नई दिल्ली: कर्नाटक में सियासी उथल पुथल से बिहार, मणिपुर और गोवा में भी राजनीतिक पारा चढ़ने लगा है. मणिपुर और गोवा में कांग्रेस ने सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया. वहीं बिहार में सबसे बड़ी पार्टी के नेता तेजस्वी यादव ने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया.


दरअसल, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि जब कर्नाटक में राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी होने के आधार पर बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया तो मणिपुर, बिहार और गोवा में वह सबसे बड़ी पार्टी हैं, इसलिए राज्यपाल उन्हें सरकार बनाने का मौका दें.


क्या जो विपक्ष चाह रहा है वो सकता है?
कर्नाटक में बीएस येदुरप्पा को राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते न्योता दिया. जिसे कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सबकी निगाहें कल होने वाले फ्लोर टेस्ट पर हैं.


बिहार, मणिपुर और गोवा अचानक शुरू हुई राजनीतिक सरगर्मी ने जनता को हैरत में डाल दिया. सबके मन में सवाल है कि क्या इन राज्यों में भी बहुमत परीक्षण और सत्ता परिवर्तन की स्थिति आ सकती है?


नियम क्या कहते हैं?
बिहार, मणिपुर और गोवा में जैसा विपक्ष चाह रहा है वैसा होने की उम्मीद ना के बराबर है. अगर तेजस्वी यादव चाहते हैं कि उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए तो उन्हें सबसे पहले सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना होगा. इस अविश्वास प्रस्ताव के पास होने के बाद नीतीश कुमार इस्तीफ देंगे. फिर सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते तेजस्वी यादव को सरकार बनाने का मौका दिया जाएगा.


इसी तरह मणिपुर और गोवा में कांग्रेस को बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास कराना होगा. इसके बाद ही राज्यपाल उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे. बिना अविश्वास प्रस्ताव पास कराए सरकार बनाने का दावा करना 'अंगूर खट्टे हैं' वाली कहावत जैसा है.


क्यों होता है बहुमत परीक्षण?
लोकतंत्र और संविधान में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए बहुमत परीक्षण का प्रावधान है. नियम के मुताबिक बहुमत पर संदेह की स्थिति में राज्यपाल मुख्यमंत्री से सदन में बहुमत साबित करने को कहते हैं. इसके साथ ही अगर बहुमत पर सवाल उठ रहें (उदाहरण के लिए जब गठबंधन सरकार में मतभेद हों) तब भी मुख्यमंत्री से बहुमत साबित करने को कहा जाता है.


बहुमत परीक्षण में फेल होने पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना होता है. इसके बाद जिस पार्टी को बहुमत मिलेगा उस पार्टी के नेता को सरकार बनाने का न्योता मिलेगा. अगर फ्लोर टेस्ट में दोनों पक्षों को बराबर वोट मिलते हैं तो स्पीकर भी अपना वोट डालेगा.