Maharashtra News: एनसीपी प्रमुख शरद पवार की नाराजगी के बाद भी महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. लेकिन कांग्रेस पार्टी में दूसरे नेता नाना पटोले के साथ इतनी ताकत के साथ खड़े नहीं दिखाई दे रहे हैं. इसीलिए सवाल है कि क्या अपनी ही पार्टी में नाना पटोले अलग-थलग पड़ गए हैं?


दरअसल, नाना पटोले पिछले कुछ दिनों से उनके बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं. जानकारी के मुताबिक, खुद के दम पर चुनाव लड़ने के पटोले के बयान पर सीएम उद्धव ठाकरे के बाद अब एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी नाराज हैं. एचके पाटिल से पवार ने कहा है कि अगर कांग्रेस सही में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है तो उसे सार्वजनिक करें. पवार की नाराजगी के बाद भी पटोले के रुख में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है. पटोले ने आज फिर अकेले दम पर चुनाव लड़ने की बात दोहराई है.


नाना पटोले भले ही आक्रामक तरीके से बात रख रहे हों लेकिन कांग्रेस पार्टी के भीतर और दूसरे नेता उतनी ताकत के साथ उनका साथ देते नहीं दिखाई दे रहे हैं. नाना पटोले ने पवार को 2014 याद दिलाया जिस वक्त एनसीपी ने अचानक समर्थन वापस लेकर चुनाव में अकेले लड़ने का फैसला किया था. सवाल ये भी है कि क्या कांग्रेस को शरद पवार पर भरोसा नहीं है?


पटोले के पास संगठन की जिम्मेदारी होने की वजह से वह पार्टी विस्तार के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं. लेकिन इन बयानों ने महा विकास आघाड़ी सरकार में शामिल पार्टियों के बीच अविश्वास की स्थिति पैदा कर दी है.


उधर, शिवसेना के मुखपत्र सामना संपादकीय में नाना पटोले के बयानों पर सीधा प्रहार किया गया है. सामना में लिखा है कि नाना क्या बोलते हैं और क्या करते हैं इससे महाराष्ट्र सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता. सरकार उद्धव ठाकरे, शरद पवार और सोनिया गांधी की मर्जी से चल रही है. लेकिन एक बात तो साफ है कि पटोले के बयानों से कांग्रेस पार्टी की राज्य में फजीहत जरूर हो रही है.


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