मुंबई: महाराष्ट्र में महाविकास गठबंधन की सरकार का रिमोट शरद पवार के पास है लेकिन इस रिमोट की बैटरी उद्धव ठाकरे ने निकाल ली है. इस वजह से सरकार का चैनल बदलना मुश्किल हो गया है. सीएए, एनआरसी, एनपीआर, एलगार परिषद की जांच, नए मुंबई पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति, राज्य सभा का गणित, वानखेड़े स्टेडियम जैसे कई मामलों में एनसीपी और शिवसेना में मतभेद सामने आए है. जिससे सवाल उठने लगे हैं कि क्या महाराष्ट्र सरकार संकट में आ सकती है?


एलगार परिषद, भीमा कोरेगांव की जांच NIA को सौंपने के उद्धव ठाकरे के निर्णय से शरद पवार नाराज
सूत्रों के मुताबिक़ शरद पवार और उद्धव ठाकरे के बीच मतभेद की शुरुआत हुई एल्गार् परिषद, भीमा कोरेगांव मामले की जांच एनआईए को सौंपने को लेकर. महाराष्ट्र में महाविकास गठबंधन की सरकार बनने के बाद पहला काम शरद पवार ने किया वो था एलगार परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच के लिए एसआईटी की मांग करना. शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर एसआईटी की मांग की लेकिन उद्धव ठाकरे मामले की जांच एनआईए को सौंपने के केंद्र सरकार के निर्णय के साथ गए और राज्य सरकार की तरफ़ से जांच एनआईए को सौंप दी गई.


उद्धव ठाकरे का ये निर्णय शरद पवार को पसंद नहीं आया. एनसीपी के नेताओं ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय पर एतराज भी जताया. राज्य गृहमंत्री अनिल देशमुख ने तो यहां तक कह दिया कि ''हम चाहते थे कि मुख्यमंत्री केंद्र सरकार के निर्णय का विरोध करें. लेकिन उन्होंने हमारे विरोध को दरकिनार कर केंद्र सरकार के फ़ैसले का साथ दिया. मुख्यमंत्री का अधिकार है उस बारे में हम ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते सिवाए एतराज़ जताने के.''


इसके बाद भी शरद पवार सरकार चलाने के लिए चुप रहे. सोमवार को हुई एनसीपी की बैठक में ये निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार इस मामले की जांच एसआईटी से भी कराएगी यानि शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के निर्णय से असहमति जताते हुए ये बता दिया कि सरकार उनकी भी है.


मुख्यमंत्री के सीएए को समर्थन देने से कांग्रेस-एनसीपी ख़फ़ा
उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के मुखपत्र सामना को दिए अपने इंटरव्यू में एनआरसी का विरोध किया लेकिन सीएए को दिए समर्थन में कहा था ''सीएए को हमें ठीक से समझना होगा. सीएए को लेकर लोगों के मन जो ग़लतफ़हमी है उसे पहले दूर करना होगा. सीएए किसी को देश के बाहर निकालने का क़ानून नहीं. हमारे पड़ोसी राष्ट्रों में निजात अल्पसंख्यक लोग अगर देखें जाए तो ज़्यादातर हिंदू है क्यूंकि हमारे पड़ोस में पाकिस्तान और बांग्लादेश इस्लामी राष्ट्र है. ऐसे पीड़ित कितने है जिन्होंने अत्याचार की बात कहकर देश में शरण मांगी है उसपर विचार करना होगा.''


मुख्यमंत्री के इस बयान ने कांग्रेस-एनसीपी के नेता नाराज़ हुए. सूत्र बताते है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इस विषय पर उद्धव ठाकरे से बात भी की. वहीं कांग्रेस के नेता को खुलकर उद्धव ठाकरे के ख़िलाफ़ बोलने लगे. कैबिनेट मंत्री नितिन राउत ने कहा ''सीएए राज्य में लागू नहीं होगा. कांग्रेस समिति ने ये पहले ही तय किया है. हमने जनता से ये वचन दिया है और हम वचनपूर्ती करके रहेंगे.''


सूत्र ये भी बताते हैं कि मुख्यमंत्री राज्य में एनपीआर प्रक्रिया लागू करने जा रहे हैं. जिसके लिए उन्होंने राज्य के अधिकारियों की एक बैठक भी बुलाई थी. इस बैठक को लेकर एनसीपी और कांग्रेस ने पुरज़ोर विरोध किया कि राज्य में एनपीआर लागू नहीं होना चाहिए.


राज्यसभा की आख़िरी सीट को लेकर शिवसेना-एनसीपी में खींचतान
राज्य सभा की इस सीट पर एनसीपी पहले ही दावा कर चुकी है. लेकिन मुख्यमंत्री चाहते है कि तीनों पार्टी मिलकर किसी एक नाम पर सहमति बनाए. इसी को लेकर पिछले हफ़्ते तीनों पार्टी के नेताओं के बीच बैठक भी हुई लेकिन बैठक में एक नाम पर तीनों पार्टी की रज़ामंदी नहीं हो पाई. एनसीपी ये मानती हैं कि शिवसेना जानबूझकर उनके उम्मीदवार के नाम पर सहमत नहीं हो रही.


नए मुंबई पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति को लेकर एनसीपी-शिवसेना में मतभेद
सूत्र बताते है कि नए पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति पर भी एनसीपी-शिवसेना आमने-सामने है. शिवसेना संजय बर्वे को दोबारा एक्सटेंशन देने के पक्ष में है. वहीं एनसीपी नए अधिकारी को इस पोस्ट पर बिठाना चाहती है. क्योंकि संजय बर्वे ही वो अधिकारी है जिन्होंने इरिगेशन मामले में अजित पवार के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में रिपोर्ट दायर की थी.


वानखेडे स्टेडियम के 200 करोड़ माफ़ करने को लेकर शरद पवार और उद्धव में एक मत नहीं
राज्य सरकार और बीएमएस को वानखेड़े स्टेडियम से क़रीब 200 करोड़ का बकाया है. शरद पवार जो आईसीसी और एमसीए के अध्यक्ष रह चुके हैं उन्होंने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से ये रक़म माफ़ करने की मांग की है. मुख्यमंत्री के करीबी सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री ऐसा करने के लिए राज़ी नहीं है. क्योंकि मुख्यमंत्री का मानना है कि ये पैसा जनता का है और जनता की इतनी बड़ी रक़म माफ़ करना मुमकिन नहीं. इस विषय को लेकर अक तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.


माना जाता है कि शरद पवार के पास इस सरकार का रिमोट कंट्रोल है लेकिन पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अनेक विषयों पर लिए अपने निर्णय से वर्चस्व दिखाने की कोशिश की है जो एनसीपी के लिए चिंता और प्रतिष्ठा का विषय बन गया है. शरद पवार भले ही ये कह रहे हो कि सरकार पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करेगी लेकिन वो तभी होगा जब शरद पवार इस सरकार के रिमोट कंट्रोल में उद्धव ठाकरे की बैटरी डाल पाएंगे.


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