जंग और जिद. राजनीति में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की पहचान ही यही है. बीजेपी से जंग लड़कर उन्होंने पश्चिम बंगाल फतह किया और अब वो दिल्ली पर कब्जे की जिद कर बैठी हैं. इस जिद को पूरा करने के लिए उन्होंने कांग्रेस से जंग छेड़ दी है. 'एक स्ट्रॉन्ग विपक्ष होना चाहिए, जो लड़ाई करे, अगर लड़ेंगे नहीं तो क्या करेंगे'.


ममता का ये वार कांग्रेस पर है और वो इन दिनों कांग्रेस को किनारे कर राजनीति का नया समीकरण तैयार कर रही हैं. इसी समीकरण को फिट करने के लिए वो मुंबई के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने पहले शिवसेना के आदित्य ठाकरे और संजय राउत से मुलाकात की और फिर राजनीति के चाणक्य शरद पवार का आशीर्वाद लेने पहुंचीं.


ममता बनर्जी ने बैठक के बाद कहा, 'शरद पवार और उद्धव ठाकरे के साथ मीटिंग करने महाराष्ट्र में आई थी. उनकी पार्टी के संजय राउत और आदित्य ठाकरे से मुलाकात हुई.  जो परिस्थिति चल रही है जैसा फासिस्ट रूल चल रहा है उसके लिए अल्टरनेटिव फोर्स बनाई जाए. इसलिए मैं पॉलिटिकल डिस्कशन  करने  आई.' ममता अब मिशन 2024 पर काम कर रही हैं.  वो 2024 का चुनाव मोदी बनाम ममता करने की कोशिश में हैं. इस सपने को पूरा करने के लिए पहले उन्हें देश की सभी क्षेत्रीय पार्टियों को साथ लाना होगा और साथ ही कांग्रेस को भी किनारे लगाना होगा. ममता मुंबई में इसी रोडमैप पर चल रही हैं. 


ममता क्षेत्रीय दलों को एक जुट कर कांग्रेस को किनारे लगाने की कोशिश में हैं. इसलिए अब वो कांग्रेस के उस किले के अस्तित्व को भी नकार रही है, जिसकी वो अब तक मेंबर थीं. महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की सरकार है. लेकिन मुंबई पहुंचीं ममता एनसीपी और शिवसेना के ज्यादा करीब नजर आ रही है. शरद पवार भी ममता की बातों पर मुहर लगा रहे हैं. ममता कांग्रेस पर बरस रही हैं और कांग्रेस के साथ सरकार चला रही NCP और शिवसेना से उन्हें समर्थन मिल रहा है. 


यही ममता का हौसला बढ़ा रहा है. उन्होंने कांग्रेस पर हमला करत-करते उसके नेता राहुल गांधी को भी चपेट में ले लिया. बिना नाम लिए राहुल गांधी पर तंज कसते हुए ममता ने कहा, हम बंगाल में हैं. हमें क्यों जरूरत पड़ी इधर उधर जाने की. अगर कोई कुछ करता ही नहीं है आधा टाइम आप विदेश में रहो तो क्या होगा.


राहुल गांधी पर ये आरोप पुराना है कि वो अहम मौके पर गायब हो जाते हैं. उनके विदेश दौरे भी निशाने पर रहते हैं. हमने राहुल पर लगने वाले इस आरोप की पड़ताल की है.


राहुल के विदेशी दौरों पर एक नजर


साल                                          विदेश दौरे
2015-19                                   247
सालाना औसत                           62 विदेश दौरे
महीना में औसत                          5 विदेश दौरे 


(स्रोत्र: लोकसभा में दी गई जानकारी)


राहुल पर ये भी आरोप है कि जब देश में बड़ी सियासी उथल पुथल होती है, तो वो विदेश में होते हैं. हमने राहुल के विदेश दौरों का देश की बड़ी घटनाओं से कनेक्शन भी निकाला है.


देश में हलचल, विदेश में राहुल


घटना: 2014 में यूपीए की हार
राहुल कहां : विदेश दौरे पर


घटना: 2016 पंजाब में टिकट बंटवारा
राहुल कहां: नया साल का जश्न


घटना: जनवरी 2019 आम चुनाव की तैयारी
राहुल कहां: दुबई के दौरे पर


घटना: दिसंबर 2019 CAA का प्रदर्शन
राहुल कहां: दक्षिण कोरिया में समारोह


घटना:  2020 बिहार चुनाव प्रचार
राहुल कहां: शिमला में छुट्टियां


घटना: 28 दिसंबर 2020 कांग्रेस स्थापना दिवस
राहुल कहां: मिलान में छुट्टी 


राहुल का वक्त पर मौके से गायब रहना और उनके विदेश दौरे हमेशा से बीजेपी के निशाने पर रहे हैं. लेकिन अब ममता बनर्जी इसे लेकर राहुल पर वार कर रही है और शरद पवार उस पर मुहर लगा रहे हैं.


वहीं एनसीपी चीफ शरद पवार साफ तौर पर कह रहे हैं कि जो भी बीजेपी के खिलाफ लड़ेगा उसका स्वागत है. सीधी सी बात है वेस्ट बंगाल में ममता बनर्जी की जो जीत हुई है वो उनकी मेहनत से हुई. ममता के लिए पवार की मुहर उनके मिशन के पूरा होने की गारंटी है. इसलिए उन्होंने बीजेपी के हराने का फॉर्मुला भी मुंबई में बता दिया.


ममता ने कहा, रीजनल पार्टी का बिल्ड अप अच्छा है. अगर सारी रीजनल पार्टी साथ में आ जाएं तो बीजेपी को हराना आसान हो जाएगा. हालांकि कांग्रेस ने इसे लेकर ममता पर पलटवार भी किया. केसी वेणुगोपाल ने कहा कि हर कोई भारतीय राजनीति की हकीकत जानता है. कांग्रेस के बिना बीजेपी को हराना महज एक सपना है. 


ममता जो करने की कोशिश कर रही हैं, वो हिंदुस्तान की सियासत में पहले भी हो चुका है. लेकिन समीकरण फंसता है, मोर्चे के नेता को लेकर और इस सवाल का जवाब ममता देने को तैयार नहीं हैं. ममता बनर्जी ने खुद कहा कि कौन पीएम होगा, उस वक्त की परिस्थिति बताएगी. लेकिन बीजेपी को हटाना है.


ममता के बगल में खड़े होकर शरद पवार ने जरूर ममता की बातों का समर्थन किया, लेकिन एक दिन पहले ही पवार के सिपहसालार नवाब मलिक ये कह चुके हैं कि कांग्रेस के बिना बीजेपी के खिलाफ अलटरनेटिव नहीं बन सकता. ये साफ संकेत है कि ममता का मिशन 2024 इतना आसान भी नहीं होगा.


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