Irom Chanu Sharmila Birth Anniversary: दुनिया की सबसे लंबी भूख हड़ताल करने वाली आयरल लेडी इरोम चानू शर्मिला का आज 14 मार्च को जन्मदिन है. इरोम शर्मिला ने मणिपुर में सेना को मिले सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (Armed Forces Special Powers Act- AFSPA)  के खिलाफ 16 सालों तक भूख हड़ताल की थी. उन्होंने साल 2000 में अपना अनशन शुरू किया था जो 16 साल बाद 2016 में खत्म हुआ. इसके बाद इरोम ने राजनीति में भी हाथ आजमाया और चुनाव लड़ा.


साल 2000 की दो नवंबर की तारीख को कुछ ऐसा हुआ था जिसने इरोम शर्मिला की जिंदगी का मकसद बदलकर रख दिया. इस दिन असम राइफल्स के जवानों ने इंफाल के पास एक गांव में गांव वालों की हत्या कर दी थी. इस घटना ने इरोम शर्मिला को झकझोर दिया. तीन बाद ही वह सैन्य बलों को मिले विशेषाधिकार के खिलाफ अनशन पर बैठ गईं. इरोम की कहानी पर आगे बढ़ने से पहले सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को समझते हैं.


क्या है सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम?
पूर्वोत्तर में उग्रवादी और अलगावदी गुटों के सक्रिय होने के चलते सैन्य बलों को एक कानून के जरिए विशेष अधिकार दिए गए थे. इसी कानून को सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम कहा जाता है. इसके तहत सशस्त्र बलों को केवल शक के आधार पर किसी को भी गोली मारने का अधिकार है. इस पर सैन्यकर्मी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं जाएगी. पूर्वोत्तर में इस कानून को लेकर भारी विरोध होता रहा है. इसी विरोध का प्रतीक बनकर इरोम शर्मिला ने अपनी पहचान बनाई.


28 साल की उम्र में शुरू की हड़ताल
इरोम शर्मिला ने भूख हड़ताल करते हुए 16 साल गुजार दिए. जब उन्होंने अनशन शुरू किया, उस समय वह 28 साल की युवा थीं. पहले उनके कदम को भावुकता कहा गया, लेकिन समय के साथ उनके संघर्ष ने ये साबित कर दिया कि ये फैसला सोच समझकर लिया गया था. इरोम शर्मिला ने कहा था, ''मैं अपनी जिंदगी से प्यार करती हूं. मैं इसे खत्म नहीं करना चाही हूं, लेकिन मुझे न्याय और शांति चाहिए.''


नाक से पाइप के सहारे भोजन
इरोम शर्मिला ने जब भूख हड़ताल शुरू की तो पुलिस ने उनके खिलाफ आत्महत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया. अदालत ने उन्हें पुलिस हिरासत में रखने का आदेश दिया. इस दौरान उन्हें जिंदा रखने के लिए जबरन नाक से एक पाइप के जरिए लिक्विड दिया जाता था. इरोम शर्मिला के नाम सबसे लंबी भूख हड़ताल और सबसे ज्यादा बार जेल जाने का रिकॉर्ड बना. 16 सालों तक चले संघर्ष के बाद 9 अगस्त 2016 में भूख हड़ताल खत्म कर दी.


राजनीति में उतरीं इरोम
भूख हड़ताल खत्म करने के बाद इरोम शर्मिला ने जनता की आवाज बनने का फैसला किया. अनशन खत्म करने के बाद उन्होंने कहा था कि वह मणिपुर का सीएम बनना चाहती हैं, ताकि इस कानून को निरस्त कर सकें. एक साल बाद 2017 में मणिपुर के विधानसभा चुनाव हुए तो उन्होंने मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह को विधानसभा क्षेत्र में चुनौती दी. राजनीति की राह इरोम के लिए अच्छी नहीं रही. उन्हें सिर्फ 90 वोट मिले थे और वह चुनाव हार गई थीं.


चुनाव हारने के बाद इरोम शर्मिला ने राजनीति से दूरी बना ली और 2017 में ही अपने ब्रिटिश प्रेमी डेशमंड के साथ शादी रचा ली. दोनों की शादी तमिलनाडु के कोडाईकनाल में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हुई थी.


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