क्या कोरोना के बूस्टर डोज की वजह से बढ़ रही है दिल की बीमारी?
डॉक्टर ने कहा कि ऐसे कुछ मामले आए हैं जिसमें पेशेंट को बूस्टर डोज लेने के बाद दिल का दौरा पड़ा हो, पर ये कहना गलत है कि इसका कारण टीकाकरण ही है.
देश में कोरोना संक्रमितों के मामलों में भले ही पहले की तुलना में कमी देखी गई हो, लेकिन कोरोना का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है. यही कारण है कि केंद्र सरकार लगातार वैक्सीनेशन पर जोर दे रही है.
एक तरफ जहां कुछ लोग बूस्टर डोज लगवा रहे हैं तो दूसरी सोशल मीडिया पर एक अफवाह तेजी से फैल रही है कि बूस्टर डोज के चलते लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
कुछ लोगों का कहना है कि COVID-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज से दिल की समस्या हो सकती है या दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ सकता है. इन सब अटकलों के बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस तरह की किसी भी आशंकाओं से इनकार किया है.
बूस्टर डोज के साइडइफेक्स के बारे में बात करते हुए अमृता अस्पताल के कार्डियोलॉजी प्रोफेसर और एचओडी डॉ विवेक चतुर्वेदी ने 28 सितंबर को कहा, "हर कोई वैक्सीन ले रहा है.
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया के माध्यम से बताया जा रहा है कि बूस्टर डोज लेने से दिल का दौरा पड़ सकता है लेकिन भारत की COVID-19 की बूस्टर डोज का हृदय रोग से कोई संबंध नहीं है.
उन्होंने कहा कि हम हार्ट अटैक के मामले बहुत पहले से देख रहे हैं. हां ऐसे कुछ मामले आए हैं जिसमें पेशेंट को बूस्टर डोज लेने के बाद दिल के दौरे पड़े हैं, पर ये कहना गलत है कि इसका कारण टीकाकरण ही है, इसके प्रमाण अभी उपलब्ध नहीं है.” हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि बूस्टर डोज लेने से ह्रदय पर प्रभाव पड़ सकता है और COVID से संक्रमित होने वाले व्यक्ति को हृदय संबंधी बीमारी हो सकती है.
40 साल से कम उम्र के लोगों में देखे जा रहे हैं लक्षण
कार्डियोलॉजिस्ट निखिल ने AbP से बात करते हुए कहा कि दिल के दौरे का जोखिम पिछले कुछ सालों में दोगुना हो गया है. इस बीमारी का ज्यादातर शिकार युवा हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि दिल का दौरा पड़ने के 25 फीसदी मामले 40 साल से कम उम्र के लोगों में देखे जा रहे हैं. हां ये कहा जा सकता है कि कोरोना महामारी आने के बाद से हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं. लेकिन बूस्टर डोज के कारण ऐसा हो रहा है ये कहना उचित नहीं है.
डॉक्टर निखिल ने कहा कि हार्ट अटैक आने के कई कारण है. आप देखिये की आज के समय में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, सभी को दिल की बिमारी से खतरा है. लोग इतने व्यस्त होते हैं कि वह पॉस्टिक आहार नहीं ले पाते हैं. ना सही तरीके से बॉडी मूवमेंट कर पाते हैं. हमारे शरीर को जितना पॉस्टिक आहार चाहिए उतना ही व्यायाम या वर्कआउट भी जरूरी है. वहीं बच्चें हो या बड़े जंक फूड ज्यादा खाना प्रेफर करते हैं.
उन्होंने बताया कि इसके अलावा भी कई कारण है. पहले से बीमारी से ग्रसित होना भी उन्हीं कारणों में शामिल है. युवाओं में दिल की समस्याओं के अन्य सामान्य कारणों डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, मौजूदा चिकित्सा स्थितियां, धूम्रपान, मोटापा, तनाव, और पर्यावरण प्रदूषण जैसी जीवन शैली की समस्याएं शामिल हैं.
कार्डियोलॉजिस्ट निखिल का कहना है कि कोरोना के ठीक होने की प्रक्रिया हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकती है. जिन मरीजों को फेफड़े की गंभीर बीमारी हो उन्हें डॉक्टर की करी निगरानी में रिकवर होना चाहिए.
निखिल ने बताया कि कोई पेशेंट अगर कोरोना से रिकवरी के दौर से गुजर रहा है तो उन्हें शुरुआत के 6 सप्ताह तक व्यायाम या जिम करने से बचना चाहिए अगर आप कुछ हफ्तों के बाद भी लक्षणों का अनुभव करना जारी रखते हैं, तो लंबे समय तक के कोविड सिंड्रोम से बचने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें.”
कोविड संक्रमण के बाद बढ़े होर्ट अटैक के मामले
वहीं इस मुद्दे पर लुधियाना के हृदय रोग विशेषज्ञ की राय चौकाने वाली है. डॉ. एसएस सिबियन का कहना है कि कोविड संक्रमण के बाद हार्ट अटैक के मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं.
इसका सटीक कारण अब तक नहीं पता चला है लेकिन कई ऐसे केस आए हैं जिससे ये कहा जा सकता है कि वैक्सीनेसन के बाद हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं. उन्होंने दावा किया कि हाल ही में हैदराबाद में एक पोस्टमार्टम हुआ था जिसमें पता चला था कि हार्ट अटैक का कारण वैक्सीनेशन ही है.
दिल की बीमारी को लेकर सुझाव?
अमृता अस्पताल के कार्डियोलॉजी प्रोफेसर और एचओडी डॉ विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि कोविड के हल्के मामलों में भी दिल की बीमारी देखी जा सकती है, इसलिए यदि आप थकान या कमजोरी का अनुभव करते हैं, चलने पर सांस फूलना, चक्कर आने पर सीने में परेशानी होती है तो एक विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए और आगे की जांच करवानी चाहिए. दिल की मांसपेशियां खराब, ब्लड टेस्ट, ईसीजी 24 घंटे ईसीजी, कार्डियक एमआरआई जैसे रक्त परीक्षण किए जा सकते हैं.
(इनपुट- ANI से भी)
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