Irfan ka Cartoon: चीन की गीदड़भभकियों से नहीं डरा अमेरिका ! कार्टूनिस्ट इरफान ने ऐसे ली चीन की चुटकी
Irfan ka Cartoon: कार्टूनिस्ट इरफ़ान ने चीन- ताइवान और अमेरिका के बीच चल रहे हालात पर आज अपने कार्टून के जरिये चीन पर तंज कसा है.
![Irfan ka Cartoon: चीन की गीदड़भभकियों से नहीं डरा अमेरिका ! कार्टूनिस्ट इरफान ने ऐसे ली चीन की चुटकी Irfan ka Cartoon: America is not afraid of the jackals of China! Cartoonist Irfan took a pinch of China like this Irfan ka Cartoon: चीन की गीदड़भभकियों से नहीं डरा अमेरिका ! कार्टूनिस्ट इरफान ने ऐसे ली चीन की चुटकी](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/08/03/6ebafff3e942a436d2769dcfc58fe5e71659505551_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Irfan ka Cartoon: चीन हमेशा से ताइवान को अपना हिस्सा मानता रहा है. जिनपिंग कई बार कह चुके हैं कि आज नहीं तो कल ताइवान चीन में शामिल होगा. इस बीच अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन बुरी तरह से भड़क गया है और ताइवान के चारों ओर युद्धाभ्यास का ऐलान कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ अपने दौरे के दौरान नैंसी ने मीडिया से बात करते हुए साफ किया कि उनका ताइवान आने का तीन अहम मुद्दा है. सुरक्षा, शांति और सरकार.
आइये देखते हैं क्या कहता है आज का इरफ़ान का कार्टून...
कार्टूनिस्ट इरफ़ान ने चीन- ताइवान और अमेरिका के बीच चल रहे हालात पर आज अपने कार्टून के जरिये चीन पर तंज कसा है. उन्होंने अपने कार्टून में चीन को दिखाया है जिसके पीछे ताइवान है और उसके हाथ बंधे हुए हैं. इरफान ने अपने कार्टून के जरिये बाताने की कोशिश की है कि कल का दिन जो बाइडेन के लिए बहुत अच्छा रहा है. एक तरफ आतंकी लीडर जवाहिरी का खात्मा हुआ है वहीं दूसरी तरफ उनकी स्पीकर चीन की धमकी के बावजूद ताइवान की जमीन पर उतर गई है. अब देखना ये है कि अमरिका के इस कदम से नाराज चीन अब आगे कौन सा कदम उठाएगा.
क्या है चीन और ताइवान विवाद?
इन दो देशों के बीच का विवाद काफी पुराना है. साल 1949 से ही कम्यूनिस्ट पार्टी दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं. चीन अब भी ताइवान को अपना हिस्सा मानता है तो वहीं ताइवान का कहना है कि वह एक आजाद देश है. इन देशों के बीच विवाद दूसरे विश्व युद्ध के बाद से शुरु हुआ. साल 1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया. जिसके बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आकर बस गए. यही वह साल था जब चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा.
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