नई दिल्ली: देशभर में कोरोना का बढ़ता ग्राफ थमने का नाम नहीं ले रहा है. 24 घंटे के भीतर कोरोना वायरस के एक लाख 84 हजार से ज्यादा सामने आए हैं. कोरोना से सबसे ज्यादा हालात महाराष्ट्र में खराब हैं. सीएम उद्धव ठाकरे ने स्थिति को देखते हुए 15 दिन के सख्त कर्फ्यू का एलान किया है. इस बीच पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने चौंकाने वाली जानकारी साझा की है.


महाराष्ट्र के अलग अलग जिलों की लैब से लिए डाटा के आधार पता जनवरी से मार्च के बीच लिए गए 361 सैंपलों में से 61% (220) में डबल म्यूटेशन देखने को मिला है. कोरोना सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग से यह जानकारी सामने आयी है. इन सभी सैंपल में B.1.617 वैरिएंट पाया गया है.  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के मुताबिक कोरोना यह जो नया वैरिएंट सामने आया है, इसमें E484Q और L452R नामक दो म्यूटेशन हुए हैं।
 
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 10 अप्रैल को हुई एक बैठक में  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के अधिकारियों ने सरकारी लैबोरेट्रीज के प्रमुखों के साथ एक बैठक की थी. इस बैठक में NIV ने डबल म्यूटेंट वेरिएंट को लेकर जानकारी साझा की थी. बता दें इस से जुड़ी कोई रिपोर्ट अभी तक राज्य सरकार को नहीं मिली है. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि हमने केंद्र सरकार महाराष्ट्र के नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग पर डिटेल रिपोर्ट मांगी है.


राज्य के स्वास्थ्य के अधिकारियों के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर के पीछे नए वैरिएंट्स से इनकार नहीं किया जा सकता. बता दें कि राज्य में इस समय कोरोना के रोजोना 50 हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं. यह देश के कुल कोरोना मरीजों का लगभग आधा है.


इस बारे में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य सचिव प्रदीप व्यास ने कहा कि अगर म्यूटेशन चिंता का विषय है तो क्या इसके लिए किसी और रणनीति की जरूरत है? इसके जवाब में केंद्र ने कहा कि रणनीति में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है. 


NIV के आंकड़ों के मुताबिक डबल म्यूटेंट वैरिएंट  B.1.617 सबसे पहले अकोला औऱ थाणे से लिए गए सैंपल में दिखा. फरवरी में 13 जिलों से लिए गए सैंपल के 50 फीसदी में तेजी से फैलने वाला वैरिएंट नजर आया. इनमें अकोला, अमरावति, भंडारा, हिंगोली, गोंदिया, चंद्रपुर, नागपुर, पुणे, वर्धा और यवतमाल शामिल हैं. मार्च में औरंगाबाद, मुंबई, जालना, पालघर से लिए गए सैंपल में सीक्वेंसिंग के बाद दो से 14 में यह वैरिएंट मिला.


दरअसल वायरस में म्यूटेशन होना एक आम बात है. लेकिन कई बार डबल म्यूटेशन के बाद वायरस की प्रकृति बिल्कुल बदल जाती है. यह डबल म्यूटेशन वायरस के व्यवहार को बदल देते हैं. और ऐसे म्यूटेशन के आगे इम्यूनिटी भी नाकाफी साबित होती है. इसका मतलब है कि डबल म्यूटेशन के बाद वायरस औऱ भी अधिक खतरनाक हो जाता है.