Tirupati Balaji Temple: तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू में जानवरों की चर्बी होने के दावे पर देश का राजनीतिक पारा बढ़ा हुआ है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया गया है कि पिछली सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी का प्रयोग किया गया है. 


वहीं, वाईएसआर कांग्रेस ने TDP पर पलटवार किया है. TDP ने इस दावे के समर्थन में एक प्रयोगशाला रिपोर्ट जारी की है. वहीं, पिछले साल लड्डू में उपयोग होने वाले घी में भी बदलाव किया गया था. जिसके बाद से ही श्रद्धालुओं ने सवाल उठाने शुरू कर दिया थे


2023 में कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने रोक दी थी घी की सप्लाई 


पिछले काफी समय से श्रद्धालु प्रसाद के स्वाद को लेकर सवाल उठा रहे हैं. श्रद्धालुओं का कहना है कि पहले प्रसाद का स्वाद ज्यादा अच्छा था. बता दें कि पिछले साल कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर में घी की सप्लाई को रोक दिया था. कंपनी ने घी के दाम के विवाद के चलते इसकी सप्लाई को रोक दिया था. करीब 15 साल तक साथ रहने के बाद कर्नाटक मिल्क फेडरेशन बोली प्रक्रिया से अलग हो गया था. 


हाल में ही केएमएफ के अध्यक्ष के भीमा नाइक ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा था कि प्रसाद का स्वाद अब पहले जैसा नहीं है क्योंकि अब घी की कंपनी में बदलाव हुआ है. हम में सबसे अच्छा घी उपलब्ध कराती है और सभी गुणवत्ता जांचों से गुजरती है. अगर कोई ब्रांड अगर हमसे से कम कीमत पर घी उपलब्ध करा रहा है, तो मुझे लगता है कि गुणवत्ता से समझौता किया जा रहा है.


कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से फिर हुआ समझौता


CM चंद्रबाबू नायडू द्वारा लड्डू की गुणवत्ता में सुधार करने के निर्देश के बाद अगस्त से केएमएफ ने टीटीडी को अपने घी की आपूर्ति फिर से शुरू की है. बता दें कि तिरुपति में हर दिन लगभग 3.5 लाख लड्डू बनाए जाते हैं और एक लड्डू बनाने में लगभग 40 रुपये का खर्च आता है. लड्डू तैयार करने के लिए हर दिन लगभग 400-500 किलोग्राम घी, 750 किलोग्राम काजू, 500 किलोग्राम किशमिश और 200 किलोग्राम इलायची की आवश्यकता होती है.


हाल ही में हुए विवाद के बाद, टीटीडी ने लड्डू के लिए गुणवत्तापूर्ण घी खरीदने के लिए शामिल किए जाने वाले नियमों और शर्तों पर सलाह देने के लिए एक समिति का गठन किया है.