक मारे गये भारतीयों के शव के अवशेष लेकर सोमवार को अमृतसर पहुंचे थे. इन 40 भारतीय मजदूरों में से 39 की आईएस ने हत्या कर दी थी और एक अपने आप को बांग्लादेश का मुसलमान बताकर उनकी चंगुल से बच निकलने में कामयाब रहा था.
39 लोगों में 27 पंजाब, चार हिमाचल, छह बिहार और दो प. बंगाल के
मारे गये 39 लोगों में 27 पंजाब के, चार हिमाचल के, छह बिहार के और दो पश्चिम बंगाल के थे. इन 39 भारतीयों में से 38 के शव के अवशेषों को ले कर विशेष विमान बगदाद से सोमवार दोपहर दो बज कर करीब 30 मिनट पर अमृतसर पहुंचा.
क्यों नहीं बचाया जा सका?
विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह ने अमृतसर में बताया कि इराक में भारतीय दूतावास के पास 2014 में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस की तरफ से अगवा किये गये 40 भारतीयों के बारे में कोई रिकार्ड नहीं है, क्योंकि वे अवैध ट्रैवल एजेंटों के मार्फत वहां गये थे. सिंह ने कहा कि यदि सरकार के पास इन लोगों के खतरे में फंसे होने की कोई सूचना होती तो वह उन्हें बचा लेती जैसा कि उसने 2014 में 45 से अधिक नर्सों के संदर्भ में किया था.